गुरुवार, 27 अक्तूबर 2011

खाद्य महंगाई दर 11% के पार

लागातर बढ़ रही महंगाई ने आम लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। खाद्य महंगाई दर 11 फीसदी के पार पहुंच गई है। जो कि छे महीनों का उच्चतम स्तर है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों पर लगाम लगाने में सरकार लागातार विफल साबित हो रही है।

महंगाई ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। खाने-पीने के सामानों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। खाद्य महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है।

15 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 11.43 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 10.6 फीसदी थी। महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों और अनाज़ का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 25 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं फल 11.96 फीसदी मंहगे हुए हैं। जबकि दूध की कीमत 10.85 फीसदी बढ़े हैं। मांस व मछली की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 12.82 फीसदी तेजी आई है। दालें 9.06 फीसदी मंहगी हुईं हैं। साथ ही अनाज की कीमतें 4.62 फीसदी बढ़ी हैं।

सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए मार्च 2010 से अबतक 13 बार अहम दरों में बढ़ोतरी की है। लेकिन आरबीआई के इस कदम के बावजूद महंगाई रुकने के बजाए बढ़ती जा रही है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का उल्टा असर हो रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेखबर लगातार बढ़ती जा रही है।

बुधवार, 26 अक्तूबर 2011

मुहूर्त ट्रेडिंग में बढ़त के साथ बाजार बंद

भारतीय शेयर बाजार दीपावली के शुभअवसर पर मुहूर्त ट्रेडिंग के कुछ खास कारोबार नहीं हुआ। सेंसेक्स और निफ्टी मामूली बढ़त के साथ बंद हुए। पिछले साल के मुहूर्त ट्रेडिंग में सेंसेक्स 21 हजार के ऊपर और निफ्टी 6 हजार 3 सौ के ऊपर बंद हुए थे।

दीपावली के अवसर पर आज मुंबई शेयर बाजार और नेशनल स्टाक एक्सचेंज में मुहूर्त कारोबार की शुरूआत बहुत ज्यादा जोश भरी नहीं रही। पौने पांच से से छे बजे तक की इस स्पेशल मुहूर्त ट्रेडिंग में सेंसेक्स 33 अंक चढ़कर 17288 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 10 अंकों की बढ़त के साथ 5201 पर बंद हुआ। सबसे ज्यादा बढ़ने वाले शेयरों में शामिल हुए हिंडाल्को, सिप्ला, कोल इंडिया, एसबीआई और भारती एयरटेल। वहीं सेसा गोवा, विप्रो, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस पावर और टाटा मोटर्स के शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली देखी गई।

पिछले साल मुहूर्त कारोबार के दौरान सेंसेक्स 21 हजार अंक के स्तर से ऊपर 21004 पर बंद हुआ था। निफ्टी भी वर्ष के उच्चतम स्तर 6312 पर पहुंच गया था। लेकिन इस साल मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान ये तेजी नहीं देखी गई। क्योंकि दुनियाभर में छाई आर्थिक संकट और घरेलू स्तर पर मंहगाई की मार से शेयर बाजार से निवेशक दूर भाग रहे हैं। हालांकि पिछले 15 मुहूर्त ट्रेडिंग का बात करें तो इसमें से 13 बार दीपावली पर सेंसेक्स 1 फीसदी या उससे अधिक बढ़त के साथ बंद हुआ है।

हर साल दीपावली के साथ ही हिन्दू कारोबारी अपना नया बहीखाता शुरू करते हैं। कारोबार के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। हालांकि दीपावली के दिन बाजार में अवकाश रहता है इसलिए इस दिन विशेष रूप से बाजार को कुछ समय के लिए मुहुर्त कारोबार के लिए खोला जाता है।

मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

होम लोन: गेन कम, पेन ज्यादा

आरबीआई ने रेपो रेट को बढ़ाकर जहां आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। वहीं बचत खाते पर ब्याज तय करने का अधिकार बैंकों को दे दिया है। इससे उन लोगों को कुछ राहत जरूर मिलेगी जिनके पास बजत लायक पैसे हैं। बचत खाते पर ब्याज तय करने का अधिकार बैंको को देना एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फै़सला माना जा रहा है।

आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि बैंक बचत खाते पर ब्याज दर अपने मन मुताबिक तय कर सकेंगे। हालांकि इसके लिए रिजर्व बैंक ने दो शर्तें रख दी हैं। बैंक ने कहा है कि हर बैंक को एक लाख रुपए तक निश्चित ब्याज दर सुनिश्चित करना होगा भले ही ये पैसा एक लाख से कम हो लेकिन ब्याज दर अलग-अलग नहीं होना चाहिए। ब्याज दरों को बैंकों पर छोड़ने की दूसरी शर्त ये होगी कि अगर पैसा एक लाख से ऊपर हुआ तो बैंक ब्याज की अलग-अलग दरें रख सकता है लेकिन अलग-अलग ग्राहकों के लिए अलग दरें नहीं हो सकतीं। औद्योगिक संकठनों ने आरबीआई के इस कदम का स्वागत किया है। लेकिन इन्ही संगठनों ने ब्याज दरें बढ़ाने को लेकर आरबीआई की कड़ी आलोचना की गई है।

होम लोन दरों में 25 बेसिस प्वाइंट यानी आधा फीसदी की बढ़ोतरी होने पर 20 साल के लिए गए 30 लाख रुपए के घर पर ईएमआई में 500 रुपए से ज्यादा का इजाफा हो जाएगा। साथ जिन लोगों ने 2009 में शुरू हुए टीजर लोन के जरिए घर बुक कराए हैं..अगले साल से उन्हें भी करीब 3 फीसदी तक ज्यादा ब्याज चुकाने पड़ सकते हैं। ऐसे में घरों की घटती मांग और रियल एस्टेट की खस्ता होती हालत और बढ़ती ईएमआई से परेशान लोगों पर मरहम लगाने के लिए सरकार ने कुछ दूसरे उपाय किए हैं।

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआईन ने होम लोन की समय सीमा को 10 साल और बढ़ा दिया है। जिसके बाद बैंक से मिलने वाला होम लोन 20 साल की जगह 30 साल के लिए मिल पाएगा। इसके साथ ही सरकार ने 15 लाख तक के होमलोन पर ब्याज में एक फीसदी की सब्सिडी का फैसले को मंजूरी दे दी है। अभी तक केवल 10 लाख तक के होम लोन में 1 फीसदी की सब्सिडी मिलती है लेकिन अब सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर 15 लाख रुपए कर दिया है। यानी कि 20 लाख तक के मकान पर 10 लाख रुपए होम लोन लेने पर एक फीसदी की सब्सिडी के बदले अब बैंक 25 लाख तक के मकान पर 15 लाख रुपए होमलोन लेने पर एक फीसदी सब्सिडी देंगे। इन छोटे मोटे उपायों से लोगों के घर का सपना सच करना संभव नहीं दिख रहा है।

महंगाई पर लगाम के लिए फिर बढ़ा रेपो रेट

अगर आपर घर या कार खरीदने की सोच रहे हैं। तो अब आपको ज्यादा ब्याज देने पड़ेगे। क्योंकि आरबीआई यानी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रेपो रेट में फिर से 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है।

रिजर्व बैंक एक बार फिर से कर्ज महंगे कर दिए हैं। यानी कि जीने के लिए अगर आप कर्ज का सहारा लेने की सोच रहे हैं। तो भूल जाइए। क्योंकि अब कर्ज और महंगे हो जाएंगे। आपकी ईएमआई और बढ़ जाएगी।

