सोमवार, 2 मार्च 2009

अजीत ने जीत लिया गुरू का दिल

दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने की दौड़ में मित्तल और अंबानी से आगे अजीत जैन निकल सकते हैं?! दुनिया के सबसे अमीर आदमी का उत्तराधिकारी बनेगा एक भारतीय। वारेन बफेट जो कि इस समय दुनिया में सबसे अमीर हैं। उनकी संपत्ति 62 अरब डॉलर के करीब है। साथ ही उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे का मार्केट कैप 121765 मिलियन डॉलर। जो कि गूगल,एप्पल, पेप्सिको, कोका कोला और जेनरल इलेक्ट्रिक से ज्यादा है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से बर्कशायर हैथवे अमेरिका की नौवीं सबसे बड़ी कंपनी है। और इस कंपनी की बागडोर आने वाली है एक भारतीय के हाथ। जिसका नाम है अजीत जैन।   अजीत जैन वारेन बफेट के सबसे करीबी लोगों में शामिल हैं। यही नहीं दुनिया के सबसे बड़े निवेश गुरू यानी वारेन बफेट को भी जब सलाह की जरूरत होती है तो सबसे पहले उनकी जुबान पर अजीत जैन का ही नाम आता है। वारेन बफेट ने अपने शेयरधारकों को चिट्ठी लिख ये बता दिया है कि अजीन उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं। यानी आने वाले दिनों में अजीत जैन बर्कशायर हैथवे की बागडोर संभाल सकते हैं।    आइए डालते हैं एक नजर आखिर ये अजीत जैन हैं कौन: - 1972 में आईआईटी खड़गपुर से अजीत जैन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली - 1973 में भारत में ही आईबीएम में नौकरी शुरू की - 3 साल तक आईबीएम में काम किया उसके बाद अमेरिका चले गए - 1978 में अमेरिका के हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया - कुछ साल ग्लोबल मैनेजमेंट फर्म मैकेंजी में भी काम किया - 80 के दशक में फिर भारत लौट गए - 1986 में दुनिया के सबसे अमीर आदमी वारेन बफेट की कंपनी बर्कशायर से जुड़े - बर्कशायर हाथवे के रीइंश्योरेंस डिवीजन का जिम्मा संभालते हैं - बर्कशायर हाथवे के मालिक बफेट के सबसे करीबी बन गए - बफेट किसी भी अहम फैसले के लिए अजीत जैन की राय जरूर लेते हैं - बफेट अजीत जैन को असाधारण मैनेजर मानते हैं - अजीत जैन कठिन से कठिन परिस्थिति में बेहतर फैसले लेने में माहिर हैं - अजीत जैन के वारेन बफेट की कंपनी को काफी मुनाफा कराया है हालांकि इंजीनियरिंग करने के दौरान अजीत ज्यादा मेधावी नहीं थे। पढ़ाई से ज्यादा वक्त दर्शन शास्त्र, इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, वियतनाम समस्या जैसे मुद्दों पर घंटों बहस में बिताते थे। हालांकि उनमें एक अलग तरह की प्रतिभा थी। सटीक फैसला लेने की, निवेश के लिए सही वक्त का अंदाजा लगा लेने की। शायद यही वजह है कि आज वो दुनिया के सबसे बड़े निवेश गुरू की कंपनी ही नहीं उनके दिल पर भी राज करने को तैयार हैं।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

यही सब कुछ वजहें हैं कि तकदीर पर लोगों का विश्वास बना हुआ है..नहीं तो मित्तल और अंबानी की कतार में अचानक कोई भारतीय आ जाए ऐसा संभव नहीं था।