बुधवार, 29 जून 2011

लेगार्ड बनीं IMF की पहली महिला चीफ

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोषपर यूरोपीय देशों का दबदबा कायम है। फ्रांस की वित्त मंत्री क्रिस्टीन लेगार्ड को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ का नया मैनेजिंग डायरेक्टर चुन लिया गया है। लेगार्ड को आईएमएफ की पहली महिला चीफ बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। क्रिस्टीन आगामी 5 जुलाई से अपने 5 साल के कार्यकाल का शुरुआत करेंगी। यूरोपीय देशों को कर्ज के संकट से उभारना और ग्रीस में मुद्रा संकट को दूर करना क्रिस्टीन की पहली प्राथमिकताएं होंगी। इस संकट की घड़ी में लेगार्ड की असली परीक्षा होगी। सभी आवेदकों की दावेदारी की अच्छी तरह जांच पड़ताल करने के बाद आईएमएफ के एक्स्क्यूटिव बोर्ड ने लेगार्ड को नया आईएमएफ चीफ चुना है। लेगार्डे आईएमएफ की पहली महिला चीफ हैं। उन्होंने इस पद पर चुने जाने की दौड़ में मेक्सिको के सेंट्रल बैंक की गर्वनर अगस्टिन कार्स्टे को पीछे छोड़ दिया। पूर्व आईएमएफ चीफ डोमेनिक स्ट्रॉस कान के सेक्स स्कैंडल में फंसने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिस वजह से यह पद खाली था। भारत की ओर से योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेंक सिंह अहलुवालिया ने भी इस पद के लिए दावेदारी की थी लेकिन तय सीमा से अधिक उम्र होने के कारण उनकी दावेदारी रद्द कर दी गई थी।

चवन्नी के फेस बैल्यू से बड़ा मेटल वैल्यू

अगर आपके घर में कहीं चवन्नी पड़ी हैं और उसे कल आपने बैंक में नहीं बदला। तो समझ लीजिए उसकी कीमत खत्म हो गई। क्योंकि 25 पैसे यानी चार आने के सिक्के बदलकर बड़े सिक्के या नोट लेने के लिए आपके पास केवल कल बैंक बंद होने तक का वक्त था। भारत सरकार की अधिसूचना के मुताबिक 25 पैसे के सिक्कों का कानूनी इस्तेमाल 30 जून 2011 यानी आज से बंद हो गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटे सिक्कों का डिपो रखने वाले सभी बैंकों को 29 जून 2011 के कामकाजी घंटे खत्म होने तक 25 पैसे के सिक्के लेकर उसके बदले बड़े सिक्के या नोट देने के निर्देश जारी किए गए थे। आज से 25 पैसे के सिक्के लगभग पूरी तरह से हमारी जिंदगी से गायब हो जाएंगे। साल 2002 से कोई भी सिक्का खत्म नहीं किया गया है। लेकिन 25 पैसे को अंजाम तक पहुंचाने की बड़ी वजह मुद्रास्फीति दर की रफ्तार और इसका मेटल वैल्यू है। जिसने 25 पैसे के सिक्के को उपयोग लायक नहीं छोड़ा। क्योंकि इसके फेस वैल्यू से ज्यादा इसे बनाने पर खर्च आता था। ऐसे भी महानगरों में चवन्नी का इस्तेमाल लगभग खत्म हो चुका था। मुंबई में बसें चलाने वाली और शहर में 25 पैसे के शायद सबसे ज्यादा सिक्के संभालने वाली एजेंसी बेस्ट के कंडक्टरों को चवन्नी स्वीकार करना मजबूरी थी। ऐसे में इस फैसले से दिक्कतें खत्म होंगी। रजर्व बैंक के इस फैसले से न केवल बेस्ट बल्कि मुसाफिरों को भी राहत मिलेगी। वित्त मंत्रालय और आरबीआई को ऐसी कई शिकायतें मिल रही थी कि लोग 25 पैसे के सिक्के का मैटल वैल्यू को ज्यादा यूज कर रहे हैं। यानी सिक्के को गलाकर बर्तन और दूसरी चीजें बना रहे थे। क्योंकि चवन्नी का मेटल वैल्यू इसके फेस वैल्यू से ज्यादा है। ऐसे में रिजर्व बैंक को इस सिक्के के गलत उपयोग से बचाने के लिए इसे बंद करने का फैसला करना पड़ा।

