मंगलवार, 30 सितंबर 2008

बेलआउट सीनेट में हुआ ऑलआउट

भारतीय शेयर बाजार में आज सुबह आया तूफान कुछ घंटों के अंदर ही शांत हो गया। और बाजार यू टर्न लेते हुए लाल से हरे निशान में पहुंच गया। ऐसा वित्त मंत्री पी चिदंबरम और सेबी चेयरमैन सी बी भावे के बाजार और अर्थव्यवस्था में सबकुछ ठीक है के आश्वासन के बाद हुआ। उधर अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में आया तूफान फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है। क्योंकि सीनेट ने 700 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज को खारिज कर दिया है। और इसका असर दुनियाभर के बाजारों पर देखा गया। अमेरिकी बाजार में 777 अंकों की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई। यूरोप और एशिया के ज्यादातर बाजार धाराशायी हो गए। और इससे भारतीय बाजार भी अछूता नहीं रहा। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 400 अंकों से ज्यादा और निफ्टी 100 अंकों से ज्यादा लुढ़क गए। इसके बाद अफर-तफरी में सेबी के चेयरमैन सी बी भावे को लोगों को ये आश्वासन देना पड़ा कि बाजार में सबकुछ ठीक चल रहा है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इसके कुछ ही देर बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा जताया। और कहा कि भारतीय शेयर बाजार मजबूत है। और यहां की रेग्युलेटरी व्यवस्था किसी भी तरह की परेशानी को झेलने में सक्षम है। वित्त मंत्री ने देश के सबसे बड़ी प्राइवेट बैंक के वित्तीय संकट के दौर से गुजरने की अफवाह को पूरी तरह से खारिज कर दिया। पी चिदंबरम के साथ ही रिजर्व बैंक ने भी कहा कि आईसीआईसीआई बैंक की वित्तीय स्थिति पूरी तरह से चुस्त दुरूस्त है।   वित्तमंत्री के इस बयान के बाद आईसीआईसीआई बैंक के शेयरों में जबरदस्त उछाल देखा गया। साथ ही बाजार में भी खरीदारी तेजी से लौटी । जिससे सेंसक्स 264 अंकों की बढ़त के साथ 12860 पर बंद हुआ। और निफ्टी भी 71 अंकों तेजी के साथ 3921 पर बंद होने में कामयाब रहा। उधर फ्रांस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अमरीकी वित्तीय संकट के असर से पार पाने के लिए भारत और चीन को मिल कर काम करना चाहिए।

सोमवार, 29 सितंबर 2008

बेलआउट से पहले निवेशकों का बाउलआउट

अमेरिकी कंपनियों को बेलआउट से फायदा होगा या नहीं?... लेकिन इस बेचारे निवेशक का बाउलआउट जरूर हो गया है! अमेरीकी क्रांग्रेस ने वित्तीय संस्थानों के लिए 700 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की रुपरेखा पर रजामंदी दे दी है। इसके बावजूद एशिया, यूरोप, सहित भारतीय शेयर बाजारों पर इस खबर का असर नहीं दिखा। अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में मची तूफान का असर भारतीय शेयर बाजार में देखा जा रहा है। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी ने इस साल के सबसे निचले स्तर को छू लिया।  दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स करीब 700 अंक नीचे लुढ़क गया जबकि निफ्टी भी इंट्राडे कारोबार में 200 अंकों से ज्यादा फिसल गया। रियल स्टेट के कुछ शेयर तो करीब 13 फीसदी तक नीचे लुढक गए। बैंक,आईटी, कैपिटल गुड्स, पावर और ऑयल एंड गैस सेक्टर में भी भारी बिकवाली देखी गई। हालांकि आखिरी कारोबारी घंटे में निचले स्तर पर कुछ खरीदारी लौटी। जिससे बाजार निचले स्तर से कुछ ऊपर उठ सका। बाजार बंद होते समय सेंसेक्स 506 अंको की गिरावट के साथ 12595 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी में 135 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और ये 3869 पर बंद हुआ। ऐसा नहीं है कि केवल भारतीय बाजारों में ही गिरावट देखी गई हो।  अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में छाई मंदी की मार यूरोप और एशिया सहित पूरी दुनिया की बाजारों पर देखा जा रहा है। जापान के निक्केई में करीब 150 अंकों की गिरावट देखी गई। जबकि यूरोप की फुट्सी भी 238 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। अमरीकी फाइनेंशियल क्राइसिस से दुनियाभर में निवेशकों के पसीने छूट रहे हैं। कई निवेशक कंगाल हो गए हैं। भारत में तो कुछ ब्रोकरों ने नुकसान के दबाव में अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर दी। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस ने बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए  700 अरब डॉलर की बेलआउट पैकेज की आउटलाइन पर अपनी मुहर लगा दी है। ये बेल बेलआउट पैकेज तीन चरणों में लागू किया जाएगा। 700 अरब डॉलर के बेलआउट की संभावना के बावजूद दुनियाभर के बाजारों का सेंटीमेंट्स नहीं बदला है। चारो तरफ बिकवाली हावी है। जानकारों का मानना है दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के धाराशायी होने की शुरूआत हो चुकी है। और इसे बचाने के लिए जो बेलआउट पैकेज का ऐलान किया जाने वाला है वो नाकाफी है। और सबसे बड़ी बात ये है कि इस बेलआउट पर अभी प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होना बाकी है। अगर ये प्रतिनिधि सभा में पास होगी तभी 700 अरब डॉलर अमरीकी वित्तीय संस्थानों को मिल पाएगा।

