रविवार, 14 अगस्त 2011

अन्ना को जिन्ना समझ रही है सरकार!

अन्ना हमारे देश के नागरिक है। एक समाजसेवी हैं। उनका आंदोलन हमारे-आपके और आने वाली पीढ़ियों के हित में है। लेकिन सरकार उनके साथ बहुत ही सख्ती से पेश आ रही है। जो कि बिल्कुल ग़लत है। यूपीए की सरकार उनके साथ जिन्ना जैसा बर्ताव कर रही है। जो कि एक शर्म की बात है। हम आज आजादी की 64वीं सालगिरह मना रहे हैं। लेकिन हमारी जनता आज भी भूखमरी और बेरोजगारी से त्रस्त है। भ्रष्टाचार की वजह से मुट्ठी भर लोगों के पास संपत्ति बढ़ती ही जा रही है। जबकि करोड़ों लोग भूखे पेट इस देश में सो रहे हैं। घोटालों की संख्या और घोटालों की रकमत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आज जितने भी घोटाले सामने आ रहे हैं उनमें से ज्यादातर हज़ारों करोड़ रुपए के हैं। 74 साल के अन्ना को सरकार आंख दिखा रही है। उन्हें डराने की कोशिश कर रही है। प्रणब मुखर्जी,कपिल सिब्बल,अंबिका सोनी लगातार अन्ना के खिलाफ आग ऊगल रहे हैं। उम्र की इस दहलीज़ पर आकर भी अन्ना हमारे-आपके लिए अपनी जान न्योछावर करने को तैयार हैं। वो ये लड़ाई अपने लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि हमारे और आपके लिए लड़ रहे हैं। ऐसे में हमारा फर्ज बनता है कि हम उनका मनोबल नहीं गिरने दें। और उनका पूरी तरह से सपोर्ट करें। हमारे आस पास ही चीन आजाद हुआ और आज इतनी बड़ी ताक़त बन गया कि अमेरिका की आंख में आंख डालकर बात कर रहा है। वहीं दूसरी ओर हमारी सरकार अमेरिका के तलबे चाट रही है। करीब 5 दशक से ज्यादा कांग्रेस ने ही इस देश में राज किया है। और भ्रष्टाचार को अपने साथ ढ़ोता रहा है। हमारे देश में अगर भ्रष्टाचार नहीं होता तो आज पाकिस्तान या चीन को सबक सिखाने के लिए हमें किसी दूसरे देश का मुंह नहीं ताकना पड़ता। लेकिन देर से सही लेकिन अब हमें जागना होगा। तभी हम अपना और अपनी आने वाली पीढ़ियों का भला कर पाएंगे। आप जिस किसी क्षेत्र में हैं प्रोफेशन में हैं एक दिन अन्ना के नाम कर दें। आपका एक दिन हो सकता है देश की तक़दीर पलट दे। और ये एक दिन आपकी ज़िंदगी के सबसे सफ़ल दिनों में शुमार हो सकता है। इस देश में ना केवल आम लोग,ग़रीब लोग भ्रष्टाचार में पिस रहे हैं बल्कि कई होनहार आईएएस, आईपीएस, इंजीनियर, डॉक्टर, पत्रकार, कल-कारखानों में काम करने वाले मज़दूर और मिडिल क्लास खून की घूंट पीकर इस भ्रष्टाचार को झेल रहे हैं। अन्ना अनशन करेंगे उसके बाद अगर वो जेल में रहें या अस्पताल में हमें इस अनशन को आगे बढ़ाना है। और देश में जनलोकपाल लाना है। आप किसी भी जाती के हों या किसी भी धर्म के हों आपके ऊपर भ्रष्टाचार की बराबर मार पड़ती है। क्योंकि भ्रष्टाचार बड़ा सेक्युलर है। एडमिशन के लिए रकम फिक्स होता है। सरकारी दफ्तर में काम करने की रकम फिक्स है। फाइल को एक टेबल से दूसरे टेबल पर ले जाने की रकम फिक्स है। इसलिए जाती-धर्म से ऊपर उठकर हमें अन्ना का साथ देने की ज़रुरत है।

2 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

सरकार और मुट्ठी भर भ्रष्ट लोगों की आजकल नींदें उड़ी हुई हैं

बेनामी ने कहा…

karoron janta anna ke saath hai...we need change now.