महंगाई को कम करने के लिए रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान रेपो रेट को सवा 8 फीसदी से बढ़ाकर साढ़े 8 फीसदी कर दिया है...जबकि रिवर्स रेपो सवा 7 फीसदी से बढ़ाकर साढ़े 7 फीसदी कर दिया है...पिछले 19 महीनों में आरबीआई ने तरहवीं बार अहम दरों में इज़ाफा किया है। रेपो रेट के बढ़ने से होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन, एजुकेशन लोन सहित हर तरह के कर्ज महंगे हो जाएंगे।

हालांकि रिजर्व बैंक ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए ये कमद उठाए हैं। लेकिन महंगाई है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही है। फिलहाला खाद्य महंगाई दर साढ़े दस फीसदी से ज्यादा है। जबकि होलसेल महंगाई दर दस फीसदी के करीब है...बार बार रेपो रेट बढ़ाने के परिणाम अभीतक ठाक की तीन पात ही रहे हैं। या कहें इसका उल्टा असर ज्यादा देखने को मिला है। क्योंकि आरबीआई के इस कदम से महंगाई तो कम नहीं हो सकी लेकिन देश की विकास में ज़रूर कमी होने लगी।

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

नोएडा एक्सटेंश पर हाईकोर्ट का फैसला

नोएडा एक्सटेंशन के जमीन अधिग्रहण पर फैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन गांवों के अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। जबकि बाकी के 60 गांवों में अधिग्रहण को कुछ शर्तों के साथ मंज़ूरी दे दी है। इससे जहां बिल्डर्स और इन इलाके में फ्लैट बुक करा चुके लोगों को राहत मिली है। वहीं किसान हाईकोर्ट के इस फैसले से खुश नहीं हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोयडा एक्सटेंशन के अंतर्गत आने वाले 63 गांवों पर फैसला सुनाते हुए तीन गांवों में ज़मीन अधिग्रहण रद्द कर दिया है। ये 3 गांव हैं असदुल्लापुर, देवला और शाहबेरी । इन गांवों में अथॉरिटी को ज़मीन लौटानी होगी। शाहबेरी में 7 बिल्डर्स के प्रोजेक्ट चल रहे थे। जबकि देवला और असदुल्लापुर में अभी कोई प्रोजेक्ट शुरू नहीं हुआ है। वहीं 60 गांवों में ज़मीन अधिग्रहण को कोर्ट ने सशर्त मंजूरी दे दी है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक बाकी के 60 गांवों में किसानों को 64 फीसदी अतिरिक्त मुआवजा और 10 फीसदी अतिरिक्त विकसित जमीन दिया जाए।

जिन तीन गांवों का जमीन अधिग्रहण रद्द हुआ वहां के किसान मुआवजा लौटाकर अपनी जमीन वापस ले सकते हैं। इन तीन गांवों के किसानों ने इस फैसले पर खुशी जताई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले पर किसानों, बिल्डरों, राज्य सरकार और थॉरिटी समेत फ्लैट बुक करा चुके लोगों की निगाहें लगी हुई थी। नोएडा एक्सटेंशन समेत ग्रेटर नोएडा के 40 गांवों के किसानों ने 491 याचिकाएं कोर्ट में डालीं थीं। नोएडा के भी 24 गांवों के किसानों ने अपनी अपनी याचिकाएं दायर की थी। जमीन अधिग्रहण का मामला कोर्ट में जाने से नोएडा एक्सटेंशन का विकास कार्य ठप हो गया था और फ्लैटों की बुकिंग बंद हो गई थीं।

15 दिन बाद मारुति हड़ताल खत्म

मारुति और सुजुकी के मानेसर प्लांट में पिछले 15 दिनों से जारी कर्मचारियों की हड़ताल ख़त्म हो गई...हरियाणा सरकार की मध्यस्थता में कर्मचारियों और कंपनी मैनेजमेंट के बीच समझौता हो गया है...जिसके तहत मैनेजमेंट 64 स्थाई कर्मचारियों और 1200 अस्थाई कर्मचारियों को काम पर वापस रखेगा।

