शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

CBI जांच के घेरे में अनिल अंबानी

देश की दूसरी सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी अब भी सीबीआई की जांच के घेरे में हैं। आखिर कैसे जुड़ रहे हैं अनिल अंबानी के कंपनियों के तार 2जी घोटाले में। देखते हैं इस खास रिपोर्ट में।

सीबीआई ये पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि स्वान टेलीकॉम के जरिए आरकॉम को किस तरह से फायदा पहुंचा है। जब 2008 में 2जी स्पेक्ट्रम की पहले आओ-पहले पाओ नीति के आधार पर बंदरबांट हो रही थी। उसमें कई नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए स्वान टेलीकॉम को भी स्पेक्ट्रम हाथ लग गया। क्योंकि स्वान पर अनिल अंबानी का हाथ था।

स्वान टेलीकॉम में अनिल अंबानी के ग्रुप की 9.9 फीसदी हिस्सेदारी थी। स्पेक्ट्रम मिलने के बाद स्वान में अनिल धीरूभाई अंबनी ग्रुप के 9.9 फीसदी शेयर को औने-पौने दामों यानी केवल 15 रुपए प्रति शेयर के भाव से एक मॉरिशस की इन्वेस्टमेंट कंपनी डेल्फी को बेच दिए गए। डेल्फी ने फिर इन शेयरों को 285 रुपए प्रति शेयर के भाव से संयुक्त अरब अमीरात की एतिस्लत नाम की कंपनी को बेच दिया।

इन शेयरों की खरीद फरोख़्त से किसको फायदा पहुंचा सीबीआई इसकी जांच कर रही है। साथ ही सीबीआई ये पता करने की कोशिश कर रही है। कि आखिर क्यों एडीएजी ने स्वान टेली में अपने शेयर सस्ते में बेच दिए। और इन सस्ते शेयर को खरीदने वाली कंपनी के पीछे आखिर कौन है। अनिल अंबानी ग्रुप के तीन अधिकारी टूजी मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। साथ ही आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी से सीबीआई पहले ही एक बार पूछताछ कर चुकी है।

लुढ़क गए अनिल अंबानी के शेयर

अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप के शेयर आज औंधे मुंह लुढ़क गए। क्योंकि हज़ारो करोड़ रुपए के 2 जी घोटाले में अनिल अंबानी का नाम तेजी से उलझता जा रहा है। देश के आठवें सबसे अमीर उद्योगपति अनिल अंबानी से इस मामले में सीबीआई एक बार पूछताछ कर चुकी है।

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार में अनिल अंबानी की कंपनियों के लिए बुरा दिन साबित हुआ। क्योंकि अनिल धीरूभाई अंबानी यानी एडीए ग्रुप की सभी कंपनियों में शुरूआती कारोबार से ही जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली।

जिसकी वजह से रिलायंस कैपिटल के शेयर 12 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ बंद हुए। वहीं आरकॉम और रिलायंस इंफ्रा के शेयर करीब 7.5 फीसदी लुढ़क गए। जबकि रिलायंस पावर में करीब 4 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।

2जी घोटाले की जांच कर रही सीबीआई ने कहा है कि रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी अभी भी जांच के घेरे में हैं। इसका असर अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयर पर देखने को मिला। शेयर बाजार में आज लुढ़कने वाले 4 दिग्गज कंपनियों के शेयरों में से 3 अनिल अंबानी की कंपनी है। इसके साथ ही आज सेंसेक्स 244 अंक लुढ़ककर 16453 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 72 अंकों की गिरावट के साथ 4943 पर बंद हुआ।

गुरुवार, 29 सितंबर 2011

खाद्य महंगाई दर 9 के पार

खाने-पीने के सामान महंगे होते जा रहे हैं। एक बार फिर से खाद्य महंगाई दर 9 फीसदी को पार कर गई है। 17 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 9.13 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 8.84 फीसदी थी।

खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे ईंधन का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है। इसके साथ ही दाल,आलू और पॉल्ट्री उत्पादों की बढ़ती कीमतों का दबाव खाद्य महंगाई दर पर पड़ी है।. खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है।

ऐसा माना जा रहा है रिजर्व बैंक अपने अगले क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में एक बार फिर से अहम दरों में करीब 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री के आर्थिक मामलों की सलाहकार समिति के अध्यक्ष सी रंगराजन ने बढ़ती खाद्य महंगाई दर पर चिंता जताई है।

बुधवार, 28 सितंबर 2011

ज़मीन पर किंगफिशर रेड

कर्ज की बोझ तले दबे किंगफिशर एयरलाइंस ने अपनी लो कॉस्ट एयरलाइन किंगफिशर रेड को बंद करने का ऐलान किया है। कंपनी के चेयरमैन विजय माल्या ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि लो कॉस्ट क्षेत्र में मार्जिन कम है जबकि कंपीटिशन ज्यादा। किंगफिशर एयरलाइंस पर हजारों करोड़ रुपए का कर्ज जमा हो चुका है।

विजय माल्या लो कॉस्ट एयरलाइंस सर्विस बंद करने के पीछे ये दलील दे रहे हैं कि किंगफिशर एयरलाइंस का लोड फैक्टर बढ़िया है। ऐसे में लो-कॉस्ट एयरलाइंस चलाना समझदारी नहीं है। वहीं दूसरी ओर विजय माल्या ने कह कि कर्जों को कम करने के लिए किंगफिशर एयरलाइंस बाजार से पैसे जुटाएगी। कंपनी के शेयरधारकों ने 2000 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को भी मंजूरी दे दी है। जबकि कंपनी के जीडीआर इश्यू को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है।

किंगफिशर एयरलाइन्स ने शुरू से अब तक कभी भी लाभ नहीं कमाया है। यह हमेशा घाटे में रही है और इसके निवेशकों को भारी घाटा हुआ है। कंपनी के ऑडिटरों ने तो यहां तक कह दिया है कि कंपनी का भविष्य अंधकारमय है। किंगफिशर एय़रलाइन्स ने 2010-2011 में 1027 करोड़ रुपए का घाटा झेला है। केवल इस साल की पहली तिमाही में कंपनी को 263 करोड़ रुपए से ज्यादा का का घाटा हो चुका है। कंपनी का घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। किंगफिश एयरलाइंस पर इस समय 6000 करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है। निवेशक इस बढ़ते हुए कर्ज से भी परेशान हैं।

कर्ज के बढ़ते बोझ ने किंग ऑफ गुड टाईम्स कहे जाने वाले विजय माल्या को भी फिलहाल बैड टाईम्स में पहुंचा दिया है। और उन्हें कर्ज को कम करने के लिए अपने लो कॉस्ट किंगफिशर एयरलाइंस को बंद कर एयरक्राफ्ट को बेचने और किराए पर देने की नौबत आ गई है।

किंगफिशर एयरलाइंस ने 2005 में हुई थी। उसके दो साल बाद एयर डेक्कन को खरीदकर उसे किंगफिशर रेड यानी लो-कॉस्ट एयरलाइंस में बदला गया था। लेकिन गो एयर, इंडिगो, स्पाइस जेट जैसे एयरलाइंस में मिली तगड़ी टक्कर के बाद किंगफिशर रेड को ज़मीन पकड़ने के लिए मज़बूर होना पड़ा।