बुधवार, 24 सितंबर 2008

अमेरिका में बन चुका है फाइनेंस का बुलबुला

करेंसी हटी दुर्घटना घटी?! मकान के लिए सस्ता लोन बांटने के चलते अमेरिका की चौथी सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंक लीमन ब्रदर्स दिवालियापन की चौखट पर खड़ी है। क्योंकि इस बैंक को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है। पिछली एक तिमाही में ही लीमन ब्रदर्स को 17500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इससे निवेशकों में अफरा तफरी मच गई है। अमेरिका सहित दुनियाभर के बाजारों में इसका असर देखा जा रहा है। भारी नुकसान को देखते हुए लीमन  ब्रदर्स ने अपने दिवालियापन की अर्जी अमेरिकी बैंकरप्सी कोर्ट में दी है। क्योंकि लेहमैन ब्रदर्स को दिवालिएपन से बचाने की सभी कोशिशें नाकाम रही। बार्कलेज बैंक और बैंक ऑफ अमेरिका ने लीमन ब्रदर्स को खरीदने की कोशिश जरूर की लेकिन अमेरिकी सरकार की ओर से सहायता के आश्वासन न मिलने की वजह से बात नहीं बन पाई।  दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म मेरिल लींच की तकदीर कुछ अच्छी थी। क्योंकि पिछली तिमाही में 4.5 अरब डॉलर से भी ज्यादा नुकसान के बावजूद बैंक ऑफ अमेरिका ने मेरिल लींच को खरीदकर उसे डूबने से बचा लिया। इसके बावजूद इन बैंकों में काम करने वाले लोगों के भविष्य पर अभी भी सवालिया निशान लगा हुआ है। मेरिल लींच और लीमन ब्रदर्स में काफी संख्यां में भारत के प्रोफेशनल्स काम करते हैं। यही नहीं अमेरिकी बैंक लीमन ब्रदर्स और दुनिया की सबसे बड़ी ब्रोकरेज फर्म मेरिल लींच की फाइनेंशियल हालत पतली होने से भारत में कम से कम 25000 नौकरियों पर असर पड़ने का अनुमान है।   अमेरिकी के फाइनेंशियल जगत में हुई हलचल का असर अमेरिका सहित पूरी दुनिया में देखा गया। अमेरिकी बाजार 4 फीसदी लुढ़क गया जिससे पेंशन फंड, रिटायरमेंट प्लान्स और पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट कंपनियों को 32 लाख करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा। एआईजी के शेयर होल्डरों को 20 अरब डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। यही नहीं एआईजी के बेलआउट में यानी इसको दिवालियापन से बचाने के लिए अमरीकी सेंट्रल बैंक को अरबों रुपए खर्च करने पड़े। यूरोपीयन बैंक को स्थिति संभालने के लिए सिस्टम में 70 अरब यूरो डालने को मजबूर होना पड़ा। अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने भी  स्थिति को संभालने के लिए दो दिनों में 120 अरब डॉलर सिस्टम में डाल दिया। इस वजह से अगले ही दिन अमरीकी बाजार हल्की बढ़त बनाने में कामयाब रहा। हालांकि जानकार अमरीकी बाजार में बड़ी गिरावट की आशंका जता रहे हैं। अमेरिकी फाइनेंशियल अनिश्चितता से उठे तूफान को कम करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को 20 अरब पाउंड बाजार में उतारना पड़ा। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान ने अपने बाजार को संभालने के लिए 14 अरब डॉलर सिस्टम में डाल दिए। ऑस्ट्रेलिया और भारत को करीब 3 अरब डॉलर सिस्टम में उतारने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं चीन ने 2002 के बाद पहली बार इंटरेस्ट रेट कट किया और इंडोनेशिया ने भी आनन फानन में रेपो रेट में कटौती का ऐलान कर डाला। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तक फाइनेंशियल जगत में एक देश दूसरे से जुड़े हैं। ऐसे में अमेरिका में अगर फिर से कोई बैंक डूबता है या वहां के फाइनेंशियल सेक्टर में कोई उठा पटक होती है तो वो सुनामी बनकर पूरी दुनिया के फाइनेंशियल जगत को हिला कर रख देगा। यानी पूरी दुनिया की नजर अब अमेरिकी बेलआउट पर टिकी है। यानी किस तरह से दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सबप्राइम क्राइसिस से बने फाइनेंशियल बुलबुले को पैसे बहाकर बचाने में कामयाब होती है। या बचा भी पाती है या नहीं ? 

