रविवार, 30 नवंबर 2008

आखिर वित्त मंत्री को मिल ही गया गृह

विकास दर 8 के बाद 9 फिर 7...सेंसेक्स 5000 के बाद 21000 फिर 8000 देश के आर्थिक रिफॉर्म में अपना अहम योगदान देने वाले और दुनियाभर में भारत को एक आर्थिक ताकत का दर्जा दिलाने वाले वित्त मंत्री पी चिदंबरम यानी पालानिप्पन चिदंबरम अब हमारे नए गृह मंत्री होंगे। कांग्रेस की बहुमत वाली यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलाइंस की सरकार में चिदंबरम ने वित्त मंत्री का कार्यभार मई 2004 को संभाला। इससे पहले भी जून 1996 से मार्च 1998 तक चिदंबरम वित्त मंत्री रह चुके हैं। देश ही नहीं इंटरनेशनल बिजनेस कम्युनिटी में इनकी अच्छी पहचान है। इन्हें चैंपियन ऑफ इकॉनोमिक रिफॉर्म  भी कहा जाता है। चिदंबरम का ये मानना है कि जो देश दुनिया के बाजारों से कंपीटीशन को तैयार होगा। वो आसानी से गरीबी से निजात पा लेगा। और भारत को कंपीटीटिव बनाने के लिए चिदंबरम ने कई अहम काम किए। ये जानकर आश्चर्य होगा कि चिदंबरम ने अपनी बैचलर डिग्री चेन्नई के प्रेसीडेंसी कॉलेज से साइंस में ली है। इसके बाद मद्रास यूनिवर्सिटी के लॉ कॉलेज से इन्होंने लॉ की डिग्री भी हासिल की। इसके बाद हावार्ड के बिजनेस स्कूल से लगातार जुड़े रहे और वहां से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। हालांकि पेशे से चिदंबरम वकील है। और यही वजह है कि इन्हें देश के सीनियर प्रमुख काउंसलर के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि संवैद्यानिक और कॉरपोरेट लॉ में इनका अहम योगदार रहा है। 1969 में मद्रास हाइकोर्ट से इन्होंने अपनी करियर की शुरूआत एक वकील के तौर पर की । इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और कई राज्यों के हाइकोर्ट में इन्होंने प्रैक्टिस किया। चिदंबरम ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरूआत 60 के दशक के आखिर में यूथ कांग्रेस के जरिए शुरू की। और 1984 में पहली बार तमिलनाडु के शिवगंगा से लोकसभा के लिए चुने गए। और 1999 से 2004 को छोड़कर अबतक शिवगंगा चुनाव क्षेत्र से ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। और अबतक 6 बार संसद में अपनी जगह बना चुके हैं। चिंदबरम को सितंबर 1985 में पहली बार वाणिज्य मंत्रालय में डिप्टी मिनिस्टर के पद के लिए चुना गया। 1986 के सिविल सर्विस रिफॉर्म में चिदंबरम में अपना अहम योगदान दिए।अक्टूबर 1986 में इन्हें राज्य मंत्री बनाकर गृह मंत्राल में इंटरनल सिक्टोरिटी का जिम्मा सौंपा गया। जहां उनकी जिम्मेदारी थी घुसपैठ और आतंकवाद से निबटने की। 