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

शेयर और सर्राफा बाजार में लौटी रौनक

कल की भारी गिरावट के बाद आज का दिन सर्राफा और शेयर बाजार के लिए काफी अच्छा रहा है। शेयर बाजार 3 फीसदी की मजबूती पर बंद होने में कामयाब रहे। वहीं सोने और चांदी में जमकर खरीदारी देखी जा रही है। अमेरिकी, यूरोपीय और एशियाई बाजारों से अच्छे संकेत मिलने का असर भारतीय शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। जबरदस्त खऱीदारी की वजह से सेंसेक्स 16500 का स्तर के पार पहुंच गया। कारोबार खत्म होने पर सेंसेक्स 473 अंक चढ़कर 16524 और निफ्टी 142 अंक चढ़कर 4978 पर बंद हुए। कारोबार के आखिरी घंटे में सबसे ज्यादा तेजी रियल एस्टेट शेयरों में देखने को मिली। डीएलएफ के शेयर आठ फीसदी से ज्यादा की बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं हाजिर और वायदा कारोबा में सोना करीब 3.5 फीसदी की मजबूती के साथ कारोबार कर रहा है। शेयर बाजार में तेजी के साथ ही सोने और चांद की चमक एक बार फिर से लौट आई है। सोना साढ़े छब्बीस हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब कारोबार कर रहा है। वहीं चांदी 55 हजार रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई है।

सोमवार, 26 सितंबर 2011

शेयर-सोना-चांदी की चमक फीकी

भारतीय शेयर बाजार सहित सर्राफा बाज़ार में आज खलबली मच गई। सोने-चांदी की कीमतों ने एक बार फिर से लोगों को चौंका दिया। लेकिन इस बार कीमतें बढ़ने की वजह से नहीं बल्कि कीमतों में भारी गिरावट आने की वजह से ऐसा हुआ है। सोने और चांदी की कीमतों में आज जबर्दस्त गिरावट देखने को मिली। दिनभर के कारोबार के दौरान सोना करीब 1603 रुपये फिसलकर 25113 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। वहीं चांदी 6659 रुपये की भारी गिरावट के साथ 47067 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई। गिरावट का दौर शेयर बाज़ार और मुद्रा बाज़ार में भी देखा गया। अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में संकट की आशंका के चलते कमोडिटी और शेयर बाजार में जबरदस्त बिकावाली देखी गई। जिसकी वजह से सेंसेक्स 16 हजार से नीचे और निफ्टी 4800 से नीचे पहुंच गया। हालांकि आखिरी कारोबार में शेयर बाजार में थोड़ी सुधार देखने को मिली। बाजार बंद होने के दौरान सेंसेक्स 110 अंक लुढ़ककर 16051 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 32 अंकों की गिरावट के साथ 4835 पर बंद हुआ। चांदी की कीमतों में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट और सोने की कीमतों में 6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली। हालांकि इस गिरावट की वजह से दिवाली के अवसर पर सोने-चांदी खरीदने वालों को थोड़ी राहत जरूर मिली है।

1 दिन में बस 100 एसएमएस

कल से आप एक दिन में 100 से ज्यादा एसएमएस नहीं भेज पाएंगे। टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने इस नियम को लागू कर दिया है। ट्राई के इस फैसले से जहां टेलीकॉम कंपनियों को नुकसान होगा। वहीं आम लोगों को अनचाहे एसएमएस से राहत मिलेगी। अगर आपको वॉयस से ज्यागा टेक्स्ट से लगाव है तो अब आपको परेशानी हो सकती है। क्योंकि एक दिन में आप 100 से ज्यादा एसएमएस नहीं भेज पाएंगे। हालांकि फालतू के प्रोमोशनल एमएमएस से आपको जरूर राहत मिलेगी। हजारों की संख्या में एक साथ भेजे जाने वाले मोबाइल एसएमएस पर टेलीफोन रेगुलेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी ट्राई ने रोक लगा दी है। नया नियम 27 सितंबर से लागू होगा। बल्क मैसेज की समस्या से निपटने के लिए ये नया नियम लागू किया गया है। सेल्युलर ऑपरेटर एसोसिएशन ऑफ इंडिया यानी सीओएआई 100 एसएमएस कैप पर रोक लगाने के मांग की थी। सीओएआई ने दलील दी थी 100 एसएमएस के बाद इमर्जेंसी की स्थिति में लोग एसएमएस नहीं क पाएंगे। लेकिन ट्राई ने इसे खारिज कर दिया। ट्राई ने कहा कि आगे अगर इस तरह की स्थिति सामने आती है तब इस फैसले पर विचार किया जाएगा। एसएमएस पर लगाम लगाने से अनचाहे एसएमएस के साथ ही अफवाहों को फैलने से रोका जा सकेगा। हालांकि जिन लोगों को एसएमएस से बात करने की आदत है उन्हें एक से ज्यादा सिम खरीदने के लिए मज़बूर होना पड़ेगा। क्योंकि पोस्ट पेड सिम पर भी हर महीने 3000 तक एसएमएस की इजाज़त दी गई है।

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

ख़तरे में विश्व की अर्थव्यवस्था: आईएमएफ

पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था खतरे की दौर से गुजर रही है। ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने दी है। अमेरिका और यूरोप के आर्थिक संकट में फंसने की वजह से ऐसा हुआ है। इसका असर भारत सहित दुनिया के सभी देशों पर देखा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने यूरोप को चेतावनी देते हुए कहा है कि उनकी अर्थव्यवस्था पर एक बार फिर से मंदी का खतरा मंडरा रहा है। और अगर ऎसा हुआ तो दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका व्यापक असर पड़ेगा। आईएमएफ के अनुसार ज्यादातर दुनिया की अर्थव्यवस्था तेजी से घटते विकास दर ज़ोन में पहुंच गई है। दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने स्थित में सुधार के लिए जो कोशिशें की हैं या कर रही हैं उसका असर नहीं के बराबर देखने को मिल रहा है। आईएमएफ का मानना है कि इस साल विकसित देशों के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की विकास दर केवल 1.5 फीसदी के करीब रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चेतावनी दी है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था एक नए खतरनाक दौर में पहुंच गई है। आईएमएफ के मुताबिक मंदी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था ने बेहद ही कमजोर सुधार दिखाया है। आईएमएफ के मुताबिक यह सुधार कुछ महीने पहले लगाए गए अनुमान से कहीं कम है। 2008 में दुनिया भर ने जबर्दस्त आर्थिक मंदी का सामना किया था। लेकिन 2010 आते-आते विश्व अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी थी। लेकिन इस साल खासकर अमेरिका और यूरोप में घाटा बढने के साथ ही मंदी की आहट तेज हो गई है। आईएमएफ की तरफ से जारी ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिमी अर्थव्यवस्थाएं फिर से मंदी का शिकार हो सकती हैं। जिसका भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा।

शेयर बज़ार में कोहराम

जबरदस्त बिकवाली की वजह से भारतीय शेयर बाजार में आज हाहाकार मच गया। सेंसेक्स और निफ्टी औंधे मुहं गिर गए। शुरूआती कारोबार से बिकवाली हावी रही। जैसे-जैसे कारोबार आगे बढ़ा सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट भी बढ़ने लगी। भारतीय शेयर बाजार में 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। ऑटो, बैंक, कैपिटल गुड्स सहित सभी सेक्टर्स धराशायी हो गए। अमेरिका और यूरोपीय अर्थव्यवस्था के कर्ज संकट में फंसने और दुनियाभर के कई देशों की अर्थव्यवस्था पर मंदी का तलावर लटकने की वजह से एशियाई और यूरोपीय बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई। और इससे भारतीय बाजार भी नहीं बच पाया। बाजार बंद होने के सेंसेक्स 704 अंकों की गिरावट के साथ 16361 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 209 अंक लुढ़ककर 4923 पर बंद हुआ। वहीं दूसरी ओर रुपया भी लुढ़क गया । रुपया दो साल के निचले स्तर पर जा पहुंचा। रुपए के लुढ़कने से 1 अमेरिकी डॉलर की कीमत 49 रुपए के पार जा पहुंचा। केवल तीन हफ्ते पहले एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 46 रुपए से भी कम थी। रुपए की कमज़ोरी का असर भी भारतीय शेयर बाजार पर दिखा। रियल एस्टेट कंपनी जयप्रकाश एसोसिएट्स के शेयर सबसे ज्यादा करीब साढ़े नौ फीसदी लुढ़क गए। इसके अलावा सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में शमिल हुए रिलायंस कम्युनिकेशंस, डीएलएफ, स्टरलाईट इंडस्ट्रीज और टाटा मोटर्स। निफ्टी में अगस्त 2009 के बाद ये सबसे बड़ी गिरावट है। अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहे मंदी के बादल ने भारतीय बाजार को हिला कर रख दिया। और उसमें रुपए की कमज़ोरी ने आग में घी का काम किया।