शुक्रवार, 12 सितंबर 2008

रुपए पर भारी पड़ा डॉलर

अगर आप आप विदेश घूमने जाने वाले हैं या किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाले हैं  तो अब आपको ज्यादा खर्च करने होंगे। क्योंकि दो-तीन महीने पहले आपको एक डॉलर के लिए 40 रुपए के करीब देने होते थे लेकिन अब वही डॉलर आपके मिलेगा 45 रुपए से ज्यादा में। रूपये पर बढ़ते दवाब के बीच विदेशी बाजारों में डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। जिससे रुपया हर दिन कमजोर होता जा रहा है। और यही वजह है कि डॉलर के मुकबले रुपया साढे पैंतालीस रुपए के नीचे पहुंच गया है। जो कि करीब दो साल का निचला स्तर है। विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की तूती एक बार फिर बोलने लगी है। अभी दो महीने पहले तक यूरो हर दिन डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा था। और दुनिया की दूसरी करेंसी भी डॉलर पर दबाव बनाए हुए था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और डॉलर यूरोपीय मुद्रा यूरो के मुकाबले एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। कच्चे तेल की कीमत फिसलकर प्रति बैरल 100 डॉलर के करीब पहुंचने की वजह से तेल कंपनियों में डॉलर की डिमांड बढ़ गई है। और उस अनुपात में सिस्टम में डॉलर के नहीं आने की वजह से डॉलर का भाव चढ़ गया है। रुपए के कमजोर होने की वजह से भारत का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। ऐसा नहीं है कि रुपए में आई  कमजोरी से सभी सेक्टरों पर बुरा असर पड़ रहा है। आईटी एक ऐसा सेक्टर है जिसको इसका खूब फायदा हो रहा है। दो-तीन महीने पहले तक  आईटी सेक्टर को सॉफ्टवेयर या सर्विस देने के बदले डॉलर में जो कमाई होती थी। उसे रुपए में बदलने पर उन्हें नुकसान हो रहा था। क्योंकि एक डॉलर के बदले उन्हें मिल रहे थे करीब 40 रुपए। लेकिन अब उनकी चांदी हो रही है क्योंकि एक डॉलर की कीमत साढ़े पैंतालीस रुपए से ऊपर पहुंच चुकी है।  