1991 से 92 और 1995 से 96 तक स्वतंत्र प्रभार के साथ इन्हें वाणिज्य राज्य मंत्री बनाया गया। ये वही समय था जब देश में इकॉनोमिक रिफॉर्म की शुरूआत हुई थी। प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव की इकॉनोमिक रिफॉर्म टीम में चिदंबरम का महत्वपूर्ण स्थान था। चिदंबरम का एजुकेशन - चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से साइंस में डिग्री - मद्रास यूनिवर्सिटी से लॉ किया - हावर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया कई मंत्रालय में चिदंबरम - 1985 में वाणिज्य मंत्रालय में डिप्टी मिनिस्टर बने - 1986 में राज्य मंत्री बने - गृह मंत्रालय में इंटरनल सिक्योरिटी का जिम्मा सौंपा गया - 1991 से 1992 और 1995 से 1996 तक स्वतंत्र प्रभार के साथ वाणिज्य राज्य मंत्री बनाया गया वित्त मंत्री के तौर पर चिदंबरम - पहली बार 1996 में वित्त मंत्री बने - ड्रीम बजट पेश किया - 2004 में दूसरी बार वित्त मंत्री बने - मैक्रो इकॉनोमिक मैनेजमेंट को मजबूत किया - विकास दर को 9 फीसदी के पार पहुंचाया 1 जून 1996 को पी चिदंबरम पहली बार वित्त मंत्री बने। और तब इनका कार्यकाल दो साल का यानी 18 मार्च 1998 तक का रहा। इस दौरान इन्होंने ड्रीम बजट पेश किया। जिसकी देशभर में तारीफ की गई। अपने उस ड्रीम बजट में चिदंबरम ने पर्सनल और कॉरपोरेट टैक्स की दरों में भारी कमी कर सबको चौंका दिया। मई 2004 में चिदंबरम एकबार फिर वित्त मंत्री बने। तब इन्होंने मैक्रो इकोनोमिक मैनेजमेंट को मजबूत किया। जिसके बूते लगातार तीन साल तक जीडीपी विकास दर 8 फीसदी पर रहा। और चौथे साल ये 9 फीसदी को पार कर गया। इसके साथ ही सेविंग और इन्वेस्टमेंट दरों में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला। साथ ही स्टॉक मार्केट और विदेशी निवेश में एक बूम आ गया। इस दौरान चिदंबरम ने वैट को लागू किया साथ ही फाइनेंशियल सेक्टर में एक बड़े रिफॉर्म के लिए मजबूत आधार तैयार किया। चिदंबरम को एक अच्छा स्पीकर और अंतरराष्टरीय आर्थिक कूटनीति का एक माहिर खिलाड़ी माना जाता है। विश्व व्यापार संगठन समझौते में चिदंबर में वाणिज्य मंत्री के तौर पर अपना अहम योगदान दिया। साथ ही एशियन डेवलपमेंट बैंक, जी-20, जी 8देशों में भारत की अलग पहचान दिलाई। इतने काम के बावजूद चिदंबरम दुनियाभर के इंस्टीट्यूशन औऱ यूनिवर्सिटीज में समय-समय पर अपने प्रभावी लेक्चर देते हैं। जिसकी काफी तारीफ होती है। चिदंबरम राजीव गांधी फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। चिदंबरम की पत्नी का नाम नलिनी है जिससे उनका एक बेटा भी है। चिदंबरम को तमिल लिट्रेचर काफी पसंद है। साथ ही टेनिस, बैंडमिंटन और चेस खेलना उन्हें अच्छा लगता है। चिंदबरम को गृह मंत्रालय के रूप में जो नई जिम्मेदारी दी गई है। वो काफी कठिन है क्योंकि गृह मंत्रालय के कामकाज पर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में इसपर खरा उतरना एक बड़ी चुनौती है। और इसके लिए  उनके पास समय भी बहुत कम है। क्योंकि अगले साल ही लोकसभा चुनाव होने हैं।

