सोमवार, 30 मई 2011

क्या टेलीकॉम की तरह बैंकों का होगा बंदरबांट?!

रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय में नए बैंक लाइसेंस को लेकर तनातनी की स्थिति बनी हुई है। आरबीआई ने अपने ड्राफ्ट में प्रोमोटर ग्रुप और उसके ग्राहकों का बैंक के साथ होने वाले लेन देन का ब्योरा देने की बात की है। आरबीआई ने तिमाही ब्योरा लेने की बात की है। जिसपर वित्त मंत्रालय को आपत्ति है। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो रिलांयस इंडस्ट्रीज या टाटा के बैंक लाइसेंस लेने और अपने बैंक के साथ कारोबार करने का स्थिति में ग्रुप की कंपनियों का ऑडिट कराना होगा। यानी पूरी दुनिया के सामने बड़े घराने की कंपनियों की तमाम छुपी बातें खुलकर सामने आ सकती हैं। और ये बात सामने का पाएगी ग्रुप की कौन सी कंपनी बीमार है और कौन प्रॉफिट दे रही है। हालांकि नए बैंकिंग लाइसेंस पर आरबीआई की ड्राफ्ट गाइडलाइंस को वित्त मंत्रालय ने 74 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की शर्त के साथ मंजूरी दे दी है। लेकिन इसके साथ ही वित्त मंत्रालय ने आरबीआई से विशेष समिति बनाकर बैंक खोलने के प्रस्तावों पर तीन चरणों में विचार करने की हिदायत दी है। पहले चरण में आरबीआई सभी आवेदनों की जांच की बात की गई है। जबकि दूसरे चरण में उच्चस्तरीय सलाहकार समिति आवेदनों पर विचार करेगी। इस समिति में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के जानकार शामिल होंगे। यह समिति अपनी सिफारिशें आरबीआई के सामने रखेगी। लेकिन लाइसेंस पर आखिरी फैसला आरबीआई का होगा। जो कि लाइसेंस की मंजूरी दिए जाने के बाद एक साल तक लागू रहेगा। आरबीआई ने कई ऐसे इंतजाम किए हैं जिससे बैंकिंग लाइसेंस हासिल करने वाले औद्योगिक समूहों को प्रमोटर ग्रुप की दूसरी इकाइयों से दूरी बनाए रखनी होगी। साथ ही नए बैंकों को प्रमोटर ग्रुप और उनके ग्राहकों से सभी लेनदेन का तिमाही ब्योरा देना होगा। साथ ही इसकी सर्टिफाइड ऑडिटर से जांच भी करानी होगी। बैंकिंग लाइसेंस हासिल करने की होड़ में रिलायंस कैपिटल, आदित्य बिड़ला फाइनेंशियल सर्विसेज, महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंस, आईएफसीआई, आईएलएंडएफएस और बजाज फिनसर्व जैसी कंपनियां शामिल हैं।