मंगलवार, 20 सितंबर 2011

कर्ज़ से कराह रही हैं रियल्टी कंपनियां

रेपो रेट के लगातार बढ़ने और होम लोन महंगे होने की वजह से देश की दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियों का हाल बुरा हो गया है। इन कंपनियों के कर्ज़ का बोझ लगातार बढ़ रहा है। कर्ज़ से निजात पाने के लिए ये कंपनियां अपनी संपत्ति बेचने पर मजबूर हैं। डीएलएफ, यूनिटेक सहित देश की ज्यादातर रियल एस्टेट कंपनियों कर्ज के बोझ तले दबती जा रही हैं। पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले इस साल इन कंपनियों पर कर्ज का बोझ 12 से 15 फीसदी बढ़ चुका है। शेयर बाजार में लिस्टेड देश की 12 दिग्गज रियल एस्टेट कंपनियों पर इस समय करीब 38 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ पर पिछले साल की पहली तिमाही में 18460 करोड़ रुपए का कर्ज था। जो कि इस साल की पहली तिमाही में बढ़कर 21524 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यूनिटेक पर कर्ज का भार 5160 करोड़ रुपए से बढ़कर 5330 करोड़ रुपए हो गया है। एचडीआईएल पर एक साल में कर्ज 3530 करोड़ रुपए से बढ़कर 3920 करोड़ रुपए हो चुका है। वहीं गोदरेज प्रॉपर्टी पर कर्ज का भार 500 करोड़ रुपए से बढ़कर 940 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। कर्ज बढ़ रहा इस वजह से कंपनियों के मुनाफे में सेंध लग रही है। इस साल की पहली तिमाही में रियल एस्टेट कंपनियों का मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 19.5 फीसदी कम हुआ है। कर्ज की मार को कम करने के लिए रियल एस्टेट कंपनियां अपनी संपत्तियां को बेचने पर मजबूर हो रही हैं। डीएलएफ अपनी संपत्ति को बेचकर 7000 करोड़ रुपए जमा करने पर विचार रही है। वहीं यूनिटेक और शोभा डेवलपर्स भी कर्ज को कम करने के लिए अपने लैंड बैंक का सौदा करने को मज़बूर हैं। इसलिए फिलहाल निवेशकों को इन कंपनियों से दूरी बनाए रखना ही समझदारी का काम होगा।

सोमवार, 19 सितंबर 2011

रुपए पर महंगाई की मार

लगातार बढ़ रही महंगाई के सामने रुपए बौने साबित हो रहे हैं। पहले जहां कम पैसे में ज्यादा सामान आते थे। वहीं अब ज्यादा पैसे में कम सामान आते हैं। ऐसे में रिजर्ब बैंक ने बड़े नोटों की ज्यादा छपाई करने का ऐलान कियाहै। महंगाई की मार से लोग परेशान हैं। लागातार बढ़ रही महंगाई की वजह से रुपए का वैल्यु कम होता जा रहा है। पहले पांच सौ रुपए में बहुत सारी चीजें आ जाती थी। आज पांच सौ रुपए लेकर बजार जाने पर हम कुछ मामूली सामान ही खरीद पाते हैं। अगर कपड़े-जूते खरीदने हैं तो पांच सौ में साधारण से साधारण ब्रांड भी नहीं मिलता। रुपए की लगातार गिर रहे वैल्यू से निजात पाने के लिए रिजर्ब बैंक ने 1000 रुपए के नोट ज्यादा छापने का ऐलान किया है। इसके साथ ही सरकार कम वैल्यू वाले नोटों की छपाई धीरे-धीरे कमी कर रही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि छोटे नोटों के बराबर बड़े नोट छापे जा रहे हैं। इस साल आरबीआई ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 500 रुपए के नोटों की संख्या के बराबर 1000 रुपए के नोट छापेगा। वैल्यू के लिहाज से ऐसा पहली बार होगा कि 1000 रुपए के नोटों की वैल्यू, 500 रुपए के नोटों से ज्यादा होगी। इस साल कुल 2 लाख करोड़ रुपए वैल्यू के 1000 रुपए के नोट यानी की 200 करोड़ नोट छापे जाएंगे। जो कि पिछले साल के मुकाबले दोगुना है। वहीं 200 करोड़ 500 रुपए के नोट छापे जाएंगे जिसकी वैल्यू होगी 1 लाख करोड़ रुपए। पिछले साल 400 करोड़ 500 रुपए के नोट छापे गए थे। लेकिन 500 के नोटों के प्रचलन में कमी आई है। पिछले कुछ समय से बड़े ट्रांजैक्शन में 500 रुपए के बदले 1000 रुपए के नोटों का इस्तेमाल हो रहा है। साथ ही एटीएम में भी बैंक 1000 रुपए के नोट ज्यादा डालना चाहते हैं। ताकी उन्हें बार-बार एटीएम में कैश डालने की ज़रूरत न पड़े। हालांकि संख्या के हिसाब से 100 रुपए के नोट अब भी सबसे ज्यादा छापे जाते हैं। इसका प्रिंट ऑर्डर 430 करोड़ पीस से बढ़कर 610 करोड़ पीस तक पहुंच गया है। सरकार ने 50 रुपए के नोट की प्रिंटिंग पिछले साल 200 करोड़ पीस से घटाकर 120 करोड़ पीस कर दी है। 1000 रुपए के करेंसी नोट भारत में छापे जाने वाले सबसे ज्यादा वैल्यू के नोट हैं। आजादी से पहले 1000 रुपए और 10000 रुपए के नोट चलन में थे। लेकिन काले धन पर काबू पाने के लिए जनवरी 1946 में इन पर पाबंदी लगा दी गई। इसके बाद 1000 रुपए, 5000 रुपए और 10000 रुपए की फेस वैल्यू वाले नोट 1954 में दोबारा पेश किए गए थे। लेकिन जनवरी 1978 में इन्हें फिर रोक दिया गया। आरबीआई के पास 10000 रुपए के मूल्य वाले नोट और 1000 रुपए के सिक्के लाने का अधिकार है। अगर महंगाई दर आगे भी बढ़ती रहती है तो 10000 के नोट और1 हजार के सिक्के हकीक़त बन सकते हैं। पहले हाथ में रुपए लेकर बाजार जाते थे और बैग में सामान भरकर लाते थे। अगर महंगाई बढ़ती रही और ज्यादा मूल्य वाले नोट नहीं छपे तो बैग में रुपए ले जाने पड़ेंगे और उससे इतने कम सामान आएंगे कि लोग उसे आराम से हाथों में लेकर वापस आ जाएंगे।