मंगलवार, 28 जून 2011

भारत में बढ़ रहा है टैबलेट पीसी बाजार

भारत में टैबलेट पीसी का बाजार हो रहा है गर्म।एक के बाद एक देशी और विदेशी कंपनियां लांच कर रहे हैं अपना टैबलेट पीस। ताइवानी कंपनी एचटीसी ने लांच किया है अपना नया टैबलेट पीसी फ्लायर। जिसकी कीमत है 39890 रुपए। फ्लायर में है 7 इंच का टच स्क्रीन और 1.5 गीगाहर्ट्ज का क्वालकॉम स्नैपड्रैगन प्रोसेसर। इसमें 1जीबी का रैम और 16 जीबी का इनबिल्ट मोमोरी है। साथ ही 5 मेगापिक्सेल का कैमरा लगा है एचटीसी के फ्लायर में। फ्लायर का कंपीटिशन भारतीय बाजार में एप्पल के आई पैड, सैमसंग के ग्लैक्सी और ब्लैकबेरी के प्लेबुक और डेल के स्ट्रीक से होगा। ब्लैकबेरी ने प्लेबुक पिछले हफ्ते लांच किया था। 16 जीब के प्लेबुक की कीमत है 27990 जबकि 32 जीबी वाले प्लेबुक की कीमत है 32990 रुपए वहीं 64 जीबी का प्लेबुक की कीमत है 37990 रुपए। जबकि आईपैड मिल जाता है करीब 29500 रुपए में वहीं सैमसंग के ग्लैक्सी की कीमत है 26000 रुपए। एप्पल के आईपैड के लांच के साथ ही टैबलेट पीसी बाजार में मच गई थी खलबली। इसके बाद कंपनियों ने अपने अपने टैबलेट पीसी के लांच की लगा दी झड़ी। और इसमें भारतीय कंपनियां भी पीछे नहीं हैं। ओलिव और स्पाइस जैसी देशी कंपनियों ने भी अपना सस्ता टैबलेट पीसी लांच कर दिया है। जानकारों की माने तो अगले एक साल में भारत में टैबलेट पीसी की संख्यां 10 लाख तक पहुंच जाएगी। 3जी सर्विस के लांच होने से टैबलेट पीसी बाजार में और तेजी आई है। क्योंकि अब लोग इसपर फास्ट इंटरनेट का मजा ले रहे हैं। तेजी से बढ़ते टैबलेट पीसी बाजार में हर कंपनियां अपना-अपना हिस्सेदारी बढ़ाना चाह रही हैं। और इसके लिए अच्छे फीचर्स और कीमतों पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इसकी पहुंच बन पाए। अगले कुछ दिनों में मोटोरोला जूम के नाम से और हुआवेई मीडिया पैड के नाम से अपना टैबलेट पीसी लांच करने वाली है।

सोमवार, 27 जून 2011

कार कंपनियों ने की ऑफर्स की बरसात

लगातार महंगे होते जा रहे पेट्रोल,डीजल और कार लोन से परेशान ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियों और डीलरों ने अपनी झोली खोल दी है। कार से दूर भाग रहे ग्राहकों को लुभाने के लिए कंपनियां ना केवल कीमत कम कर रही हैं बल्कि भारी छूट के साथ ही सस्ता कर्ज भी दिला रही हैं। मारुति,ह्युंदेई,होंडा,स्कोडा सहति कई कंपनियों ने ऑफर और छूट की कर दी है बरसात। ये कंपनियां उन कारों पर छूट दे रही हैं जिनकी बिक्री में ज्यादा कमी आई है। कार बनाने वली देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजूकी ए-स्टार पर 34,000 रुपये छूट दे रही है। वहीं ऑल्टो पर 37,500 रुपये की छूट है। वैगन-आर पर 44,000 और एस्टिलो पर 49,000 रुपये की छूट दे रही है। यही नहीं वाउचर से सोना जीतने का मौका भी ग्राहकों को दिया जा रहा है। कार बनाने वाली जापानी कंपनी होंडा सिएल ने होंडा सिटी की कीमत 66,000 रुपये कम कर दी हैं। स्कोडा इंडिया ने कॉम्पैक्ट कार फैबिया के पेट्रोल मॉडल का दाम 44,000 रुपये घटा दिया है।दिल्ली में फैबिया की कीमत 4.43 लाख रुपये थी जो अब 3.99 लाख रुपये रह गया है । ह्युंदई ने 25 जून तक खरीदी गई आई-10 और सैंट्रो पर 2,375 रुपये नकद लौटाने की पेशकश की है। इसके अलावा अन्य रियायतें और मुफ्त तोहफे भी दिए जा रहे हैं। पिछले साल के मुकाबले इस साल कार की बिक्री कम हुई है। इसकी वजह है कार लोन और पेट्रोल और डीज़ल का महंगा होना। ऐसे में अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनियों ने अपनी झोली खोल दी है। जिसका फायदा ग्राहकों को हो रहा है। इसके साथ ही कंपनियां ज्याद से ज्यादा सीएनजी वर्जन लांच करने पर विचार कर रही हैं। राजीव रंजन.