मारुति कंपनी प्रबंधन, कर्मचारी और हरियाणा सरकार के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते के बाद मारुति और सुजुकी के कर्मचारियों की 15 दिन तक खिंची हड़ताल खत्म हो चुकी है। समझौते के मुताबिक मैनेजमेंट सस्पेंड किए गए 64 स्थाई कर्मचारियों को वापस लेने पर सहमत हो गया। लेकिन मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट के 30 कर्मचारियों और सुजुकी पावरट्रेन के 3 कर्मचारियों का निलंबन जारी रहेगा।

मारुति सुजुकी के मैनेजमेंट ने 1200 अस्थाई कर्मचारियों को बहाल करने की बात भी स्वीकार कर ली है। समझौते के मुताबिक़ कर्मचारियों को हड़ताल के दौरान काम नहीं करने पर वेतन का भुगतान नहीं किया जाएगा। इसके अलावा शिकायतों को दूर करने के लिए और श्रम कल्याण के लिए दो समितियों का गठन करने पर भी सहमति बनी है ताकि प्लांट में मैत्रीपूर्ण कार्य का वातावरण उपलब्ध कराया जा सके। पिछले पांच महीनों में तीसरी बार कर्मचारी हड़ताल पर थे। हालांकि जानकारों का मानना है कि पिछली बार की तरह इसबार भी पूरी तरह बात नहीं बनी है। क्योंकि सुजुकी के दो प्लांट के 33 कर्मचारी अभी भी सस्पेंड हैं। ऐसे में अगर फिर कंपनी अपने वायदे से मुकरती है तो उसे एकबार फिर से हड़ताल का सामना करना पड़ सकता है।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

खाद्य महंगाई दर 10 के पार

खाने-पीने के सामान महंगे होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से खाद्य महंगाई दर 10 फीसदी के पार पहुंच गई है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। साथ ही विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।

खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। 8 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 10.60 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 9.32 फीसदी थी। महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों और ईंधन का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 17.59 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं फल 12.39 फीसदी मंहगे हुए हैं। जबकि दूध की कीमत 10.80 फीसदी बढ़े हैं। मांस व मछली की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 14.10 फीसदी तेजी आई है। दालें 7.42 फीसदी मंहगी हुईं हैं। साथ ही अनाज की कीमतें 4.73 फीसदी बढ़ी हैं।

सरकार ने बढ़ती खाद्य महंगाई दर पर चिंता जताई है। लेकिन सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसा माना जा रहा है कि महंगाई को बस में करने के लिए रिजर्व बैंक अपने अगले क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में एक बार फिर से अहम दरों में करीब 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले डेढ़ साल में आरबीआई ने एक दर्जन बार कर्ज दरों में बढ़ोतरी है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का असर तो ग्रोथ पर दिखा रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेअसर होकर बदस्तूर बढ़ती जा रही है।

शनिवार, 15 अक्तूबर 2011

पीएम के घर महंगाई पर माथापच्ची

महंगाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर हलचल मच गई। दरअसर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आनन-फानन में एक बैठक बुलाई। जिसमें लगातार बढ़ रही महंगाई पर लगाम लगाने के लिए चर्चा की गई। इस बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने महंगाई पर लगाम लगाने के तरीके तलाशने के लिए प्रमुख आर्थिक नीति निर्माताओं के साथ दिल्ली में अपने निवास पर एक बैठक की। प्रधानमंत्री निवास पर बुलाई गई इस बैठक में योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन, वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु और आरबीआई के गवर्नर डी सुब्बाराव शामिल हुए।

भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले 18 महीनों में 12 बार अहम दरों में बढ़ोतरी की है। इसके बावजूद महंगाई लगातार बढ़ रही है।महंगाई दर पिछले नौ महीनों से दहाई अंकों के आसपास बनी हुई है।सितम्बर में होलसेल कीमतों पर आधारित महंगाई दर 9.72 फीसदी रही। ऐसे में जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक एक बार फिर 25 अक्टूबर को होने मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान रेपो रेट और सीआरआर में बढ़ोतरी का ऐलान सकता है।