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

रेपो और रिवर्स रेपो रेट 0.25% बढ़ा

आम लोगों का हाल बेहाल हो चुका है। पहले महंगाई ने मारा, फिर पेट्रोल की कीमतों ने और अब महंगे कर्ज की आ गई बारी। रिजर्व बैंक ने कर्ज महंगा कर दिया है। यानी की आने वाले दिनों अगर आप घर या कार खरीदने की सोच रहे थे। तो हो सकता है अब आपकी सोच ना पूरी हो पाए। क्योंकि हर तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। देश में आम लोगों का हाल दिन ब दिन बद से बदतर होती जा रही है। पहले से ही लोग महंगाई की मार झेल रहे हैं। इसके बाद सरकार ने पेट्रोल की कीमतों में इजाफा कर दिया। और अब रिजर्व बैंक ने कर्ज महंगे कर दिए। यानी की जीने के लिए अगर आप कर्ज का सहारा लेने की सोच रहे हैं। तो भूल जाइए। क्योंकि आने वाले दिनों में कर्ज और महंगे हो जाएंगे। आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। रेपो रेट 8 फीसदी से बढ़कर सवा 8 फीसदी पर पहुंच चुका है। वहीं रिवर्स रेपो रेट 7 फीसदी से बढ़कर सवा 7 फीसदी पर पहुंच गया है। रेपो रेट के बढ़ने से होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन सहित हर तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे। हालांकि रिजर्व बैंक ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ये कमद उठाए हैं। लेकिन महंगाई है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। फिलहाला खाद्य महंगाई दर और होलसेल महंगाई दर 10 फीसदी के करीब है। महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पिछले 18 महीनों में रिजर्व बैंक ने 12 बार अहम दरों में इजाफा किया है। जिसका असर महंगाई पर कम देश की ग्रोथ पर ज्यादा दिख रहा है। औद्योगिक विकास दर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच चुका है। जीडीपी विकास दर पिछले साल की पहली तिमाही के 8.8 फीसदी से स्तर से घटकर इस साल की पहली तिमाही में 7.7 फीसदी पर पहुंच चुकी है। अगर इसी तरह महंगाई बढ़ती रही और विकास दर घटती रही तो देश के सामने आने वाले दिनों में गंभीर संकट पैदा हो सकता है।

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

पेट्रोल की कीमतों में लगी आग

तेल मार्केटिंग कंपनियों ने पट्रोल की कीमतों में प्रति लीटर करीब 3 रुपए से ज्यादा की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। मुंबई में तेल मर्केटिंग कंपनियों की पेट्रोलियम सेक्रेट्री के साथ मुंबई में हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया। बढ़ी हुई दरें आज आधी रात से लागू हो जाएंगे। एक बार फिर पेट्रोल के लिए ज्यादा कीमत चुकाने को तैयार हो जाइये। तेल कंपनियों ने पेट्रोल की कीमतों में प्रति लीटर 3 रुपए 14 पैसे की बढ़त कर दी है। आइए एक नज़र डालते हैं देश के चार मैट्रो सिटी के पुरान और नए प्रति लीटर पेट्रोल के भाव पर। दिल्ली - पहले- 63.70 रु - अब-66.84रु कोलकाता- पहले- 68.01 रु - अब- 71.28 रु मुंबई- पहले- 68.62रु- अब- 71.92 रु चेन्नई- पहले- 67.50रु - अब-70.82 रु पेट्रोल की कीमतों के बढ़ने के पीछे सबसे बड़ी वजह है रुपए का कमज़ोर होना। डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत दो साल के अपने निचले स्थर पर पहुंच चुका है। जिससे आईओसी, एचपीसीएल और बीपीसीएल जैसे तेल मार्केटिंग कंपनियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हो रहा है। तेल मार्केटिंग कंपनियों को हर दिन केवल पेट्रोल करीब 15 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा था। जिसकी भरपाई के लिए कंपनियों ने पट्रेल की कीमतों बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। करीब चार महीने पहले ही कच्चे तेल में आए उछाल की वजह से ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने पेट्रोल के दाम 5 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाए थे। पेट्रोल कीमतों के विनियंत्रण के बाद अब तक 9 बार आईओसी, बीपीसीए और एचपीसीएल दाम बढ़ा चुकी हैं। यानी 1 साल में पेट्रोल के दामों में 30 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है। महंगाई से पहले से ही पिस रही आम जनता अब पेट्रल की आग में झुलसने को बेबस हैं।

बुधवार, 14 सितंबर 2011

रिलायंस लाइफ-निप्पोन लाइफ डील को हरी झंडी

अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस कैपिटल को बीमा नियामक विकास प्राधिकरण यानी इरडा की ओर से रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की 26 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की अनुमति मिल गई है। रिलायंस कैपिटल जापान की निप्पोन लाइफ के साथ शेयर का सौदा पहले ही कर चुकी है। रिजर्व बैंक की सहमति के बाद ये सौदा पक्का जाएगा। निप्पोन लाइफ ने रिलायंस लाइफ इश्योरेंस की 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 3,062 करोड़ रुपये दिए हैं। इस सौदे में रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस की कुल हैसियत 11,500 करोड़ रुपये की आंकी गई । निप्पोन 122 साल पुरानी बीमा कंपनी है। फॉर्च्युन100 सूची में शामिल ये कंपनी एशिया में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी और दुनिया की सातवीं नंबर की कंपनी है।

1 साल के उच्चतम स्तर पर महंगाई

सरकार की महंगाई रोकने की तमाम कोशिशें विफल साबित हो रही हैं। महंगाई दर बढ़कर एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। अगस्त में महंगाई दर में आधा फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। और ये बढ़कर 9.78 फीसदी पर पहुंच गई है। महंगाई की मार से आम लोग परेशान हैं। खाने-पीने की तमाम चीजें हफ्ते दर हफ्ते महंगी होती जा रही हैं। महंगाई दर को लेकर सरकार की मुसीबतें बढती जा रही है। क्योंकि महंगाई दर डबल डिजिट यानी दहाई अंक के करीब पहुंच चुकी है। महंगाई बढ़ने का अनुमान तो बाजार को भी था। लेकिन महंगाई दर में अनुमान से ज्यादा इजाफा हुआ है। अगस्त महीने में महंगाई दर बढ़कर 9.78 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले महीने में ये दर 9.22 फीसदी थी। प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर में 1.25 फीसदी का बढ़ोतरी दर्ज की गई है। और ये 12.50 फीसदी के पार पहुंच गई है। मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 7.75 फीसदी पर है। वहीं फ्यूल ग्रुप की महंगाई दर 13 फीसदी के करीब पहुंच गई है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी लगातार बढ़ती महंगाई पर फिक्र जाहिर की है। प्रणव मुखर्जी ने कहा कि दुनियाभर में कमोडिटी की कीमतें बढ़ने से महंगाई पर दबाव है। लगातार बढ़ रही महंगाई पर लगाम लगाने के लिए रिजर्व बैंक एक बार फिर सख्त क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान कर सकता है। जानकारों का मानना है कि 16 सितंबर को होने वाली क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में रिजर्व बैंक अहम दरों में 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है। ऐसा होने पर पहले से ही महंगे हो चुके कर्ज और महंगे हो जाएंगे। इससे घर, कार लेने का सोच रहे लोगों के सपने पर पानी फिर जाएगा। साथ ही जो लोग ईएमआई भर रहे हैं उनपर ईएमआई का भार और बढ़ जाएगा।