शनिवार, 25 जून 2011

कंपनियां मस्त लोग पस्त

पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे लोगों पर सरकार ने और बोझ बढ़ा दिया है। आम लोगों के खिलाफ कदम उठाते हुए डीजल,केरोसिन और रसोई गैस के दाम बढ़ा दिए हैं। सरकार के इस कदम से तेल कंपनियों और निवेशकों को भले ही फायदा होगा। लेकिन आम लोगों की स्थित बद से बदतर हो जाएगी। सरकार सब्सिडी पर हर साल खर्च होने वाले अरबों रुपए में कटौती करने के लिए कमर कस चुकी है। और इस दिशा में कदम भी उठाना शुरु कर दिया है। पहले से ही 2जी घोटाला और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर घिरी सरकार एक के बाद एक अलोकप्रिय फैसले कर रही है। सरकार ने कठोर फैसले लेते हुए डीजल प्रति लीटर 3 रुपए, केरोसिन प्रति लीटर 2 रुपए और रसोई गैस प्रति सिलेंडर 50 रुपए महंगे कर दिए हैं। सरकार की दलील है कि तेल कंपनियों के घाटे को कम करने के लिए ये फैसले लेने जरूरी थे। कीमतों में बढ़त्तरी से पहले सार्वजनिक तेल कंपनियों को डीजल की बिक्री पर प्रति लीटर 15 रुपए 44 पैसे का नुकसान हो रहा है। जबकि रसोई गैस की बिक्री पर प्रति सिलेंडर 381 रुपए 14 पैसे का घाटा कंपनियों को उठाना पड़ रहा था। जबकि केरोसिन की बिक्री पर प्रति लीटर 27 रुपए 47 पैसे का नुकसान तेल कंपनियों को हो रहा था। सरकार के इस फैसले से सार्वजनिक तेल मार्केटिंग कंपनियों के कुल 171140 करोड़ रुपए के नुकसान में करीब 21000 करोड़ रुपए की कमी आएगी। लेकिन आम लोगों पर इसकी मार बढ़ेगी। क्योंकि भारत में ज्यादातर माल की ढुलाई डीजल गाड़ियों से होती है। यानी की आने वाले दिनों में माल भाड़े में बढ़ोतरी होगी। जिसका असर खाने-पीने के सामानों और दूसरे सामानों की कीमतों पर देखने को मिलेगी। तेल कंपनियों को राहत देने के लिए सरकार को अपनी कमाई की भी अनदेखी करना पड़ा। सरकार ने कच्चे तेल के आयात शुल्क को मौजूदा 5 प्रतिशत से घटाकर शून्य करने और डीजल पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से घटाकर 2.5 प्रतिशत करने का फैसला किया है। इसके साथ ही प्रति लीटर डीजल पर लगाए जाने वाले 4.60 रुपए के केंद्रीय उत्पाद शुल्क में भी 2 रुपए 60 पैसे की कटौती कर दी है। इससे सरकार को चालू वित्त वर्ष में 49,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। सरकार की मंसा धीरे-धीरे सब्सिडी को पूरी तरह खत्म करने का है। हालांकि सब्सिडी की चादर हटने से केरोसिन के दाम तीन गुना हो जाएंगे। जबकि घरेलू रसोई गैस की कीमत दोगुनी हो जाएगी। गरीबों को राहत देने के लिए सरकार उन्हें कैश देने पर विचार कर रही है। तेल और गैस पर से सब्सिडी हटने से रिलायंस, एस्सार और शेल जैसी निजी कंपनियों के लिए यह बाजार आकर्षक हो जाएगा। क्योंकि भारतीय तेल बाजार में सरकारी कंपनियों की तूती बोलती है। रिलायंस ने अपना तेल की रिटेल मार्केटिंग शुरू की थी लेकिन उसके अपना बिजनेस बंद करना पड़ा था। सऊदी अरामको और कुवैत पेट्रोलियम जैसी कई विदेशी कंपनियां पहले ही कह चुकी हैं कि अगर भारत में सब्सिडी खत्म होती है तो वे भारत में रीटेल ईंधन बाजार में उतरेंगे। ऐसे में सरकार पर ऊंगली उठ रही है कि कहीं इन कंपनियों के फायदे के लिए सरकार ये कठोर फैसले तो नहीं ले रही?!!

बुधवार, 22 जून 2011

घर खरीदारों को रुला रहे हैं बिल्डर्स

देश में करोड़ों लोग घर का सपना देख रहे हैं। जो पूरा नहीं हो पा रहा है। क्योंकि फ्लैट की कीमतें आसमान पर पहुंच चुकी हैं। लेकिन उनलोगों के घर का सपना भी नहीं पूरा हो पा रहा है। जिन्होंने घर बुक करा ली है और लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं। क्योंकि देशभर में रियल एस्टेट की हालत खस्ती होती जा रही है। लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद देशभर में लोगों को समय पर फ्लैट नहीं मिल पा रहा है। बिल्डर्स बढ़ते कंस्ट्रक्शन कॉस्ट, लेबर की कमी, फंड के आभाव का रोना रो रहे हैं। देश के कई छोटे बड़े बिल्डर्स के प्रोजेक्ट एक से दो साल पीछे चल रहे हैं। ऐसे में कंज्यूमर्स की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। क्योंकि उनपर इएमआई का बोझ लगातार बढ़ रहा है। साथ ही उन्हें किराए के मकान में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है। डीएलएफ, एमार एमजीएफ, ओमैक्स जैसी कई रियल एस्टेट कंपनियां कर्ज का भुगतान और प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कम उपयोगी ज़मीन को बेच रहे हैं। होम लोन दरों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से घर की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में बिल्डर्स को नए प्रोजेक्ट के नाम पर अब कम कमाई हो रही है। दिल्ली, मुंबई, पुणे और एनसीआर सहित देशभर के लगभग सभी शहरों में यही हालत हैं। 2008 की मंदी के बाद रियल एस्टेट कंपनियों ने धरल्ले से नए प्रोजेक्ट का ऐलान तो कर दिया। और उन प्रोजेक्ट की बुकिंग एमाउंट भी ले ली। यहां तक कि कुछ लोगों ने फ्लैट के 90 फीसदी तक पैसे भी दे दिए हैं। लेकिन 2010 में मिलने वाला फ्लैट अभी तक उन्हें नहीं मिल पाया है। यानी पैसे खर्च करने के बाद भी घर का सपना, सपना ही बना हुआ है।

