बुधवार, 7 मई 2008

ओके टाटा : हॉर्न प्लीज : हर सेग्मेंट में मिलेंगे

ऑटो सम्राट टाटा

कभी दुनियाभर में धूम मचा देने वाली कंपनी लैंडरोवर और जगुआर आखिरकार अगले महीने पूरी तरह टाटा की झोली में आ जाएगी। टाटा मोटर्स ने कार बनाने वाली ब्रिटेन की कंपनी जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया है। टाटा ने इन कंपनियों को फोर्ड मोटर्स से खरीदा है। क्योंकि अमेरिकी मोटर कंपनी फोर्ड के हाथों में इसका मालिकाना हक था। टाटा को इस बड़ी शॉपिंग के लए 2.3 अरब डॉलर खर्च करने पड़े । अगले महीने तक इस डील की प्रक्रिया को पूरा कर ली जाएगी। फोर्ड को टाटा से मिलने वाली रकम में से 60 करोड़ रुपए लैंड रोवर और जगुआर के पेंशन फंड को देने होंगे। फोर्ड ने करीब 20 साल पहले 2.5 अरब डॉलर में जगुआर को और 8 साल पहले 2.7 अरब डॉलर में लैंड रोवर को खरीदा था। पिछले एक साल से जेएलआऱ(जगुआर- लैंड रोवर) के पीछे टाटा मोटर्स हाथ धो कर पड़ी थी। और इस रेस में टाटा ने भारतीय कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित दुनिया की कई कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। जगुआर पिछले कई सालों से नुकसान में चल रहा है जबकि लैंड रोवर का मुनाफा भी नाममात्र है। इसलिए फोर्ड ने इनदोनों कंपनियों को बेच दिया। इसके बदले मिले पैसे से फोर्ड दुनयाभर में अपनी ब्रांड को और मजूबत करेगी।
टाटा : द ऑटो किंग

उधर टाटा इन दोनों कंपनियों के साथ ही ऑटो इंडस्ट्री की लगभग सभी सेग्मेंट में अपनी पैठ बना लेगी। चाहे लखटकिया नैनो हो या इंडिका या सूमो या एवियो या ट्रक या बस या हवा से बातें करने वाली लैंड रोवर और जगुआर। कमर्शिय गाड़ियों में पहले से ही देश में धाक जमा चुकी टाटा ने कोरियाई कंपनी देवु की कमर्शियल गाड़ियों को खरीदकर दुनिया में अपनी पहचान बना ली है। यानी चाहे भारी समान ढ़ोना हो या हवा से बातें करना आप टाटा को टाटा कर आगे नहीं निकल सकते।

क्या है लैंड रोवर?
हवा से बातें करने वाली रैंज रोवर और डिस्कवरी जैसी स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हेकिल बनाने वाली कंपनी लैंड रोवर की जन्म इंग्लैंड के गायदोन में 30 अप्रैल 1948 में हुआ। लैंड रोवर एलआर टू जैसी छोटी कार भी बनाती है। साथ ही मल्टी पर्पस व्हेकिल यानी एमयूवी के क्षेत्र में भी इसका बोलवाला है। ये कंपनी प्रॉफिट में है लेकिन इतना कम कि किसी प्रोडक्ट रिन्यूअल प्रोग्राम को फाइनेंस करना भी इसके बूते में नहीं है। पिछले साल कंपनी की बिक्री में 2006 के मुकाबले 18 फीसदी का इजाफा हुआ है। और इसकी बिक्री बढ़कर सवा दो लाख गाड़ियों तक पहुंच चुकी है। इस कंपनी की शुरूआत रोवर नाम से हुई। साथ ही इसकी गिनती एसयूवी बनाने वाली सबसे पुरानी कंपनियों में होती है।

क्या है जगुआर?
जगुआर का नाम लग्जरी स्पोर्ट्स सेडान बनाने वाली कंपनी की तौर पर जाना जाता है। इसकी लिटिल एक्स टाईप सेडान कार ने 2001 में लांच होते ही पूरी दुनिया में धूम मचा दी थी। और इसकी बिक्री एक साल में 1.5 लाख कार तक पहुंच गई। जबकि जगुआर की कुल कारों की बिक्री 2 से 3 लाख कारें ही थी। जानकार लिटिल एक्स टाईप सेडान कार में काफी पोटेंशियल देख रहे है। आने वाले दिनों में ये कार बीएमडब्ल्यू थ्री सीरीज को टक्कर दे सकती है। इसके बाद कंपनी ने एस टाईप कार लांच की। जिसको बाद में बदलकर एक्स एफ कर दिया गया। और पूरी दुनिया में एक साथ इसे लांच किया गया। लेकिन जापानी और जर्मन कारों मर्सीडीज, बीएमडब्ल्यू, ऑडी और तो और लेक्सस से भी इसे कड़ी टक्कर मिल रही है। जगुआर को 1922 में स्वैलो साईडकार कंपनी की तौर पर लांच किया गया था। 1945 में इसका नाम बदल कर जगुआर कर दिया गया। 2006 के मुकाबले पिछली साल कंपनी 16 फीसदी कम यानी केवल 60,485 कारें बेची हैं। और फिलहाल ये कंपनी नुकसान में चल रही है। फोर्ड ने 1989 में इसे 2.5 अरब डॉलर में खरीदा। और तब से फोर्ड को 10 अरब डॉलर की नुकसान हो चुकी है।

2 टिप्‍पणियां:

Batangad ने कहा…

बहुत दिन बाद तुमने लिखा अच्छा लगा। लेकिन, ब निरंतर लिखो।

Udan Tashtari ने कहा…

आप हिन्दी में लिखते हैं. अच्छा लगता है. मेरी शुभकामनाऐं आपके साथ हैं इस निवेदन के साथ कि नये लोगों को जोड़ें, पुरानों को प्रोत्साहित करें-यही हिन्दी चिट्ठाजगत की सच्ची सेवा है.

एक नया हिन्दी चिट्ठा भी शुरु करवायें तो मुझ पर और अनेकों पर आपका अहसान कहलायेगा.

इन्तजार करता हूँ कि कौन सा शुरु करवाया. उसे एग्रीगेटर पर लाना मेरी जिम्मेदारी मान लें यदि वह सामाजिक एवं एग्रीगेटर के मापदण्ड पर खरा उतरता है.

यह वाली टिप्पणी भी एक अभियान है. इस टिप्पणी को आगे बढ़ा कर इस अभियान में शामिल हों. शुभकामनाऐं.