रविवार, 29 मई 2011

लो कर लो फेरारी की सवारी

लग्ज़री कार बनाने वाली इटली की कंपनी फेरारी ने भारतीय बाज़ार में दस्तक दे दी है। कंपनी ने भारत में पहली बार दिल्ली में आधिकारिक तौर पर अपना डीलर रखा है। और अपनी कार की कीमत की शुरूआत 2 करोड़ 20 लाख रुपए से की है। कंपनी ने कैलिफोर्निया, 458 इटालिया, 599 जीटीबी फियोरानो और सबसे लेटेस्ट एफएफ जैसे पॉपुलर मॉडल को भारतीय ग्राहकों के सामने लुभाने के लिए रखा है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाज़ार यानी भारत फेरारी के लिए 58 नंबर पर है। इससे पहले 57 देशों में फेरारी की पहुंच थी। लेकिन जिस रफ्तार से भारत की तरक्की हो रही है और लोग अरबपति हो रहे हैं। उसे देखते हुए फेरारी ने भांप लिया कि अब भारतीय बाजार उसके लिए पक चुका है। और अब कंपनी को अपनी गाड़ी बेचने में कोई दिक्कत नहीं होगी। कंपनी ने अगले 2 से 3 वर्षों में 100 कार बेचने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जून के बाद मुंबई में भी डीलर रखने का फैसला किया है। कंपनी ने श्रेयंस ग्रुप को भारत में आधिकारिक तौर पर अपना इंपोर्टर बनाया है। श्रेयंस ग्रुप भारत में लग्जरी रिटेल का कारोबार करती है। यानी यॉट, सुपर बाइक्स, कीमती गहने और फैशन से जुड़ी लग्जरी वस्तुओं को भारत में बेचती है। दिल्ली में फेरारी के मॉडल कैलिफोर्निया की कीमत 2 कोरड़ 20 लाख और 458 इटालिया की कीमत 2 करोड़ 56 लाख रुपए है। जबकि 599 जीटीबी फियोरानो मिलेगी 3 करोड़ 37 लाख रुपए में और लेटेस्ट एफएफ मिलेगी 3 करोड़ 41 लाख रुपए में। फेरारी ने पिछले साल दुनियाभर में 6500 कारें बेची थी। और इस साल कंपनी का लक्ष्य 6700 कारें बेचने का है। फेरारी का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका है। यानी सबसे ज्यादा कारें अमेरिका में बिकती हैं। दूसरे नंबर पर आता है जर्मनी। वहीं एशिया में फेरारी की सबसे ज्यादा कार जापान में बिकती है।

शुक्रवार, 27 मई 2011

स्पीक एशिया की बोलती बंद

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ऑनलाइन सर्वे कंपनी स्पीक एशिया के सभी खाते सील कर दिए हैं। स्पीक एशिया पर सर्वे के नाम पर फर्जीवाड़े का आरोप है। कई ग्राहकों की शिकायत के बाद आखरिकार आरबीआई ने स्पीक एशिया पर कार्रवाई करत हुए ये कदम उठाया है। ये सिंगापुर की कंपनी है जो कि भारत में सर्वे कराने का काम करती है। लेकिन अजीब बात ये है कि कंपनी ने सर्वे के लिए देश के किसी भी शहर में कोई ऑफिस तक नहीं खोला है। फिर भी करीब 19 लाख लोग इसके सदस्य हैं। बड़े-बड़े दावे करने वाली कंपनी स्पीक एशिया की बोलती बंद है। हर सप्ताह एक हजार और महीने में चार हजार रुपए रिफंड करने वाली कंपनी का ऑनलाइन एकाउंट गड़बड़ा गया है। दरअसल कंपनी इंटरनेट के जरिये लोगों को एक पिन नंबर देती थी। जिसमें डॉलर में होने वाली कमाई रुपए में बदलता था। पिछले चार दिनों से निवेशकों को पिन नंबर ही नहीं मिल रहा था। इसकी वजह से रुपया खाते में ट्रांसफर होना बंद हो गया। इसके बाद स्पीक एशिया के मेंबर्स को ये डर सताने लगा कि कंपनी बंद ना हो जाए। क्योंकि कंपनी के नाम पर केवाल इंटरनेट की एक साइट है। स्पीकएशिया मई 2010 से भारत में ऑनलाइन सर्वे का काम कर रही है। ये कंपनी सदस्य बनाने के लिए 11,000 रुपए लेती है। महीने में कुल 8 सर्वे कराती है और बदले में हर सर्वे के लिए 500 रुपए देती है। यानी 3 महीने में 11,000 रुपए वसूल हो जाती है। इस तरह ये एक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी की तरह काम करती है। हर सर्वे में कंपनी अपने सदस्यों को एक फॉर्म देती है। जिसमें मामूली से 12 सवाल होते हैं। जैसे आप किस कंपनी की घड़ी पहनते हैं। शर्ट किस कंपनी का पहनते हैं। और सदस्य इनमें से एक सवाल का जवाब भी लिख कर भेज देता है। तो उसे 500 रुपए मिल जाते हैं। अगर किसी ने ये लिख दिया कि वो घड़ी नहीं पहनता तो भी उसे पैसे मिल जाते हैं। इतने मामूली से काम के लिए जब लोगों के एकाउंट में पैसे आने लगते हैं। तो वो एक के बाद दूसरा एकाउंट खोलने लगते हैं। जबक उनकी कुल एकाउंट की सीमा यानी तीस एकाउंट पूरे हो जाते हैं। तो वो अपने रिश्तेदार, बीबी-बच्चे के नाम से अकाउंट खोलने लगते हैं। साथ ही अनजाने में वो कंपनी के एजेंट बन जाते है और जगह जगह घूम कर एकाउंट खुलवाने लगते हैं। उनके जरिए जो भई एकाउंट खुलता है। उसका अलग से कमीशन आता है। पैसे की ये खुली बरसात के लोभ में लोग बहने लगते हैं। और एक दिन पता चलता है कि कंपनी बंद हो गाई। पिछले कई दिनों से पैसे नहीं मिलने की वजह से इसके मेंमर्स में अफरा तफरी मच गई है। और मीडिया में इस खबर के आने के बाद आरबीआई ने कंपनी के सारे एकाउंट सील कर दिए हैं। ऐसे में लाखों ग्राहकों के करोड़ों रुपए इस कंपनी में फंस गए हैं। अब सवाल ये उठता है कि आरबीआई उस कंपनी से कैसे पैसे वसूलेगी जो कि भारत में रजिस्टर्ड ही नहीं है। बस इंटरनेट पर कुछ हजार रुपए में एक डॉमेन लेकर भारत में लोगों को उल्लू बना रही है!