टाटा की नैनो से पहले एप्पल की नेनो

एप्पल की रेंज एप्पल ने एकबार फिर अपना नेनो आईपॉड और टच आईपॉड लांच कर तहलका मचा दिया है। सैनफ्रांसिसको में एप्पल के सीईओ स्टीव जॉन्स ने एक थियेटर में अपने इन दो अनोखे प्रोडक्ट को लांच किया है।  एप्पल का नेनो आईपॉड अबतक की सबसे पतली आईपॉड है। ये आईपॉड एक इंच के चौथे हिस्से से भी ज्यादा पतली है। नैनो आईपॉड को 8 जीबी और 16 जीबी की मैमोरी के साथ लांच किया गया है। 8 जीबी वाले आइपॉड में 2000 गाने स्टोर किए जा सकते हैं औऱ इसकी कीमत है 149 डॉलर। जबकि 16 गिगाबाइट वाले आईपॉड में 4000 गाने स्टोर्ड किए जा सकते हैं। और इसके लिए आपको खर्च करने होंगे 199 डॉलर। इसके साथ ही एप्पल ने आईपडॉ टच के तीन नए रेंज लांच किए हैं। आईपॉड टच का के फीचर्स आईफोन से मिलते जुलते हैं। लेकिन आईपॉड टच से कहीं कॉल करना संभव नहीं है।आईपॉड टच को 8 जीबी 16 जीबी और 32 जीबी स्टोरेज मैमोरी के साथ लांच किया गया है। 8 जीबी वाले आईपॉड टच की कीमत है 229 डॉलर जककि 16 जीबी वाले की कीमत है 299 डॉलर और 32 जीबी वाले आईपॉड टच के लिए आपको खर्च करने पड़ेंगे 399 डॉलर। 32 जीबी वाला आईपॉड उन लोगों लिए काफी पायदेमंद है जो ज्याद से ज्यादा गेम्स और प्रोग्राम लोड करना चाहते हैं लेकिन आईफोन में 16 जीबी की मैक्सिमम मैमोरी होने की वजह से ऐसा नहीं कर पाते हैं।  केवल दो महीने पहले से एप्पल ने एप्लिकेशन बेचने शुरू किए हैं। और अबतक 10 करोड़ एप्लिकेशन आईफोन और आईपॉड यूज करने वाले डाउनलोड कर चुके हैं। यानी कि एप्पल के लिए एप्लिकेशन और अलग से प्रोग्राम्स बेचना एक फायदे का सौदा बनता जा रहा है। आईफोन के साथ ही  अपने दूसरे प्रोडक्ट्स के बाजार को बचाए रखने के लिए एप्पल लगातार नए कोशिश में जुटी है। और इसी का नतीजा है ये नोनो आईपॉड और आईपॉड टच।

दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग

दुबई की छत से ईरान का नजारा दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग में अभी भी काम जारी है। दुबई में बन रही  इस बिल्डिंग की ऊंचाई है 2257 फीट यानी 688 मीटर। और अभी इस बिल्डिंग का काम भी पूरा नहीं हुआ है। इस गगनचुंबी इमारत की फाइनल ऊंचाई 700 मीटर तक होगी। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल किया गया है। दुनियी की सबसे ऊंची इस बिल्डिंग का नाम  बुर्ज दुबई रख गाय है। जिसका मतलब होता है दुबई टॉवर। इस बिल्डिंग पर चढ़कर पूरी दुबई का नजारा लिया जा सकता है। और अगर मौसम ठीक रहा तो आप  इसकी छत से ईरान भी देख सकते हैं। इस बिल्डिंग में फिलहाल 160 फ्लोर हैं। और हर हफ्ते इसमें एक फ्लोर और जुड़ता जा रहा है। ये बिल्डिंग अगले साल पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। तब इसमें 35000 लोगों के लिए जगह होगी। साथ ही होगी होटल्स और ऑफिसेस। इसके 76 वीं मंजील पर होगी स्विमिंग पूल। इस बिल्डिंग को पूरा करने के लिए 5000 मजदूर दिन रात काम कर रहे हैं।