शनिवार, 29 नवंबर 2008

कम हुई कैश फिर भी मुकेश की ऐश

भारत के सबसे अमीर आदमी ग्लबोल मंदी के इस दौर में भारत के अरबपतियों की संपत्ति में सेंध लग चुकी है। पिछले साल के मुकाबले उनकी संपत्ति में करीब 60 फीसदी की कमी आई है। और इस गिरावट में सबसे ज्यादा 32 अरब 50 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है छोटे अंबानी यानी अनिल अंबानी को। लेकिन इस माहौल में भी संपत्ति के मामले में अपबपतियों में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ लगी है। जिनके शेयर ज्यादा गिरे वो नीचे हो गया और जिनके कम गिरे वो ऊपर हो गया। और बाजार के इसी उतार-चढ़ाव ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को पहली बार भारत का सबसे अमीर आदमी बना दिया है। जी हां अमेरिकी मैगजीन फोर्ब्स ने भारत के अरबपतियों की जो नई लिस्ट जारी की है। उसमें पहले नंबर पर मुकेश अंबानी को जगह दी गई है। मुकेश ने संपत्ति के मामले में स्टील किंग लक्ष्मी मित्तल को पीछे छोड़ दिया है। -मुकेश अंबानी के पास कुल संपत्ति 20 अरब 80 करोड़ डॉलर की संपत्ति है। जो कि पिछले साल तक 49 अरब डॉलर की थी। लेकिन पिछले साल के मुकाबले इनकी संपत्ति में 28 अरब 20 करोड़ डॉलर की गिरावट आई है। लेकिन इस गिरावट में भी मुकेश बन गए हैं विजेता। यानी कि भारत का सबसे अमीर आदमी। - पिछले कई सालों से पहले नंबर पर आसीन लक्ष्मी मित्तल भारत के सबसे अमीर आदमियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। लक्ष्मी मित्तल की संपत्ति है 20 अरब 50 करोड़ डॉलर की रह गई। लक्ष्मी मित्तल की संपत्ति में एक साल में 30 अरब 50 करोड़ डॉलर की कमी आई है। पिछले साल उनकी संपत्ति 51 अरब डॉलर की थी। - तीसरे स्थान पर हैं मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी। अनिल अंबानी की कुल संपत्ति फिसलकर पहुंच चुकी है 12 अरब 50 करोड़ डॉलर पर। मंदी के माहौल में शेयर बाजार में आई भारी गिरावट की वजह से अनिल अंबानी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। एक साल पहले अनिल के पास 45 अरब डॉलर की संपत्ति थी। यानी कि केवल 12 महीनों में 32 अरब 50 करोड़ डॉलर की सेंध अनिल अंबानी की संपत्ति में लग चुकी है। - चौथे नंबर पर हैं भारती एयरटेल के मालिक सुनील मित्तल। सुनील मित्तल की कुल संपत्ति 7 अरब 90 करोड़ डॉलर की। जो कि पिछले साल तक 19 अरब डॉलर की थी। यानी कि केवल एक साल में सुनील भारती मित्तल की संपत्ति में 11.1 अरब डॉलर की गिरावट आई है। - भारत के सबसे अमीर आदमियों में पांचवें स्थान पर हैं डीएलएफ के के पी सिंह का। के पी सिंह के पास फिलहाल 7 अरब 80 करोड़ डॉलर की संपत्ति बची है। जो कि पिछले साल थी 35 अरब डॉलर की। यानी कि एक साल में इनकी संपत्ति में 27.2अरब डॉलर की सेंध लग चुकी है। यही नहीं पिछले साल जहां एक अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति रखने वालों की संख्यां भारत में 54 थी। वो अब घटकर 27 पर पहुंच चुकी है।  

बुधवार, 5 नवंबर 2008

व्हाइट + ब्लैक = रेड

व्हाइट हाउस में ब्लैक के घुसने की खबर से बाजार हुआ लाल भले ही ओबामा की जीत का जश्न अमेरिका सहित दुनिया के कई देशों में मनाया जा रहा हो। लेकिन एशिया के ज्यादातर बाजार और यूरोपीय बाजार इस जश्न में शामिल नहीं हुए। यूरोपीय बाजार आज भारी गिरावट के साथ खुले। खुलते ही फुट्सी करीब 100अंक लुढ़क गया। ऐसा ही कुछ हाल भारतीय शेयर बाजार में भी देखा गया। बाजार की शुरूआत आज तेजी के साथ हुई और पहले ही घंटे के कारोबार में सेंसेक्स 300 अंकों से ज्यादा और निफ्टी करीब 100 अंक बढ़त बनाने में कामयाब रहा। लेकिन ओबामा के जीत के साथ ही बाजार में गिरावट शुरू हो गई। और दिनभर के कारोबार के दौरान सेंसेक्स दिन के उच्चतम स्तर से करीब 800 अंक नीचे फिसल गया। बाजार बंद होने के समय सेंसेक्स में 511 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की गई। और ये 10120 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी करीब 150 अंक लुढ़ककर तीन हजार से नीचे यानी 2994 पर बंद हुआ।  हालांकि जानकारों का मानना है कि ओबामा के जीत से इस गिरावट का कुछ लेना-देना नहीं है। लेकिन बाजार के बारे में ओबामा की नीतियां सेंटिमेंट्स बढ़ाने में कतई मददगार नहीं हैं। ओबामा अमरीकी बाजार के बेलआउट के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है कि अगर बेलआउट की जरूरत है भी तो वो वॉलस्ट्रीट में नहीं बल्कि अमेरिका के आम रास्तों पर है। जहां कि रोजगार के ज्यादा से ज्यादा अवसर पैदा किए जा सकते हैं।