मंगलवार, 21 जून 2011

नोकिया का सिकुड़ता मोबाइल बाजार

नोकिया का नया मोबाइल फोन एन9 मोबाइल बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी नोकिया को स्मार्टफोन और सस्ते फोन बाजार में जबरदस्त टक्कर मिल रही है। अपने लुढ़कते स्मार्टफोन बाजार को बचाने के लिए नोकिया ने आज सिंगापुर में एक नया मोबाइल फोन एन9 लांच किया है। सिंगापुर में चल रहे एक टेलीकॉम कांफ्रेंस में नोकिया ने अपना ये नया स्मार्टफोन को उतारा है। हालांकि कमर्शियली इस फोन का लांच बाद में किया जाएगा। नोकिया का ये पहला और आखिरी स्मार्टफोन है जो कि मीगो प्लेटफॉर्म पर काम करेगा। क्योंकि नोकिया ने मीगो को आगे इस्तेमाल नहीं करने का ऐलान कर दिया है। इसके बदले नोकिया आने वाले दिनों में अपने ज्यादातर स्मार्टफोन में माइक्रोसॉफ्ट विंडो का इस्तेमाल करेगा। एक समय था जब मोबइल बाजार में नोकिया की तूती बोलती थी। हर किसी के हाथ में नोकिया का हैंडसेट दिखाई देता था। लेकिन समय के साथ नोकिया का बाजार बहुत तेजी से फिसला है। दुनियाभर के बाजारों में स्मार्टफोन सेग्मेंट में नोकिया को सैमसैंग के स्मार्टफोन, एप्पल के आईफोन और गूगल के एंड्रॉयड फोन से जबरदस्त टक्कर मिल रही है। रिसर्च फर्म नोमुरा की माने तो इस तिमाही में स्मार्टफोन सेग्मेंट में सैमसंग ने बाजी मारते हुए नोकिया को दूसरे पायदान पर पहुंचा दिया है। नोमुरा के रिसर्च में कहा गया है कि अगले तिमाही तक एप्पल नोकिया की जगह यानी दूसरे पायदान पर पहुंच जाएगा और नोकिया को तीसरे स्थान पर धकेल देगा। अगर सस्ते फोन की बात करें तो एशिया के सस्ते फोन बाजार में पहले से ही नोकिया की स्थिति खराब होती जा रही है। क्योंकि जेडटीई, माइक्रोमैक्स, स्पाइस मोबाइल जैसी कंपनियों ने एशइयाई बाजार में सस्ते मोबाइल की बाढ़ सी ला दी है। ऐसे में फिनलैंड की कंपनी नोकिया को एकबार फिर से पूरी तैयारी के साथ बाजार में आना होगा। तभी ये अपना बचाखुचा बाजार को सुरक्षित रख पाएगी। कंपनी को उम्मीद है कि अगले कुछ महीनों में जब माइक्रोसऑफ्ट के साथ मिलकर कंपनी एक के बाद एक प्रोडक्टर दुनियाभर के बाजार में उतारेगी तो कंपनी की बिक्री में फिर से सुधार दिखाई देने लगेगा।

मंगलवार, 14 जून 2011

मध्य एशिया में बढ़ा रहा चीन अपना दबदबा

मध्य एशिया में अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए चीन शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी सीएसओ की ताकत बढ़ा रहा है। सीएसओ की अगली बैठक कज़ाकिस्तान की राजधानी एस्टाना में 15 और 16 जून को होने वाली है। जिसमें रुस और ईरान के साथ भारत भी शामिल हो रहा है। इस बैठक में अंतरराष्ट्रीय मुद्दों सहित ड्रग्स और आतंकवाद पर चर्चा होगी। कजाकिस्तान की राजधानी एस्टाना में होने वाली बैठक में रुस के राष्ट्रपित डेमिट्री मेदवेदेव हिस्सा ले रहे हैं। इससे ये बैठक और अहम हो जाती है। क्योंकि रुसी राष्ट्रपति बैठक के दौरान ईरान के राष्ट्रपति मोहम्मद अहमदीनेजाद और अफग़ानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई से मुलाकात करेंगे। शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के जरिए चीन सेंट्रल एशिया में अपने प्रभाव बढ़ाने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर अमेरिका के खिलाफ एक धुरी तैयार करने में लगा है। साथ ही सेंट्रल एशिया में तेल के खजाने पर अपना बर्चस्व बनाने में लगा है। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन में चीन,रुस,किर्गिस्तान,कजाकिस्तान, तज़ाकिस्ता और उजबेकिस्तान सहित कुल छे स्थाई सदस्य हैं। जबकि ईरान, भारत, मंगोलिया, औऱ पाकिस्तान इस संगठन में ऑब्जर्बर की भूमिका में हैं। शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन का प्रभाव पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ा है। और आने वाले दिनों इसके और बढ़ने के अनुमान हैं। पिछले कुछ सालों में इस ऑर्गेनाइजेशन ने सेंट्रल एशिया में कई ज्वाइंट मिलिट्री एक्सराइज भी किए हैं।