दुनिया की सम्मानित कंपनियों में RIL

रिलायंस इंडस्ट्रीज को मिला सम्मान निजी क्षेत्र की भारत की नंबर वन कंपनी रिलायंस इडस्ट्रीज ने अब दुनिया की सबसे ज्यादा सम्मानित कंपनियों की लिस्ट में अपनी जगह बना ली है। दुनिया की 100 सबसे ज्यादा सम्मानित कंपनियों में केवल एक भारतीय कंपनी रिलायंस इडस्ट्रीज को शामिल किया गया है। अमेरिकी बिजनेस डेली वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दुनिया की 100 सबसे सम्मानित कंपनियों की लिस्ट जारी की है। जिसमें पहले नंबर पर है जॉनसन एंड जॉनसन, दूसरे नंबर पर है प्रॉक्टर एंड गेम्बल और तीसरे नंबर पर है टोयोटा मोटर्स।  इस लिस्ट में रिलायंस को 83 वें नंबर पर रखा गया है। दुनिया की सबसे सम्मानित कंपनियां जॉनसन एंड जॉनसन- 1 प्रॉक्टर एंड गेम्बल -2 टोयोटा मोटर्स- 3 रिलायंस इंडस्ट्रीज- 83 रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और आरआईएल के लिए काम करने वाले हजारों कर्मचारियों सहित देश के लिए ये एक गौरव की बात है। दुनिया की 100 सबसे ज्यादा सम्मानित कंपनियों की लिस्ट में ब्रिक देशों यानी ब्राजील, रूस, भारत और चीन की हिस्सेदारी 10 फीसदी से भी कम है। इस लिस्ट में भारत की एक कंपनी और रूस की चार कंपनियों के साथ चीन और ब्राजील की केवल दो-दो कंपनियां शामिल हैं। जबकि 100 सम्मानित कंपनियों की लिस्ट में अमेरिका की 38कंपनियां और ब्रिटेन की 11 कंपनियां शामिल हैं। 100 सम्मानित कंपनियों में भागीदारी भारत - 1 रूस- 4 ब्राजील- 2 चीन- 2 अमेरिका- 38 ब्रिटेन- 11 यानी भारत में भले ही अरबपतियों की संख्यां में लगातार इजाफा हो रहा है लेकिन कंपनियों के ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अभी भी लंबी दूरी तय करने की जरूरत है।  