विमानन मंत्री ने किया डील का समर्थन

एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस की 111 विमानों की खरीदारी पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने चुप्पी तोड़ी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने इस खरीदारी को जायज ठहराया है। जबकि कैग की रिपोर्ट में इस खरीदारी को आनन-फानन में बिना मोलभाव में की गई खरीदारी बताया गया था। एयर इंडिया को कर्ज की दलदल में फंसाने के लिए कैग ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को दोषी पाया है। आज एयर इंडिया के पास 27 ड्रीमलाइनर खरीदने के लिए भी पैसा नहीं है। हालांकि एयर इंडिया 500 करोड़ डॉलर की लागत से 27 ड्रीमलाइनर खरीदने के लिए ऑर्डर पहले दे चुकी है। व्यालार रवि का कहना है कि विमानन मंत्रालय पर सीएजी की आखिरी रिपोर्ट जल्द ही सामने आ जाएगी। नए विमान खरीदने के एयर इंडिया के फैसले पर व्यालार रवि सहमत नज़र आए। कैग के मुताबिक एयर इंडिया के लिए 68 बोइंग और इंडियन एयरलाइंस के लिए 43 विमान खरीदना शीर्ष प्रबंधन का गलत समय पर लिया गया गलत फैसला था। हालांकि नागरिक उड्डयन मंत्री ने इसका बचाव करते हुए कहा कि कई मंत्री समूहों की बैठक के बाद फैसला लिया गया था। इसके साथ ही व्यालार रवि ने ये भी साफ किया कि फिलहाल एयर इंडिया नए कर्ज लेने नहीं वाली है। क्योंकि एयर इंडिया पहले से ही करीब 38000 करोड़ रुपए के कर्ज में गले तक डूबी है। अगले महीने होने वाली मंत्रियों के समूह की बैठक में एयर इंडिया के लिए अतिरिक्त पूंजी का इंतजाम करने पर विचार किया जाएगा।

सोमवार, 12 सितंबर 2011

इरडा का बीमा कंपनियों के निवेश पर प्रस्ताव

बीमा कंपनियों के रेग्युलेटर बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण यानी आईआरडीए ने निवेश से संबंधित एक प्रस्ताव सरकार को भेजा है। अगर का प्रस्ताव मान लिया गया तो कारोबारी घरानों की बीमा कंपनियां समूह की दूसरी इकाइयों में 5 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं कर पाएंगी। निवेश नियमों के दिशा निर्देश मसौदे में इरडा ने प्रस्ताव दिया है कि निजी बीमा कंपनियों की उसके प्रवर्तक समूह की इकाइयों में निवेश की सीमा मौजूदा 25 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर देनी चाहिए। यह कदम बीमा कंपनियों के जरिये समूह की कंपनियों में बढ़ते निवेश पर लगाम कसने के लिए उठाया गया है। अगर इन दिशा निर्देशों के इस मसौदे को मंजूरी मिल जाती है तो इसका असर टाटा,बिड़ला और रिलायंस जैसे दिग्गज कारोबारी समूहों की बीमा कंपनियों पर असर पड़ेगा। और ये कंपनियां अपने समूह की दूसरी कंपनियों में आम लोगों से लिए गए पैसे का ज्यादा निवेश नहीं कर पाएंगी।

बिजली कंपनीयों से बैंकों को लग सकता है झटका

भारतीय बैंकों ने बिजली परियोजनाओं के लिए जमकर फंड मुहैया कराए हैं। लेकिन उन फंड्स पर जो रिटर्न आनी चाहिए उसपर चिंता बरकरार है। क्योंकि भारतीय बिजली कंपनियों ने परियोजना पूरी करने की रफ्तार सुस्त कर दी हैं। साथ ही नए प्लांटों में तय क्षमता के मुताबिक उत्पादन नहीं कर पा रही हैं। इससे बिजली कंपनियों की तरफ से 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का डिफॉल्ट देखने को मिल सकता है। दरअसल बिजली क्षेत्र कम टैरिफ और ईंधन की कमी के साथ ही जमीन अधिग्रहण की समस्या से जूझ रहा है। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक बैंकों ने पावर परियोजनाओं को करीब 2 लाख 92 हजार 342 करोड़ रुपए के भारी कर्ज दिए हैं। मौजूदा पावर प्लांटों को जितने लोन की मंजूरी मिली है।

इंफ्रास्ट्रक्चर: 5 साल में 1000 अरब डॉलर

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा बारहवीं पंचवर्षीय योजना में इंफ्रास्ट्रक्चर योजनाओं पर 1000 अरब डॉलर खर्च किया जाएगा। अगली पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 2012 से 2017 तक है। प्रधआनमंत्री ने कहा कि नौ फीसदी की विकास दर हासिल करने के लिए बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर काफी जरूरी है । इसलिए इस क्षेत्र में निवेश बढ़ाए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में निजी क्षेत्रों को ठेके आवंटित करते समय पारदर्शिता बरतने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि 11वीं पंचवर्षीय योजना के 500 अरब डॉलर के निवेश को बढ़ाकर 12वीं पंचवर्षीय योजना में दोगुना किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार की परियोजनाओं में ज्यादा पारदर्शिता बरती जाएगी। ताकि सरकार पर ये आरोप ना लगे कि सरकार जानबूझकर किसी खास लोगों को कांट्रैक्ट दे रही है।

औद्योगिक विकास दर में भारी गिरावट

जुलाई महीने में देश की औद्योगिक विकास दर उम्मीद से भी कम रही है। जुलाई महीने में औद्योगिक विकास दर 3.3 फीसदी रही। जो कि जून में 8.8 फीसदी थी। वहीं पिछले साल जुलाई महीने में औद्योगिक विकास दर 9.9 फीसदी थी। सबसे ज्यादा मार कैपिटल गुड्स और मैन्युफैक्चर सेक्टर में दर्ज की गई। जुलाई महीने में मैन्युफैक्चर सेक्टर में विकास दर 2.3 फीसदी रह गई है। जो कि पिछले साल इसी महीने 10.8 फीसदी थी। माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ से भी निराशा हाथ लगी है। जुलाई में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ घटकर 2.8 फीसदी रही है। जुलाई 2010 में माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 8.7 फीसदी रही थी। सबसे ज्यादा गिरावट कैपिटल गुड्स सेक्टर की ग्रोथ में देखी गई है। ये जुलाई में घटकर निगेटिव में पहुंच गई है। जुलाई में कैपिटल गुड्स सेक्टर की ग्रोथ माइनस 15.2 फीसदी पर पहुंच गई। कैपिटल गुड्स सेक्टर में पिछले साल इसी महीने 40.7 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई थी।

शेयर बाजार जबरदस्त बिकवाली

शेयर बाजार में आज जबरदस्त बिकवाली हावी रही। हफ्ते के पहले कारोबारी दिन शेयर बाजार की शुरुआत ही जबरदस्त गिरावट के साथ हुई। खुलते ही सेंसेक्स 300 अंकों से ज्यादा लुढ़क गया। वहीं निफ्टी 100 अंकों की ज्यादा गिरावट के साथ खुला। अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर संकट और यूरोप के कर्ज संकट का असर भारत सहित तमाम एशियाई और यूरोपीय बाजारों पर देखने को मिला। दिनभर का कारोबार के दौरान सेंसेक्स 450 अंकों से ज्यादा गोता लगा गया। बाजार बंद होते समय सेंसेक्स 365 अंकों की गिरावट के साथ 16501 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 112 अंकों की भारी गिरावट के साथ 4946 पर बंद हुआ। लगभग सभी सेक्टर्स में गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा गिरावट ऑटो, बैंक, मेटल और आईटी शेयरों में देखी गई। औद्योगिक विकास दर के खराब आंकड़ों से बाजार पर और दबाव बना। सबसे ज्यादा जिन शेयर पर बिकवाली की मार पड़ी उसमें शामिल थे एचसीएल टेक, हिंडाल्को, रिलायंस पावर और एक्सिस बैंक।