सोमवार, 13 जून 2011

इंश्योरेंस क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज

मुकेश अंबानी ने अपने छोटे भाई अनिल अंबानी के क्षेत्र में कदम रख दिया है। मुकेश की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भारती एक्सा में भारती की हिस्सेदारी खरीदने का फैसला किया है। इंश्योरेंस क्षेत्र में अनिल अंबानी की कंपनी पहले से काम कर रही है। यानी आने वाले दिनों में दोनों भाईयों के बीच बिजनेस को लेकर हो सकता है टशन। आने वाले दिनों में आरआईएल यानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लाइफ इंश्योरेंस और जनरल इंश्योरेंस की पॉलिसी बेचेगी। यानी अब बड़े भाई का मुकाबला होगा छोटे भाई की दो कंपनियों से। जसके नाम हैं रिलायंस लाईफ और रिलायंस जेनरल इंश्योरेंस। तेल और गैस कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी गैस ट्रांसपोर्टेशन इकाई रिलायंस इंडस्ट्रियल इंफ्रा मिलकर भारती एक्सा जीवन बीमा और जनरल बीमा में 74 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेंगी। सुनील मित्तल के भारती एंटरप्राइजेज ने 2006 में इन कंपनियों की शुरुआत फ्रांस की एक्सा के साथ की थी। भारती एक्सा लाइफ इंश्योरेंस और भारती एक्सा जनरल इंश्योरेंस की बाजार हिस्सेदारी दो फीसदी से कम है। इस डील से एक्सा को दोनों कंपनियों में अपना हिस्सा बढ़ाकर 50 फीसदी करने का मौका भी मिल सकता है। इससे रिलायंस के साथ वह दोनों वेंचर में बराबर की पार्टनर हो जाएगी। रिलायंस और एक्सा के संयुक्त बयान में कहा गया है कि अगर सरकार बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाती है तो ऐसा हो सकता हैं। नहीं तो बाद में फिर आरआईएल 24 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेगी । लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ज्वाइंट वेंचर पर कामकाजी नियंत्रण फ्रांस की कंपनी एक्सा की होगी। जानकारों का मानना है कि भले ही भारती एक्सा का मार्केट शेयर फिलहाल 2 फीसदी से कम है। लेकिन आने वाले दिनों में ये इंश्योरेंस क्षेत्र की दूसरी कंपनियों को कड़ी टक्कर दे सकती है। क्योंकि एक्सा का इंश्योरेंस बिजनेस में अच्छी पकड़ है और आरआईएल के पास कैश की कमी नहीं है। यानी कि जैसे जैसे ये कंपनी आगे बढ़ेगी इसका असर छोटे अंबानी की इंश्योरेंस कंपनियों पर जरुर दिखेगी।

मारुति हड़ताल का दसवां दिन

मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में हड़ताल आज दसवें दिन भी जारी है। इस हड़ताल की चिनगारी अब गुड़गांव के आस पास की दूसरी कंपनियों पर भी पड़ने लगी है। मानेसर प्लांट के कर्मचारी नए संगठन मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन को मान्यता देने की मांग पर अड़े हैं। जबकि मैनेजमेंट इसे मानने को तैयार नहीं है। ना तो कर्मचारी झुकने को तैयार हैं और ना ही मैनेजमेंट। इस हड़ताल का असर अब आस पास की दूसरी ऑटो और ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों पर भी दिखाई देने लगी है। मारुति के मैनेजमेंट के खिलाफ होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स के एमप्लॉज यूनियन ने भी अपने प्लांट में एक दिन की हड़ताल की घोषणा की है। रिको ऑटो के वर्कर्स यूनियन भी मारुति के मैनेजमेंट के विरोध में हड़ताल का मन बना रहे हैं। इसके साथ ही दो दर्जन से ज्यादा ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों के यूनियन ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है। इस हड़ताल से अबतक ऑटो इंडस्ट्री को करीब 2500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। और अगर मारुति की बात करें तो इस हड़ताल की वजह से मारुति की करीब 9000 कारें फैक्ट्री से नहीं निकल पाई है। जिससे कंपनी को लगभग 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट के करीब 2000 कर्मचारी शनिवार से ही हड़ताल पर हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए प्रबंधन ने कर्मचारियों से कई दौर की बातचीज हो चुकी है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन नाम के नए संगठन को मान्यता देने की मांग को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि मानेसर प्लांट में गुड़गांव प्लांट के कर्मचारियों की बहुमत वाली मारुति सुजुकी कामगार यूनियन का बोलबाला है। जिसमें उनकी कुछ नहीं सुनी जाती है। वहीं मैनेजमेंट का कहना है कि जब एक कामगार यूनियन है ही तो दूसरी इंप्लॉयज यूनियन की क्या ज़रूरत है। मानेसर और गुड़गांव के इलाके से देश की आधी कार और बाइक बनकर निकलती है। ऐसे में मारुति की हड़ताल अगर जल्द से जल्द खत्म नहीं हुई तो इससे मारुति के साथ ही ऑटो इंडस्ट्री को इससे बहुत बड़ी क्षति पहुंच सकती है।