मंगलवार, 9 सितंबर 2008

भारत नौकरी देने में अव्वल

सबसे ज्यादा नौकरी भारत में नौकरी के लिए अब आपको विदेश जाने की जरूरत नहीं है। क्योंकि फिलहाल सबसे ज्यादा नौकरी भारत में ही उपलब्ध है। ये  बात दुनिया की नामी रिक्रुटमेंट फर्म मैनपॉवर की एक सर्वे में सामने आई है। भारत में नौकरी के हजारों अवसर पैदा होने वाले हैं। नौकरी देने के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। ग्लोबल फर्म मैनपावर के सर्वे में ये बात समाने आई है। हालांकि पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें दो फीसदी की कमी आई है। लेकिन अगर पिछले साल की चौथी तिमाही से इसकी तुलना करें तो आने वाले तीन महीनों में रोजगार के अवसर 1 फीसदी बढ़ेंगे।   लगातार दूसरी बार भारत नौकरी देने के मामले में अव्वल रहा है। हालांकि दुनिया की दूसरी कई बड़ी अर्थव्यवस्था पर इस समय मंदी की तलवार लटकर रही है। साथ ही भारत की विकास दर का 8 फीसदी के नीचे रहने का अनुमान है। ऐसे माहौल में भी भारत में नौकरी के ज्यादा से ज्यादा अवस पैदा हो रहे हैं। इस रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि  देश के पूर्वी हिस्से में इस तिमाही में सबसे ज्यादा नौकरी के अवसर पैदा होंगे। दुनिया के तैतींस देशों और भूभागों का जायजा लेने के बाद मैनपावर ने माना की सबसे ज्यादा नौकरी तो भारत में है।   ऐसा नहीं है कि सभी सेक्टरों में रोजगार बढ़ते ही जा रहे हैं। तीसरी तिमाही के मुकाबले कुछ सेक्टरों जैसे सर्विसेज, फाइनेंस, इंश्योरेंस और रियल एस्टेट में रोजगार के अवसर कुछ कम हुए हैं। जिसकी वजह है  दुनिया की कई अर्थव्यवस्था में आई हल्की सुस्ती। लेकिन इसकी कमी  माइनिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर ने पूरी कर दी है। जहां लगातार पांच तिमाही से रोजगार के अवसर बढ़ते ही जा रहे हैं। यानी आप रोजगार की तलाश में विदेश जाने की सोच रहे हैं तो टिकट कैंसिल करना ही आपके लिए उचित होगा। क्योंकि दुनिया में सबसे ज्याद नौकरी फिलहाल भारत में है। आइए नजर डालते हैं इस सर्वे के कुछ अहम प्वाइंट्स पर - अगले तीन महीनों में सबसे ज्यादा नौकरी भारत में - दुनिया में सबसे ज्यादा नौकरी भारत में - विदेशों से ज्यादा नौकरी के अवसर भारत में - पिछले साल की चौथी तिमाही से 1 फीसदी ज्यादा नौकरी - तीसरी तिमाही के मुकाबले नौकरी में 2 फीसदी की कमी - ग्लोबल मंदी का भारत पर मामूली असर - मैनपावर ने भारत में 5000 रोजगार देने वाली कंपनियों से बात की - दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में आई हल्की सुस्ती का असर कुछ सेक्टर्स पर - सर्विसेज, फाइनेंस, इंश्योरेंस और रियल स्टेट में रोजगार में हल्की कमी - माइनिंग और कंस्ट्रक्शन क्षेत्र में रोजगार के अवसर में जबरदस्त तेजी - माइनिंग और कंस्ट्रक्शन में लगातार 5 तिमाही से बढ़ रहे हैं रोजगार - पब्लिक-प्राइवेट पार्टिसिपेशन की वजह से बढ़े हैं रोजगार के अवसर - मैनपावर भारत में 7 सेक्टर्स में रोजगार देने वालों से बात की - सर्वे में फाइनेंस, रियल एस्टेट, इंश्योरेंस, मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग एंड कंस्ट्रक्शन, पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन एंड एजुकेशन शामिल - सर्विसेज, ट्रांसपोर्टेशन एंड यूटिलिटिज, होलसेल एंड रिटेल सेक्टर्स में रोजगार देने वालों से भी मैनपावर ने बात की - इस सर्वे में एशिया पैसेफिक के 8 देश शामिल - मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल और होलसेल सेक्टरों लगातार बढ़ रहे हैं रोजगार के अवसर - पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और एजुकेशन सेक्टर में पिछली तिमाही से 7 फीसदी ज्यादा रोजगार - ट्रांसपोर्टेशन और यूटिलिटी क्षेत्र में अगले तीम महीनों में 5 फीसदी ज्यादा रोजगार। - भारत के पूर्वी क्षेत्र में सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होंगे - रोजगार का दूसरा सबसे बड़ा अवसर दक्षिणी भारत में पैदा होंगे