शनिवार, 10 सितंबर 2011

ओबामा ने पेश किया 447 अरब डॉलर का पैकेज

अमेरिकी अर्थव्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। तमाम कोशिशों के बावजूद अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति नाजुक बनी हुई है। देश में रोजगार बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा ने करीब साढ़े चार सौ अरब डॉलर का पैकेज पेश किया है। ओबामा का ये पैकेज रोजगार के नए अवसरों के साथ ही उनकी गिरती लोकप्रियता को रोकने में कुछ हद तक कारगर हो सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। रोजगार के नए अवसर पैदा करने और इकॉनोमी को पटरी पर लाने के लिए ओबामा ने करों में कटौती और कई रोजगार योजनाओं के लिए 447 अरब डॉलर का पैकेज पेश किया है। इसके साथ ही ओबामा ने सांसदों से अपील की है कि वे राजनीतिक खींचतान बंद करें और प्रस्ताव को तत्काल पास करें। ओबामा की रिपब्लिकन बहुमत वाली कांग्रेस में ओबामा की राय पर सहमति नहीं बन पाने के कारण अर्थव्यस्था को लेकर संबोधन एक दिन के लिए टालना पड़ा था। ओबामा ने अपने 32 मिनट के संबोधन में कहा कि लाखों अमेरिकियों की परेशानी वास्तविक जिंदगी से जुड़ी हैं। क्योंकि कई लोग महीनों से रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं। ओबामा ने साफ किया कि अमेरिकी अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए कठोर मेहनत कर रहे हैं। लेकिन आज सवाल ये है कि हम अपनी जिम्मेदारियां भली भांति निभा पाते हैं या नहीं। रोजगार के लिए दिए जाने वाले इस पैकेज को लोग ओबामा की खोई लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश की तौर पर देख रहे है। क्योंकि पिछले कुछ महीनों में ओबामा की लोकप्रियता में जबर्दस्त गिरावट आई है।

शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

कार सेल्स की रफ़्तार पर ब्रेक

भारतीय कार बाजार में छा चुकी है सुस्ती। लगातार बढ़ रही ब्याज दरों की वजह से ऑटो सेल्स में हो रही है गिरावाट। अगस्त में कारों की बिक्री में 10 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। कारों की बिक्री पर लग चुका है ब्रेक। लगातार महंगी होती जा रही ऑटो लोन का असर कार बाजार पर दिखने लगा है। पिछले साल के अगस्त महीने के मुकाबले इस साल अगस्त में कारों की बिक्री में 10.08 फीसदी की गिरावट आई है। लगातार दूसरे महीने कारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की है। सोसायटी ऑफ इंडियन आटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स यानी सियाम के जारी आंकड़ों के अनुसार घरेलू यात्री कारों की बिक्री अगस्त महीने में 10.08 फीसदी घटकर 1 लाख 44 हजार 516 कारें रही। पिछले वर्ष के इसी महीने में 1,60,713 कारें बिकी थीं। सियाम ने भी ये माना कि कारों की बिक्री पर ब्रेक लगने की सबसे बड़ी वजह महंगे होते कर्ज हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि आने वाले महीनों में बिक्री में एक बार फिर से तेजी आ सकती है। क्योंकि फेस्टिव सीजन की शुरूआत हो चुकी है। साथ ही इस साल मानसून अच्छा रहने वाला है। लगभग सभी कंपनियों की कारों की बिक्री में गिरावट आई है। अगस्त महीने में मारुति की बिक्री 19.21 फीसदी घटकर 63,296 इकाई रही जो कि पिछले साल इसी महीने 78,351 इकाई थी।

एक्सपोर्ट और व्यापार घाटा बढ़ा

काफी समय के बाद यूपीए की सरकार के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। देश के एक्सपोर्ट अगस्त महीने में 44 फीसदी से ज्यादा की तेजी दर्ज की गई है। हालांकि व्यापार घाटे में भी जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अगस्त महीने के में देश का निर्यात 2,430 करोड़ डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। जो कि पिछले साल के इसी महीने से 44.2 फीसदी ज्यादा है। एक्सपोर्ट में दर्ज की गई तेजी में सबसे अहम योगदार पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स का रहा है। क्योंकि अगस्त महीने के दौरान पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के एक्सपोर्ट में 60 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके साथ ही इंजीनियरिंग प्रोडक्ट्स के निर्यात में भी अच्छी तेजी देखी गई है। अगस्त महीने में कुल 4,000 करोड़ डॉलर के इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्यात हुआ है। जो कि कुल निर्यात का करीब 30 फीसदी है। हालांकि इस दौरान इंपोर्ट में भी भारी इजाफा हुआ है। इस वजह से अगस्त महीने में देश का व्यापार घाटा भी 27 फीसदी बढ़कर 14.1 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। जो कि जून में 7.7 अरब डॉलर और जुलाई में 11.1 अरब डॉलर था। देश के निर्यात की तुलना में आयात ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है जिससे व्यापार घाटा बढ़ ही जा रहा है। केवल अगस्त महीने में सोने का आयात 130 फीसदी तक बढ़ गया । इसके साथ ही फर्टिलाइजर के आयात में भी काफी तेजी दर्ज की गई ।

सेंसेक्स फिर 17 हज़ार से नीचे

हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार में जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बुरे संकेतों का असर दुनियाभर के बाजारों मे देखने को मिला। भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं रह सका। सेंसेक्स और निफ्टी जबरदस्त गिरावट के साथ बंद हुए। अमेरिका की अर्थव्यवस्था में हो रहे उथल-पुथल से दुनियाभर बाजारों में गिरावट देखी गई। इसका सबसे ज्यादा असर यूरोपीय और भारतीय बाजारों पर देखने को मिला। जबरदस्त बिकवाली के दबाव में सेंसेक्स 17 हजार के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे लुढ़क गया। बाजार बंद होने के समय सेंसेक्स 298 अंक गिरकर 16866 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 93 अंक लुढ़ककर 5059 पर बंद हुआ। लगभग सभी सेक्टर्स में बिकवाली हावी रही। सबसे ज्यादा मेटल सेक्टर 3 फीसदी से ज्यादा टूटा। जबकि आईटी, बैंक, ऑयल एंड गैस सेक्टर में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। बिकवाली की सबसे ज्यादा मार दिग्गज शेयरों पर ही देखने को मिली। हैवीवेट शेयरों के मुकाबले छोटे और मझौले शेयरों में कम गिरावट दर्ज की गई। सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में शामिल थे रिलायंस कम्युनिकेशंस, अम्बुजा सीमेंट्स, हिंडाल्को, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, और सेल। आने वाले दिनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुई तो भारतीय बाजारों में और गिरावट देखी जा सकती है। इसलिए फिलहाल छोटे निवेशकों को बाजार से दूर ही रहना चाहिए।

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

RIL के खिलाफ क्यों नहीं हो रही कार्रवाई!

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी सीएजी ने कृष्णा गोदावरी बेसिन में पूरा का पूरा डी6 ब्लॉक रिलायंस इंडस्ट्रीज के पास छोड़ने के लिए पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय पर सवाल उठाए हैं। सीएजी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी बेसिन डी6 ब्लॉक पर संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में ये सावल उठाए हैं। इस रिपोर्ट में रिलायंस इंडस्ट्रीज पर प्रोडक्शन शेयरिंग करार के उल्लंघन का आरोप लगाया है। सीएडी की रिपोर्ट में ये बात साफ किया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज ने केजी बेसिन के डी6 ब्लॉक का पहला फेज पूरा हो जाने के बाद एरिया का 25 फीसदी सरकार को वापस नहीं किया है। यही नहीं एरिया वापस करने से पहले ही रिलायंस इंडस्ट्रीज पर फेज 2 का काम भी शुरू कर दिया। सीएजी के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज ने रिग न होने के बावजूद क्षेत्र पर कब्जा जमा रखा है। सीएजी ने रिलायंस इंडस्ट्रीज के खिलाफ कदम न उठाए जाने पर डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन यानी डीजीएच और पेट्रोलियम मंत्रालय की निंदा की है। सीएजी का मानना है कि डायरेक्टर जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन को रिलायंस इंडस्ट्रीज को एरिया वापस करने के बाद ही फेज 2 शुरू करने की अनुमति देनी चाहिए थी।