सोमवार, 6 जून 2011

मारुति के मानेसर प्लांट में हड़ताल जारी

यूनियन के वर्चस्व की राजनीति की वजह से देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में आज तीसरे दिन भी हड़ताल जारी है। कर्मचारी मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। हड़ताल खत्म करने के लिए कंपनी के प्रबंधकों और कर्मचारी यूनियन के बीच बातचीत चल रही है। मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में कर्मचारी शनिवार से हड़ताल पर हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए प्रबंधन ने कर्मचारियों से तीन दौर की बातचीज की है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन नाम के नए संगठन को मान्यता देने की मांग को लेकर मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट के 2 हजार कर्मचारी हड़ताल पर हैं। कर्मचारियों का कहना है कि मानेसर प्लांट में मारुति सुजुकी कामगार यूनियन का बोलबाला है। और यही यूनियन गुड़गांव प्लांट में अपना नियंत्रण रखती है। इससे मानेसर के कुछ कर्मचारी खुश नहीं हैं। वे अब यहां अपने नए यूनियन को मान्यता दिलान चाहते हैं। यानी मानेसर प्लांट में लड़ाई यूनियन के वर्चस्व की है। ऐसा माना जा रहा है कि मारुति प्रबंधन इस मामले को कड़ाई से निबटना चाहता है। इस हड़ताल की वजह से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। शनिवार की हड़ताल से 650 कारों का उत्पादन नहीं हो सका। साथ ही शेयर बाजार के शुरुआती कारोबार में आज मारुति के शेयर करीब पौने दो फीसदी लुढ़क गया। इस हड़ताल को कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े यूनियन एआईटीयूसी का समर्थन है। एआईटीयूसी मानेसर और आसापास के इलाके में मजबूत होती जा रही है। वह यहां की ऑटो कंपनियों पर अपना दबाव बना रही है। इस हड़ताल की वजह से मारुति सुजुकी को प्रोडक्शन के साथ ही प्लांट के विस्तार योजनाओं में रुकावटें आ रही है। मारुति के प्लांट में आखिरी बार नवंबर 2000 में हड़ताल हुई थी जो कि करीब 3 महीने बाद यानी जनवरी 2001 में खत्म हुई थी। फिलहाल इस प्लांट से कंपनी हर दिन 1200 गाड़ियों का प्रोडक्शन करती है। जिसमें स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, ए-स्टार और एसएक्स4 शामिल हैं।

शनिवार, 4 जून 2011

मिस्र के साथ व्यापारिक रिश्ते और मज़बूत होंगे

भारत और मिस्र ने आपसी कारोबार और निवेश बढ़ाने पर जोर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते ओर मजबूत होंगे। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और मिस्र के विदेश मंत्री नाबिल अल अरेबी से मुलाकात के दौरान तय हुआ कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर आपस में आम सहमति बनाएंगे। वैसे तो मिस्र से भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं, फिर भी रिश्तों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने आपसी व्यापार में तेजी लाने का आश्वासन दिया है। लीबिया में फंसे 16 हजार भारतीयों को वापस लाने में भी मिस्र ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने मिस्र की सरकार को शुक्रिया कहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट कनेक्टिविटी और टेलीमेडिसीन के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने की बात हुई है। कृष्णा को उम्मीद है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे, क्योंकि मिस्र के साथ ही जिस तरह से अरब देशों में बदलाव हुए हैं ऐसी स्थिति में भारत मिस्र के साथ सहयोग को ऊपरी स्तर तक ले जाना चाहता है। फिलहाल भारत की करीब 45 कंपनियां मिस्र में काम कर रही हैं, जिनमें टाटा मोटर्स, रैनबैक्सी, एशिएन पेंट्स, अशोक लेलैंड, एनआईआईटी, गेल, एचडीएफसी और डाबर इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। भारत से स्टील, जूट यार्न, प्लास्टिक, रबर, कैमिकल और इंजीनियरिंग गुड्स जैसी चीजों का एक्सपोर्ट किया जाता है। मिस्र में भारतीय कंपनियों का कुल निवेश ढाई अरब डॉलर से ज्यादा है। भारत ने मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना में भी सहयोग देने का भरोसा दिया है।