शनिवार, 6 सितंबर 2008

अरबपति बेटियां

बिलियन डॉलर बेबीज दुनिया की सबसे अमीर यानी बिलियन डॉलर बेबीज भारत की रहने वाली हैं। जी हैं दुनिया की तीन सबसे अमीर खानदानी लड़कियां भारत की हैं। इन लकड़ियों को पास जो सम्पत्ति है वो इनके मम्मी-पापा से मिले हैं। अपनी खानदान से मिली संपत्ति के आधार पर दुनिया की 10 सबसे अमीर लड़कियों की लिस्ट अमेरिकी मैगजीन फोर्ब्स् ने जारी की है। इस लिस्ट में सबसे अव्वल हैं वनिशा मित्तल जो कि दुनिया के चौथे सबसे अमरी आदमी लक्ष्मी मित्तल की बेटी हैं। इनकी शादी हो चुकी है। 2004 में इनकी शादी पर छह करोड़ डॉलर खर्च किए गए थे। वनीशा अपने पिता की 103 बिलियन अमेरिकी डॉलर की स्टील कंपनी आर्सेलर मित्तल के निदेशक मंडल की सदस्य हैं। उनका एक भाई है, जिससे पिता की संपत्ति का अच्छा खासा अंश उन्हें विरासत में मिलने जा रहा है।   दूसरे नंबर पर आती है भारतीय उद्योग जगत की दिग्गज मुकेश अंबानी की बेटी ईशा अंबानी। जिनकी उम्र है केवल 16 साल। ईशा विरासात में मिली संपत्ति के आधार पर बनायी गई फोर्ब्स की अरबपतियों की सूची में भले ही दूसरे नंबर पर हैं पर वो सबसे युवा  हैं।   वहीं तीसरे स्थान पर हैं अरबति के पी सिंह की बेटी पिया सिंह। पिया सिंह डीएलएफ एंटरटेंनमेंट वेंचर की हेड हैं। साथ ही वो डीएलएफ की रिटेल बिजनेस की मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं।   एक ओर ये बिलियन डॉलर बेबीज विरासत में मिली संपत्ति से अरबपति हो रही है । वहीं दूसरी ओर  दुनिया के दो सबसे अमरी व्यक्तियों बिल गेट्स और वारेन बफेट ने अनपी सम्पत्ति अपने बाल-बच्चों के बदले चैरिटी में देने की घोषणा कर चुके हैं।

सोमवार, 1 सितंबर 2008

मोबाइल कस्टमर्स को ट्राई की सौगात

मोबाइल पर बात करना और हुआ सस्ता दो हजार बारह तक हर दो में से एक आदमी के हाथों में मोबाइल होगा। टेलीकॉम क्षेत्र में आई क्रांती की वजह से ये संभव हो पा रहा है। एक वो भी समय था जब लोग एक ही सांस में अपनी बातें मोबाइल पर पूरी कर लेते थे। क्योंकि प्रति मिनट कॉल चार्ज ज्यादा था। अब तो एक रूपए में देश में कहीं भी फोन घुमाया जा सकता है। इसके बावजूद सरकार लगातार मोबाइल टैरिफ कम करने सहित मोबाइल कस्टमर्स को कई तरह की राहत देने की कोशिश में लगी है। इसी के तहत आज ट्राई ने कस्टमर्स को एक बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। मोबाइल ग्राहकों के लिए एक अच्छी खबर। मोबाइल पर बात करना अब और सस्ता हो गया है। अब टॉपअप रिचार्ज पर फुल टॉक टाइम मिलेगा। टेलीकॉम रेग्युलरिटी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने टैरिफ ऑफर्स में पारदर्शिता लाने के लिए नई गाइडलाइंस जारी की हैं। इससे कंज्यूमर्स को काफी राहत मिलेगी। नई सुविधाओं के तहत अब हर टॉप अप रिचार्ज पर कंज्यूमर को फुल टॉक-टाइम मिलेगा। टेलीकॉम ऑपरेटर्स अगर कोई टैरिफ में कमी करता है तो उसका सीधा फायदा कंज्यूमर्स को मिलेगा। इसके लिए ग्राहकों को कोई फोन या एमएमएस करने की जरुरत नहीं होगी। अगर कोई ग्राहक किसी ऑपरेटर के एक लाइफटाइम प्लान से दूसरे  लाइफटाइम प्लान में शिफ्ट करता है तो इसके लिए उसे बहुत कम इंट्री फी देनी होगी। साथ ही लाइफटाइम कस्टमर्स को 6 महीने में एक एक बार ही री-चार्ज कराना होगा। प्री-पेड से पोस्ट-पेड या पोस्ट-पेड से प्री-पेड प्लान में शिफ्ट करने पर अब मोबाइल नंबर नहीं बदलेगा। ट्राई की ये गाइडलाइन 15 सितंबर से लागू होंगी।  यानी ट्राई के इस फैसले से मोबाइल ग्राहकों को न केवल ज्यादा टॉकटाइम मिलेगा बल्कि परेशानी भी कम होगी।