गुरुवार, 7 जुलाई 2011

RIL लूटती रही देवड़ा मुरली बजाते रहे

कॉरपोरेट मामलों के मंत्री मुरली देवड़ा का जाना लगभग तय है। भले ही वो अपने इस्तीफे की पेशकश को अपनी निजी कारणों से जोड़ रहे हैं। लेकिन इसके पीछे की राजनीति कुछ और है। दरअसर कैग की रिपोर्ट में मुरली देवड़ा पर कई आरोप लगाए गए हैं। ऐसे में सरकार ने उन्हें कैबिनटे में फेरबदल से पहले ही मंत्रीमंडल से किनारा कर लेने की सिग्नल दे दी है। क्योंकि ए राजा के नाम पर सरकार की पहले ही काफी फजीहत हो चुकी है। और अब मुरली देवड़ा के नाम पर सरकार और फजीहत नहीं झेलना चाह रही है। कॉरपोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा ने यूं ही इस्तीफे की पेशकश नहीं की। बतौर पेट्रोलियम मंत्री रिलायंस पेट्रोलियम को लाभ पहुंचाने की उनकी भूमिका पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक यानी कैग की ओर से सवाल के बाद उनका जाना ऐसे भी लगभग तय था। और इसके संकेत उन्हें मिल चुके थे। ऐसे में सम्मानजनक स्थिति को बनाए रखने के लिए उन्होंने मंत्री पद से खुद इस्तीफा दे देना ही मुनासिब समझा। कैग की रिपोर्ट सरकार के लिए गले की फांस बन सकती है। क्योंकि इस रिपोर्ट में मुरली देवड़ा पर उंगली उठाई गई है। इसमें कहा गया है कि साल 2006 से साल 2011 के बीच पेट्रोलियम मंत्री रहते हुए मुरली देवड़ा ने मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा पहुंचाया है। कैग के रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज को एक्सप्लोरेशन के लिए तय सीमा से ज्यादा समय दिया गया। साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज से अनएक्सप्लोर्ड कांट्रैक्ट एरिया वापस नहीं ली गई। यही नहीं आरआईएल ने एक्सप्लोरेशन पर खर्च 117 फीसदी ज्यादा दिखाया। इससे सरकार को सैकड़ों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ऐसे गंभीर आरोपों के बाद सरकार संसद के आगामी सत्र में मुरली देवड़ा को अपने लिए नई मुसीबत के रूप में देख रही है। सरकार को ये डर सता रहा था कि विपक्ष इसे जरूर मुद्दा बनाएगा। जिससे संसद में सरकार की फजीहत हो सकती है। लिहाजा सरकार ने मुरली देवड़ा को खुद ही हट जाने के संकेत दे दिए। हालांकि मुरली देवड़ा ढ़िढोरा पीट रहे हैं कि वो व्यक्तिगत मामलों की वजह से मंत्री पद छोड़ना चाहते हैं।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

karoron rupye khane ke baad deora aur kya kar sakte the bhala..ab to unke kadmon per unka beta chalega.