शनिवार, 24 अक्तूबर 2009

सरकार को 60 हजार करोड़ का चूना!

सरकारी पैसा चूसने वाला वाला राजा का मनी आर्ट स्टांस टेलिकॉम मिनिस्ट ए राजा ने जनवरी 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम और टेलीकॉम सर्विस शुरू करने का लाइसेंस कौड़ियों के भाव कंपनी को बांट दिए। इससे सरकार को करीब 60 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। राजा ने ऐसा क्यों किया और इससे राजा को क्या मिला साथ ही क्यों इतनी कम कीमत पर लाइसेंस बांटी गई इसकी जानकारी हासिल करने के लिए सीबीआई रात दिन एक कर छापे मार रही है। कल देशभर में करीब 19 जगहों पर सीबीआई ने छापे मारे हैं। वहीं परसो संचार भवन पर भी सीबीआई ने छापे मार कर कुछ अहम दस्तावेज हासिल किए हैं। वर्ष 2001 में फिक्स की गई कीमत पर राजा ने जनवरी 2008 में लाइसेंस और स्पेक्ट्रम को लुटा दिया। जबकि 7 सालों में टेलीकॉम क्षेत्र में आई क्रांती की वजह से और दुनियाभर की कंपनियों की भारत पर नजर होने से कीमतें कई गुणा ज्यादा होनी चाहिए थी। लेकिन राजा ने पुरानी कीमत पर ही लाइसेंस पहले आओ पहले पाओ के आधार पर बेच दिया। कीमतों में अनदेखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि है जिन कंपनियों ने लाइसेंस और स्पेक्ट्रम खरीदे उसके कुछ दिनों बाद ही कई गुणा ज्यादा कीमत पर उसे बेच दिया। यानी बाजार में कई गुणा ज्यादा कीमत पर लाइसेंस और स्पेक्ट्रम खरीदने वाले मौजूद थे लेकिन टेलीकॉम मंत्री ए राजा ने उनकी सुध नहीं ली। स्वान ने 1537 करोड़ रुपए में देश के 13 सर्किल में टेलीकॉम सेवा शुरू करने के लिए लाइसेंस खरीदा। और एक महीने के अंदर इसका 45 फीसदी हिस्सा सउदी अरब की कंपनी अतिसलत को 4500 करोड़ रुपए में बेच दिया। ठीक इसीतरह रियल एस्टेट कंपनी यूनिटेक को 22 सर्किल में टेलीकॉम सर्विस शुरू करने के लिए केवल 1651 करोड़ रुपए में लाइसेंस बेच दिया गया। यूनिटेक ने इसका केवल 60 फीसदी हिस्सा नार्वे की कंपनी टेलीनॉर को 6120 करोड़ में बेच लिया। इन दो उदाहरणों को देखकर तो यही लगता है कि ए राजा ने कौड़ियों के भाव लाइसेंस बांटे हैं जिससे सरकार को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ए राजा डीएमके पार्टी से हैं जो कि केंद्र सरकार की सहयोगी पार्टी है। और सीबीआई भी केंद्र सरकार ही संभालती है। ऐसे में कुछ खास रिजल्ट की संभावना नहीं दिख रही है। यूपीए से डीएमके को बाहर करने के बाद ही इस महा घोटाने की जड़ तक पहुंचना केंद्र सरकार के लिए संभव हो पाएगा।

1 टिप्पणी:

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

ये चूना लगना तो उसी दिन तय हो गया था जिस दिन सरकार बनाने की बात पर ही DMK पार्टी कुंडली मार कर बैठ गई थी.

अभी तो ग़नीमत है कि जहाजरानी मंत्रालय इसकी ज़द से बच निकला बरना Palk-strait खोद डालने के नाम पर भी करोड़ों के वारे-न्यारे होने ही वाले थे. फिर भी, पूरे भारत के समुद्री तटों पर दसियों बंदरगाह बनाने की योजनाएं पहले ही स्वीकृत हो चुकी हैं. CBI को इस मंत्रालय के कार्यकलापों की भी जांच करनी चाहिए.