सोमवार, 23 मई 2011

रेनॉ की नई लग्जरी सेडान 'फ्लुएंस'

फ्रांस की कार बनाने वाली कंपनी रेनॉ के इनफ्लुएंस से बच पाना अब मुश्किल है। कंपनी ने फ्लुएंस के नाम से अपनी नई लग्जरी सेडान लांच की है। पेट्रोल और डीज़ल इंज़न में लांच की गई इस कार की दिल्ली में कीमत है 12 लाख 99 हजार से 14 लाख 40 हजार रुपए के बीच। इस सेडान कार को खासकर एशियाई बाजार को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। फ्लुएंस को रेनॉ के चेन्नई प्लांट में एसेम्बल किया गया है। भारत में एसेम्बल की गई रेनॉ की ये पहली कार है। पेट्रोल वेरिएंट में 2 लीटर का इंजन लगा है। जबकि डीज़ल वाले में 1.5 लीटर का इंजन लगाया गया है। लग्जरी सेडान सेग्मेंट में फ्लूएंस की टक्कर होगी स्कोडा लॉरा, टोयोटा कोरोला ऑल्टिस और शेवरले क्रूज़ से। हाई एंड सेडान सेग्मेंट में लीड लेने की उम्मीद से फ्लुएंस में लग्जरी का खास ख्याल रखा गया है। इसलिए इंटीरियर्स को काफी कंफर्टेबल बनाया गया है। अतरराष्ट्रीय स्तर पर रेनॉ का निसान के साथ टाई-अप है। ये दोनों कंपनियां अगले चार वर्षों में चेन्नई प्लांट में 4500 करोड़ रुपए का निवेश करेंगे। इससे बाद हर साल 4 लाख कार चेन्नई के प्लांट से बनाए जा सकेंगे। रेनॉ इंजन प्लांट लगाने पर भी विचार कर रही है। इस साल के आखिर तक रेनॉ अपनी एसयूवी लांच करेगी जिसका नाम होगा कोलियोस। इसके साथ ही अगले साल कंपनी तीन नई कार लांच करेगी।