सोमवार, 29 सितंबर 2008

बेलआउट से पहले निवेशकों का बाउलआउट

अमेरिकी कंपनियों को बेलआउट से फायदा होगा या नहीं?... लेकिन इस बेचारे निवेशक का बाउलआउट जरूर हो गया है! अमेरीकी क्रांग्रेस ने वित्तीय संस्थानों के लिए 700 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की रुपरेखा पर रजामंदी दे दी है। इसके बावजूद एशिया, यूरोप, सहित भारतीय शेयर बाजारों पर इस खबर का असर नहीं दिखा। अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में मची तूफान का असर भारतीय शेयर बाजार में देखा जा रहा है। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में आज भारी गिरावट दर्ज की गई। सेंसेक्स और निफ्टी ने इस साल के सबसे निचले स्तर को छू लिया।  दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स करीब 700 अंक नीचे लुढ़क गया जबकि निफ्टी भी इंट्राडे कारोबार में 200 अंकों से ज्यादा फिसल गया। रियल स्टेट के कुछ शेयर तो करीब 13 फीसदी तक नीचे लुढक गए। बैंक,आईटी, कैपिटल गुड्स, पावर और ऑयल एंड गैस सेक्टर में भी भारी बिकवाली देखी गई। हालांकि आखिरी कारोबारी घंटे में निचले स्तर पर कुछ खरीदारी लौटी। जिससे बाजार निचले स्तर से कुछ ऊपर उठ सका। बाजार बंद होते समय सेंसेक्स 506 अंको की गिरावट के साथ 12595 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी में 135 अंकों की गिरावट दर्ज की गई और ये 3869 पर बंद हुआ। ऐसा नहीं है कि केवल भारतीय बाजारों में ही गिरावट देखी गई हो।  अमेरिकी फाइनेंशियल सेक्टर में छाई मंदी की मार यूरोप और एशिया सहित पूरी दुनिया की बाजारों पर देखा जा रहा है। जापान के निक्केई में करीब 150 अंकों की गिरावट देखी गई। जबकि यूरोप की फुट्सी भी 238 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ। अमरीकी फाइनेंशियल क्राइसिस से दुनियाभर में निवेशकों के पसीने छूट रहे हैं। कई निवेशक कंगाल हो गए हैं। भारत में तो कुछ ब्रोकरों ने नुकसान के दबाव में अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर दी। हालांकि अमेरिकी कांग्रेस ने बैंक और फाइनेंशियल सेक्टर की कंपनियों को दिवालिया होने से बचाने के लिए  700 अरब डॉलर की बेलआउट पैकेज की आउटलाइन पर अपनी मुहर लगा दी है। ये बेल बेलआउट पैकेज तीन चरणों में लागू किया जाएगा। 700 अरब डॉलर के बेलआउट की संभावना के बावजूद दुनियाभर के बाजारों का सेंटीमेंट्स नहीं बदला है। चारो तरफ बिकवाली हावी है। जानकारों का मानना है दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के धाराशायी होने की शुरूआत हो चुकी है। और इसे बचाने के लिए जो बेलआउट पैकेज का ऐलान किया जाने वाला है वो नाकाफी है। और सबसे बड़ी बात ये है कि इस बेलआउट पर अभी प्रतिनिधि सभा में वोटिंग होना बाकी है। अगर ये प्रतिनिधि सभा में पास होगी तभी 700 अरब डॉलर अमरीकी वित्तीय संस्थानों को मिल पाएगा।

1 टिप्पणी:

Rinku ने कहा…

you are right. by the way what abt icici bank?