कैग के निशाने पर अब प्रफुल पटेल

कैग की नई रिपोर्ट में नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट में कहा गाया है कर्ज में डूबे होने के बावजूद एयर इंडिया को 111 विमान खरीदने की इज़ाजत क्यों दी गई। साथ ही इस रिपोर्ट में एयर इंडिया और इंडियन एयरलाइंस के विलय पर भी सवाल उठाए गए हैं। कर्ज में गले तक डूबे एयर इंडिया ने एक नहीं दो नहीं कुल 111 विमाम खरीदे। बहुत ही जल्दबाजी में ये फैसला लिया गया। कैग की रिपोर्ट में ये बात खुलकर सामने आई है। इससे यूपीए सरकार की नींद एक बार फिर से उड़ गई है। इस पूरे मामले में उस दौरान नागरिक उड्डयन मंत्री रहे प्रफुल्ल पटेल घेरे में हैं। एयर इंडिया की माली हालत पर सीएजी की रिपोर्ट संसद में पेश कर दी है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में ये भी आरोप लगाए हैं कि घरेलू विमानन कंपनी इंडियन एयरलाइंस के साथ एयर इंडिया का विलय गलत समय पर हुआ। साथ ही इस विलय में पारदर्शिता नहीं देखी गई। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक एयर इंडिया पर 38,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है। बिना मोलभाव के 40 हजार करोड़ रुपए की लागत से 111 विमान खरीदने का फैसला 2006 में लिया गया है। वो भी कर्ज लेकर। इस खरीदारी को आनन-फानन में अमली ज़ामा पहनाया गया। कई मंत्री समूहों ने भी एक के बाद एक इस डील पर मुहर लगा दी। आखिर क्यों ज़रूरी बन गई कर्ज में डूबी हुई एक कंपनी के लिए इतनी बड़ी खरीदारी। इसका जवाब सरकार के पास फिलहाल नहीं है।

बुधवार, 7 सितंबर 2011

भूमि अधिग्रहण बिल संसद में पेश

आखिरकार नया जमीन अधिग्रहण बिल संसद में पेश हो गया है। हालांकि बिल के कई प्रावधानों पर पार्टियों के बीच मतभेद है। इन मतभेदों को दूर करने के लिए 15 अक्टूबर को राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश बिल पर चर्चा करेंगे। नया जमीन अधिग्रहण बिल के मसौदे में कुछ बदलाव किए गए हैं। मुआवजे की राशि को छह गुना से कम कर चार गुना कर दी गई है। हालांकि राज्य सरकार चाहे तो इस राशि को बढ़ा सकती है। ये बिल दिसंबर तक जमीन अधिग्रहण कानून की शक्ल अख्तियार कर सकता है। ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने नए जमीन अधिग्रहण बिल के लिए कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के प्रयासों से ही ये बिल 55 दिन में तैयार हुआ है। नए जमीन अधिग्रहण बिल में 1 से ज्यादा फसल देने वाली जमीन का सिर्फ 5 फीसदी हिस्से का ही अधिग्रहण करने का प्रस्ताव है। वहीं इस प्रस्ताव में ये बात साफ की गई है कि कोई कंपनी अगर 10 साल तक जमीन इस्तेमाल नहीं करती है तो ये जमीन अपने आप राज्य सरकार के पास चली जाएगी। साथ ही अधिग्रहण से पहले 80 फीसदी लोगों से सहमति जरूरी होगी। रेलवे, पोर्ट, हाइवे, पावर प्रोजेक्ट के लिए भी सहमति की शर्त लागू की जाएगी। गांवों में जमीन के बाजार भाव का 4 गुना मुआवजे के तौर पर देना होगा। शहरों में जमीन अधिग्रहण के लिए बाजार भाव का 2 गुना मुआवजा देना पड़ेगा। अधिग्रहण से प्रभावित परिवार के 1 सदस्य को नौकरी देना जरूरी होगा। नौकरी नहीं देने पर 5 लाख रुपये का मुआवजा देना होगा। पहले साल हर महीने 3,000 रुपये और 2 से 20 साल तक हर महीने 2,000 रुपये देने होंगे। प्रस्तावित नए जमीन अधिग्रहण बिल में अर्जेंसी क्लॉज का इस्तेमाल बहुत कम जगहों पर किया गया है। सुरक्षा से जुड़े मामलों में ही अर्जेंसी क्लॉज का इस्तेमाल किया जाएगा। बाकी मामलों में जमीन के मालिक की सहमति से ही अधिग्रहण किया जा सकता है। अर्जेंसी क्लॉज जुड़ने से सरकार बिना जमीन मालिक की सहमति के भी जमीन अधिग्रहण कर सकती है। वहीं उद्योग नए बिल के प्रस्तावों से खुश नजर नहीं आ रहा है। उद्योग का कहना है कि 1 से ज्यादा फसल देने वाली जमीन का अधिग्रहण मुश्किल बनाने से औद्योगीकरण में दिक्कतें आ सकती हैं। इसके अलावा निजी और सार्वजनिक उद्देश्य का मतलब साफ नहीं है। 20 साल तक हर महीने 2,000 रुपये देने के प्रावधान पर उद्योग को कड़ा ऐतराज है।

मंगलवार, 6 सितंबर 2011

नई स्विफ्ट की बुकिंग पर ब्रेक

कार बनाने वाली देश की सबसे कंपनी मारुति सुजुकी के एक मॉडल पर हड़ताल की सबसे ज्यादा मार पड़ रही है। ये माडल है मारुति स्विफ्ट का नया अवतार। जिसके प्रोडक्शन में भारी कमी आई है। ये गाड़ी मारुति के मानेसर प्लांट से निकलती है। लेकिन प्लांट में एक हफ्ते से ज्यादा समय से कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। अगर आप स्विफ्ट के नए अवतार की सवारी करना चाहते हैं तो आपको लंबा इतज़ार करना होगा। क्योंकि मारुति के डीलरों ने इसकी बुकिंग रोक दी है। मारुति स्विफ्ट के प्रोडक्शन में भारी कमी आने की वजह से डीलरों को ये कदम उठाना पड़ा है। स्विफ्ट, मारुति सुजुकी की सबसे ज्यादा बिकने वाली प्रीमियम कॉम्पैक्ट कार है। गुड़गांव से सटे मारुति के मानेसर प्लांट में एक हफ्ते से ज्यादा समय से कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। जिसके चलते प्रोडक्शन में भारी कमी आई है। पिछले एक हफ्ते में मानेसर प्लांट से केवल 500 कारें ही निकल पाई हैं। जबकि आम दिनों में इस प्लांट से एक हफ्ते में 8 हजार से ज्यादा गाड़ियां तैयार होती हैं। यही वजह है कि डीलरों को नई स्विफ्ट की बुकिंग रोकने पर मजबूर होना पड़ा है। इससे कंपनी को भारी नुकसान होने की आशंका है। क्योंकि लांच होने के पंद्रह दिनों के अंदर ही मारुति को 90 हजार नई स्विफ्ट के ऑर्डर मिल चुके हैं। नई स्विफ्ट को लेकर ग्राहक काफी उत्साहित हैं । उम्मीद से ज्यादा बुकिंग इसका सबूत है। लेकिन मानेसर प्लांट में कर्मचारियों की हड़ताल ने कंपनी के रंग में भंग डाल दिया है। इससे जहां नई बुकिंग बंद हो चुकी है। वहीं पुरानी बुकिंग की डिलीवरी भी अगले साल अप्रैल या उससे भी आगे जा सकती है।

