शनिवार, 14 जून 2008

एमटीएन-आरकॉम के बीच आरआईएल



अनिल अंबानी के रिलायंस कम्युनिकेशंस और दक्षिण अफ्रीकी कंपनी एमटीएन के बीच करार को लेकर चल रही बातचीत के चलते रिलायंस इंडस्ट्रीज और आरकॉम के बीच तलवारें खिंच गई हैं। अनिल अंबानी की कंपनी आरकॉम ने आरोप लगाया है कि एमटीएन के साथ चल रही उनकी डील में मुकेश अंबानी की कंपनी आरआईएल टांग अड़ा रही है। अफ्रीकी कंपनी एमटीएन और आरकॉम के बीच मर्जर को लेकर एक्सक्लुसिव बात चीत चल रही है। जिसमें एमटीएन आरकॉम में बड़ी हिस्सेदारी लेने पर विचार कर रही है।

लेकिन इस बीच आरआईएल ने एमटीएन को ये जानकारी दी कि आरकॉम में बड़ी हिस्सेदारी बेचने से इंकार करने का पहला अधिकार उनके पास है। आरकॉम ने आरआईएल के इस दावे को बेबुनियाद कहा है। और इसे एमटीएन-आरकॉम डील के बीच रोड़े अटकाने की कोशिश कहा है। अनिल अंबानी के एडीएजी ग्रुप के अनुसार आरकॉम की तरक्की को आरआईएल नहीं पचा पा रही है। इसलिए इस डील को किसी भी कीमत पर नहीं होने देना चाहते हैं।

अनिल-मुकेश आमने-सामने
- अनिल ने मुकेश पर लगाया आरकॉम-एमटीएन डील में टांग अड़ाने का आरोप
- आरआईएल ने एमटीएन को कहा वो आरकॉम में बड़ी हिस्सेदारी नहीं ले सकती
- आरआईएल ने कहा कि आरकॉम में बड़ी हिस्सेदारी बेचने से इंकार करने का पहला अधिकार उनके पास है
- आरकॉम ने आरआईएल के दावे को बेबुनियाद करार दिया
- एडीएजी के अनुसार आरकॉम की तरक्की से जल रहे हैं मुकेश अंबानी
- दोनों भाइयों में बंटवारे से पहले आरकॉम आरआईएल के अधीन था
- 12 जनवरी 2006 को मुकेश ने आरकॉम में मालिकाना हक बेचने से इंकार करने का अधिकार अपने पास रख लिया
- हालांकि बांबे हाईकोर्ट ने 15 अक्टूबर 2006 को आरआईएल अधिकार को खारिज कर दिया
- आरकॉम में अनिल अंबानी और प्रोमोटरों की 66 फीसदी हिस्सेदारी
- आरकॉम-एमटीएन मर्जर के बाद दुनिया 6 सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में शुमार हो जाएगी
- एमटीएन-आरकॉम के पास 11 करोड़ 60 लाख कस्टमर्स


दोनो भाइयों में बंटवारे से पहले आरकॉम में मालिकाना हिस्सेदारी बेचने या ना बेचने का अधिकार आरआईएल ने अपने पास रख लिया था। और 12 जनवरी 2006 को एक दस्तावेज पर इससे जुड़े लोगों के हस्ताक्षर ले लिए थे। क्योंकि उस समय आरकॉम पर मालिकान हक आरआईएल का हुआ करता था। हालांकि बांबे हाई कोर्ड ने 15 अक्टूबर 2006 को आरआईएल के इस समझौते को गलत करार कर दिया था। फिलहाल आरकॉम में अनिल और प्रोमोटरों की हिस्सेदारी 66 फीसदी है। अगर आरकॉम-एमटीएन मर्ज होती है तो ये दुनिया की छठी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन जाएगी। और इसके कस्टमर्स की संख्यां करीब 12 कोरड़ तक पहुंच जाएगी।

सूत्रों के अनुसार रिलायंस कम्युनिकेशन और एमटीएन के बीच डील पर समझौता लगभग हो चुका है। और बहुत जल्द इसका ऐलान किया जाना था। अनिल अंबानी ने अपनी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशन को अफ्रीकी टेलीकॉम कंपनी एमटीएन का सब्सिडियरी बनाने पर सहमति दे दी है।

रिलायंस कम्युनिकेशन एमटीएन सौदा तय ?
- सूत्रों के अनुसार अनिल अंबानी ने आरकॉम को एमटीएन की सब्सिडी बनाने पर सहमति दे दी है
- अनिल आरकॉम में अपनी दो तिहाई शेयर एमटीएन को सौपेंगे
- अलग से 5 अरब डॉलर कैश एमटीएन को देने होंगे
- अनिल को एमटीएन की करीब 40 फीसदी शेयर मिलेंग
- रिलायंस कंम्युनिकेशन का करीब 25 फीसदी शेयर भी अनिल अंबानी के पास होगा
- बहुत जल्द इस सौदे का ऐलान हो सकता है


इसके लिए अनिल अंबानी को रिलायंस कम्युनिकेशन में अपनी दो तिहाई हिस्सेदारी एमटीएन को देनी होगी। और इसके अलावे 4 से 5 अरब डॉलर कैश भी एमटीएन को देना होगा। तब अनिल अंबानी एमटीएन में करीब 40 फीसदी हिस्सेदारी ले पाएंगे। इसके साथ ही अनिल अंबानी के पास रिलायंस कम्युनिकेशन में भी सबसे बड़ी हिस्सेदारी बरकरार रहेगी। लेकिन आरकॉम पर मालिकाना हक एमटीएन का होगा। हालांकि मुकेश अंबानी के इस मर्जर के बीच कूद जाने से आरकॉम-एमटीएन सौदे में काफी मुश्किलें सामने आ सकती हैं।

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