शनिवार, 4 जून 2011

मिस्र के साथ व्यापारिक रिश्ते और मज़बूत होंगे

भारत और मिस्र ने आपसी कारोबार और निवेश बढ़ाने पर जोर दिया है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते ओर मजबूत होंगे। विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और मिस्र के विदेश मंत्री नाबिल अल अरेबी से मुलाकात के दौरान तय हुआ कि दोनों देश अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर आपस में आम सहमति बनाएंगे। वैसे तो मिस्र से भारत के रिश्ते हमेशा से अच्छे रहे हैं, फिर भी रिश्तों को और मजबूत करने के लिए दोनों देशों ने आपसी व्यापार में तेजी लाने का आश्वासन दिया है। लीबिया में फंसे 16 हजार भारतीयों को वापस लाने में भी मिस्र ने अहम भूमिका निभाई थी। इसके लिए विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने मिस्र की सरकार को शुक्रिया कहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि टेक्नोलॉजी, सैटेलाइट कनेक्टिविटी और टेलीमेडिसीन के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने की बात हुई है। कृष्णा को उम्मीद है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच रिश्ते और मजबूत होंगे, क्योंकि मिस्र के साथ ही जिस तरह से अरब देशों में बदलाव हुए हैं ऐसी स्थिति में भारत मिस्र के साथ सहयोग को ऊपरी स्तर तक ले जाना चाहता है। फिलहाल भारत की करीब 45 कंपनियां मिस्र में काम कर रही हैं, जिनमें टाटा मोटर्स, रैनबैक्सी, एशिएन पेंट्स, अशोक लेलैंड, एनआईआईटी, गेल, एचडीएफसी और डाबर इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। भारत से स्टील, जूट यार्न, प्लास्टिक, रबर, कैमिकल और इंजीनियरिंग गुड्स जैसी चीजों का एक्सपोर्ट किया जाता है। मिस्र में भारतीय कंपनियों का कुल निवेश ढाई अरब डॉलर से ज्यादा है। भारत ने मिस्र में लोकतंत्र की स्थापना में भी सहयोग देने का भरोसा दिया है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

जहां तख्ता पटल हो गया वहां भी दोस्ती और लीबिया जहां तख्ता पटल नहीं हुई वहां भी समर्थन..ये बिल्कुल अमेरिका की नीति है अमेरिका भी भारत के साथ ऐसा ही करता है..पाकिस्तान से दोस्ती और भारत से भी दोस्ती.