टेलीकॉम लाइसेंस पर लटकी तलबार

देश के कई टेलीकॉम कंपनियों के लाइसेंस हो सकती है रद्द। देश में टूजी सर्विस के लिए कई कंपनियों ने लाइसेंस ले रखे हैं। लेकिन वर्षों बाद भी इन कंपनियों ने उन सर्किलों में सेवा शुरू नहीं की हैं। जिनका लाइसेंस उनके पास है। ऐसे में सस्ते लाइसेंस लेने वाली इन कंपनियों की के लाइसेंस रद्द करने की शिफारिश ट्राई ने की है। जब टू जी लाइसेंस बांटे जा रहे थे। तो कई कंपनियो ने सस्ते में मिल रहे लाइसेंस को अपने नाम कर लिया था। लेकिन अभीतक सर्विस शुरू नहीं कर पाई हैं। ऐसे में सरकार अब सख्त कमद उठाने पर विचार कर रही है। 2006 से 2008 के बीच हुए करार के मुताबिक सरकार उन दूरसंचार कंपनियों पर अपना शिकंजा कस सकती है जो अभी तक अपनी सेवाएं शुरू नहीं कर सकी हैं। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण यानी ट्राई ने ऐसे 83 लाइसेंसों को रद्द करने की सिफारिश की थी। लेकिन दूरसंचार विभाग ने ऐसे 15 टीलकॉम लाइसेंस को अयोग्य पाया है। और इन लाइसेंस के दावेदार टेलीकॉम कंपनियों को नोटिस भेज दिया है। टेलिकॉम कंपनियों को नोटिस का जवाब देने के लिए 60 दिनों का समय दिया गया है। उसके बाद उनके लाइसेंस रद्द करने के बारे में अंतिम फैसला अटर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की राय लेने के बाद किया जाएगा।

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

दिवाली तक सस्ते होंगे मकान

फेस्टिव सीजन की शुरुआत हो चुकी है लेकिन प्रॉपर्टी बाजार में छाई हुई है सुस्ती। लेकिन आने वाले कुछ दिनों में रियल एस्टेट में छाई मंदी का फायदा ग्राहकों को मिलने वाला है। क्योंकि बिल्डर्स और डेवलपर्स फ्लैट सस्ते कर सकते हैं। रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियां ग्राहकों की कमी से परेशान हैं। फ्लैट की बिक्री में इज़ाफा करने के लिए ये कंपनियां आने वाले दिनों में छूट और ऑफर्स की करने वाली हैं भरमार। हालांकि इसके लिए ग्राहकों को दिवाली का इंतज़ार करना पड़ेगा। बिल्डर्स के पास मकान सस्ते करने के अलाव दूसरा कोई ऊपाय नहीं है। क्यों बिल्डर्स ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों से बड़े पैमाने पर पैसे उठा रखे हैं जिसका ब्याज बढ़ता जा रहा है। ऐसे में अगर फ्लैट नहीं बिके तो बिल्डरों के लिए मुसीबत और बढ़ जाएगी। ऐसे में अब रियल एस्टेट कंपनियां कीमतों में 10 से 15 फीसदी तक कमी करके अपने तैयार मकान को जल्द से जल्द बेचने के लिए बेचैन हो रही हैं। ऐसी हालत में उनके पास मकान कम दामों में बेचने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं है। क्योंकि गातार महंगे होते जा रहे कर्ज की वजह से खरीदार बिल्डर्स के पास नहीं पहुंच रहे हैं। यानी अपनी कर्ज चुकाने और खरीदारों को पास बुलाने के लिए कीमतों में कमी करना बिल्डर्स के लिए मजबूरी बन चुकी है। जानकार मानते हैं कि दिल्ली,मुंबई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों में सबसे पहले फ्लैट्स के दाम गिरेंगे।

बिड़ला बैंक, बजाज बैंक, अंबानी बैंक!!!!

भारतीय रिजर्व बैंक ने कॉरपोरेट घरानों के लिए कुछ शर्तों के साथ निजी बैंकिंग क्षेत्र में घुसने का रास्ता साफ कर दिया है। हालांकि रियल एस्टेट और ब्रोकरेज कंपनियों के लिए बैंकिंग क्षेत्र के दरवाजे बंद ही रहेंगे। यानी की आने वाले दिनों में बिड़ला, अंबानी,बजाज जैसे बड़े घराने अपना बैंक खोल पाएंगे। देश के बड़े औद्योगिक घरानों का दबाव नज़र आ चुका है। आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निजी क्षेत्र में नए बैंकिंग लाइसेंस देने के लिए जो दिशा निर्देशों का एक मसौदा अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। उससे ऐसा लगता है कि औद्योगिक घरानों के लिए निजी बैंक खोलने का रास्ता साफ हो गया है। इसके लिए बैंक ने सभी लोगों से 31 अक्टूबर तक सुझाव मंगाए हैं। सरकार ग्रामीण क्षेत्रों तक बैंकों की पहुंच बनाने के लिए नया लाइसेंस जारी करने वाली हैं। रिजर्व बैंक के दिशा निर्देशों के मुताबिक बजाज, बिड़ला, अंबानी जैसे बड़े घरानों के लिए जहां निजी बैंक खोलने का रास्ता साफ हो गया है। वहीं रियल एस्टेट और ब्रोक्रेज कंपनियों को निजी बैंकों से दूर रखने का फैसला किया गया है।रिजर्व बैंक के अनुसार मौजूदा ग़ैर बैंकिंग कंपनियां यानी एनबीएफसी भी बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकती हैं। वहीं पहले पांच वर्षों तक बैंक में विदेशी निवेश की सीमा 49 फीसदी होगी। बैंकों को दो साल के भीतर शेयर बाजार में लिस्ट करना होगा। साथ ही लाइसेंस मिलने के एक साल के भीतर बैंक खोलना होगा। आवेदन करने वाली कंपनी के पास कम से कम 500 करोड़ रूपए की पूंजी होनी चाहिए। इसके अलावा बैंक के प्रोमोटरों का कम से कम 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड होना चाहिए। यानी कि इस दिशा निर्देशों के मुताबिक एनबीएफसी यानी नॉन बैंकिंग फाइनेंश कंपनियों के लिए निजी बैंक खोलना आसान होगा। औद्योगिक घरानों के अपने ही इतने बिजनेस हैं कि उन्हें हमेशा पैसे की जरूरत लगी रहती है। ऐसे में आम लोगों से जमा किए गए पैसे क्या वो अपने हित में नहीं लगाएंगे? इसपर सवाल उठ रहे हैं।

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

महंगाई की मार, सरकार लाचार

महंगाई की मार लगातार बरकरार हैं। खाने-पीने के सामानों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। खाद्य महंगाई दर बढ़कर 10 फीसदी को पार कर चुकी है। जिससे आम लोगों के किचन का बजट बिगड़ गया है। महंगाई की मार से लोगों का हाल बेहाल हो रहा है। खाने पीने की तमाम चीजें हफ्ते दर हफ्ते महंगी होती जा रही है। खाद्य महंगाई दर पांच महीनों के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। सबसे ज्यादा तेजी फलों और सब्जियों की कीमतों में दर्ज की जा रही हैं। 20 अगस्त को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 10.05 फीसदी पर पहुंच गई। इससे पहले हफ्ते में यानी 13 अगस्त को खत्म हफ्ते में ये दर 9.8 फीसदी थी। खाद्य महंगाई दर को दहाई अंकों यानी डबल डिजीट में पहुंचाने में प्याज की कीमतों का अहम योगदान है। प्याज की कीमतों में पिछले एक साल में 57 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है। जबकि फलें 21 फीसदी और सब्जियां 15 फीसदी से ज्यादा महंगी हुई हैं। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। रिजर्व बैंक ने भी महंगाई पर काबू पाने के लिए मार्च 2010 के बाद 11 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। लेकिन महंगई बढ़ती ही जा रही है। और लोगों को बेहाल कर रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस महीने अपनी क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा के दौरान आरबीआई एकबार फिर से अपनी अहम दरों में 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकती है।