बाबा रामदेव का बिज़नेस

जिस गति से बाबा रामदेव के योग का प्रचार प्रसार हुआ है, बाबा के कारोबार में भी उसी तेजी से तरक्की दर्ज की गई। चार्टर्ड विमान से सफर करने वाले बाबा का बिजनेस साम्राज्य अरबों रुपए का हो चुका है। बाबा के ट्रस्ट के नाम विदेशों में एक टापू और कई एकड़ ज़मीन भी है। बाबा के शरीर पर भले ही गेरुआ वस्त्र दिखता हो और जुबान पर गरीबों की हिमायत की बात होती हो, लेकिन बाबा के बटुए में है अरबों रुपए। बाबा के पतंजलि योग पीठ की संपत्ति करीब 1100 करोड़ रुपए की है। बाबा के चेलों में सैकड़ों नामी गिरामी हस्तियां शामिल है, जो आए दिन बाबा पर पैसों की बरसात करती रहती हैं। बाबा के शिविर में ज्यादा पैसे खर्च करने बाले उऩके ज्यादा करीब पहुंच पाते हैं। योग सीखने के लिए अगली कतार में बैठने वालों से बाबा 50 हजार रुपए लेते हैं। अगर कोई 30 हजार रुपए ही खर्च कर सकता हो तो उसे बीच की सीट मिलेगी। वैसे आखिरी लाइन के लिए भी फीस 10 हजार रुपए हैं। योग गुरु का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट पतांजलि योग पीठ है। ये रजिस्टर्ड योग पीठ आर्युवेद और योग के प्रचार और प्रसार का काम करती है। योग और आयुर्वेदिक दवाइयां बाबा के दो मुख्य प्रोडक्ट हैं, जिनसे करोड़ों की कमाई होती है। अगर बाबा रामदेव के बिजनेस साम्राज्य की बात करें तो उसमें शामिल है हॉस्पिटल, वेलनेस सेंटर, कॉलेज और बहुत सारे हर्बल प्रोडक्ट्स। बाबा के पास विदेश में एक आईलैंड यानी टापू भी है, जिसकी कीमत है 20 लाख पाउंड। इस आईलैंड पर बाबा वेलनेस सेंटर चलाते हैं। आयुर्वेदिक दवाइयों से हर महीने करीब 25 करोड़ रुपए की कमाई होती है। इसी तरह किताब और सीडी की बिक्री से हर महीने 2 से 3 करोड़ रुपए की कमाई हो जाती है। बाबा के बिजनेस का मेन सेंटर हरिद्वार है, जो करीब 600 एकड़ में फैला हुआ है। इसमें 500 करोड़ की लागत से बना और 500 एकड़ में फैला एक फूड पार्क है। बाबा के एक भक्त ने तो उन्हें अमेरिका में 95 एकड़ जमीन भेंट में दी है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दिल्ली में सरकार से दो-दो हाथ करने से पहले बाबा राम देव मल्टीनेशनल कंपनियों से भी लोहा ले चुके हैं। इनका मानना है कि भारत में रहने वालों को भारतीय भाषा बोलना चाहिए। साथ ही भारतीय कपड़े और ड्रिंक्स का इस्तेमाल करना चाहिए। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पाने वाले और 9 साल की उम्र में घर छोड़ कर भाग जाने वाले बाबा रामदेव के पीछे आज पूरे मुल्क के लोग भाग रहे हैं। योग और आयुर्वेद के फायदे के बाद बाबा ने अपने भक्तों को ब्लैक मनी का गणित समझा दिया है। इसमें भी बाबा काफी हद तक कामयाब हैं।

अमेरिका में कुछ कम हुए बेरोज़गार

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक हुसैन ओबामा को कई क्षेत्रों में लगातार सफलता मिल रही है। ओबामा को पहला तमगा ओसामा बिन लादेन की हत्या के बाद मिला। उसके तुरंत बाद अब अमेरिका में रोजगार के अवसर भी बढ़ने लगे हैं। यानी ओबामा की स्थिति और मजबूत होती जा रही है। अमेरिका में बेरोजगारी भत्ता पाने वालों में पिछले हफ्ते 6,000 लोगों की कमी आई है। जिससे अमेरिका में बेरोजगारी भत्ता पाने वालों की संख्यां घटकर 4,22,000 हो गई हैं। लगातार चार हफ्तों तक बेरोजगारी भत्ते का दावा करने वाले लोगों की संख्या को अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए अहम माना जाता है। और इन चार हफ्तों में 14,000 दावों में कमी आई है। अमेरिका के श्रम विभाग के अनुसार 21 मई को खत्म हुए हफ्ते में अमेरिका में बेरोजगारी भत्ता प्राप्त करने वाले लोगों की संख्यां 37.1 लाख रही। मई 2011 में अमेरिका में बेरोजगारी दर 9.1 प्रतिशत के स्तर पर रहा। जो कभी 10 फीसदी के करीब था। हालांकि अब भी ये मई 2008 के 5.4 फीसदी से काफी ज्यादा है। लेकिन तीन साल पहले पूरी दुनिया मंदी की चपेट में थी। अमेरिका में सबसे ज्यादा 16.3 फीसदी की बेरोजगारी कंस्ट्रक्शन सेक्टर में है। 10.6 फीसदी के साथ हॉस्पिटलिटी सेक्टर दूसरे नंबर पर है। जबकि सर्विस सेक्टर में 9.8 फीसदी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 9.6 फीसदी बेरोजगारी है। सबप्राइम संकट के बाद से लगातार अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति खराब हो रही थी। जिसमें पहली बार सुधार देखने को मिल रहा है। इसका फायदा आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में बराक हुसैन ओबामा को मिल सकता है और वो दूसरी बार अमेरिका की राष्ट्रपति बन सकते हैं।

गुरुवार, 2 जून 2011

लैंड बैंक के लिए ममता का अलग फॉर्मुला

भूमि अघिग्रहण कानून पर यूपीए के सहयोगी दलों में ही सहमति नहीं है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाइजरी काउंसिल ने सौ फीसदी ज़मीन अधिग्रहण में सरकार की भूमिका की सिफारिश की है। लेकिन यूपीए की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इससे सहमत नहीं है। सोनिया गांधी चाहती हैं कि जमीन के अधिग्रहण में सरकार की हिस्सेदारी होनी चाहिए। और उनकी अध्यक्षता में नेशनल एडवाइजरी काउंसिल ने ये सुझाव सरकार को भेज भी दिए हैं। जिसे सरकार ने स्वीकर करते हुए इसे नए भूमि अधिग्रहण कानून में बनाते समय ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है। हालांकि सरकार के इस कदम का तृणमूल कांग्रेस विरोध कर रही है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण को लेकर ममता का नजरिया कुछ अलग है। ममता बैनर्जी पश्चिम बंगाल में रिफॉर्म के लिए एक लैंड बैंक बनाना चाह रही हैं। इसके लिए ममता ने जिलाधिकारियों को आदेश भी दे दिया है। लेकिन ये ज़मीन किसानों की नहीं बल्कि सरकार की होगी। जी हां ऐसे कई सरकारी उपक्रम हैं जिसके पास सैकड़ों एकड़ ज़मीन हैं जिसका सालों से कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। हालांकि ममता बैनर्जी के फॉर्मुले पर अर्थशास्त्रियों की सहमति नहीं मिल पर रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है ज़रुरत वाली ज़मीन सरकार के पास पहले से मौजूद हो ऐसा संभव नहीं है। साथ ही ये मायने रखता है कि उस ज़मीन के आसपास कैसा इंफ्रास्ट्रक्चर है। लेकिन ममता बैनर्जी ने नए फॉर्मुले से लैंड बैंक बनाने की शुरूआत कर दी है। और इसके लिए राज्य के 19 जिला अधिकारियों को आदेश भी दे दिए। और उन्हें 30 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अगर ममता इस काम में सफल होती हैं। तो यूपीए सरकार के लिए ये के सीख होगी। और इसकी झलक नए भूमि अधिग्रहण कानून में भी देखने को मिल सकती है।

शेयर बाजार स्पेक्युलेटर्स का बाजार नहीं: सेबी

शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने कहा कि शेयर बाजार को स्पेक्युलेटर्स का बाजार नहीं माना जाना चाहिए। सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि शेयर बाजार में निवेश की प्रक्रिया को और सरल बनाया जाएगा। क्योंकि रिटेल निवेशकों की शेयर बाजार में भागीदारी अभी भी काफी कम है। यूके सिन्हा ने कहा कि भारत में अभी भी रिटेल यानी छोटे निवेशकों की भागीदारी केवल 8 फीसदी के करीब है। जो कि चीन, दक्षिण कोरिया और ब्राजील जैसे देशों में रिटेल निवेशकों की भागीदारी करीब 20 से 30 फीसदी के बराबार है। इसके साथ ही सेबी के चेयरमैन ने कहा कि आईपीओ के प्रॉसेस को भी आसान बनाया जाएगा। आईपीओ का प्रॉस्पेक्टस इस समय बहुत बड़ा है। इसे छोटा किया जाएगा और आईपीओ फॉर्म को भी और आसान बनाया जाएगा। इस दिशा में काम शुरू हो चुका है। और बहुत जल्द इसे पूरा कर लिया जाएगा। सिन्हा ने कहा कि रेग्युलेटर्स अब टेक सेवी हो चुका है और कुछ समय में वर्ल्ड क्लास की सर्विस देने वाला बन जाएगा। यूके सिन्हा ने कहा कि सेविंग मनी को इन्वेस्टमेंट की तौर पर यूज किया जाना चाहिए। इससे इकॉनोमी को फायदा होगा। सेबी के चेयरमैन ने कहा कि पेंशन फंड के पैसों का निवेश भी शेयर बाजार में होना चाहिए।