विकास के मामले में सबसे आगे बिहार

कभी भारत के सबसे बीमारू राज्यों में शुमार होने वाला बिहार आज देश का सबसे सफलतम राज्य है। साल 2010-2011 में बिहार का जीडीपी विकास दर बढ़कर 14 फीसदी को पार कर चुका है। जो कि देश में किसी भी राज्य से ज्यादा है। बिहार में विकास की रफ्तार बढ़ाने के पीछे वहां के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का अहम योगदान माना जा रहा है।

देश के कई विकसित राज्य आज बिहार को एक मॉडेल राज्य की तरह देखने को मज़बूर हैं। क्योंकि विकास की रफ्तार में बिहार ने उन्हें पीछे छोड़ दिया है। यही नहीं कभी गरीब समझे जाने वाले बिहार में विकास की रफ्तार इतनी ज्यादा है कि वो इस दौर में गुजरात और केंद्र सरकार से भी काफी आगे निकल चुका है।

साल 2010-2011 में बिहार का जीडीपी विकास दर 14.15 फीसदी पर पहुंच गया। जबकि इस दौरान तमिलनाडु का विकास दर 11.74 फीसदी रहा। वहीं छत्तीसगढ़ का जीडीपी विकास दर रहा 11.57 फीसदी। महाराष्ट्र का विकास दर 10.47 फीसदी दर्ज किया गया। वहीं पिछले साल तक नंबर वन पर रहे गुजरात का जीडीपी साल 2010-2011 में रहा महज 10.23 फीसदी। पंजाब का विकास दर दहाई के आंकड़े से काफी नीच यानी केवल 7.21 फीसदी रहा।

केंद्रीय सांख्यिकी संगठन के आंकड़ों के अनुसार साल 2004 से 2009 के बीच बिहार राज्य के जीडीपी में औसतन 11.03 प्रतिशत का सालाना इजाफा हुआ था। जो कि राष्ट्रीय औसत से ज्यादा था। पूरे देश में उस दौरान केवल गुजरात के जीडीपी के ग्रोथ रेट का औसत ही बिहार से थोड़ा अधिक 11.06 प्रतिशत था। दो साल पहले जहां दुनिया मंदी की मार को झेलने को मज़बूर थी उस दौरान भी बिहार में विकास तेजी से हो रहा था। और आज भी जब आनेवाली मंदी के भय से देश कपकपा रहा है। देश का विकास दर का अनुमान महीने दर महीने कम होता जा रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार का बिहार गर्व से सिर ऊंचा कर लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार को बिहार से कुछ सबक लेने की ज़रूरत है।

शुक्रवार, 14 अक्तूबर 2011

मारुति कर्मचारियों का हुक्का-पानी बंद

कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में स्थिति नाजुक बनी हुई है। प्लांट के आसपास सैकड़ों पुलिसवाले पहुंच चुके हैं। किसी भी वक्त वहां कर्मचारियों के साथ जोर जबरदस्ती हो सकती है। हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट ने प्लांट परिसर से कर्मचारियों को बाहर हटाने के आदेश दिए हैं।

मारुति सुजुकी इंडिया के मनेसर स्थित प्लांट पर माहौल उस समय गरम हो गया जब पुलिस ने फैक्ट्री पहुंचकर हड़ताल कर रहे करीब 1500 कर्मचारियों को फैक्‍ट्री परिसर से बाहर निकालने की कोशिश की। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश के बाद पुलिस के लगभग 700 जवान हड़ताली कर्मचारियों को परिसर से बाहर करने पहुंचे थे। हालांकि हड़ताल पर डटे कर्मचारियों ने मानेसर स्थित कारखाना परिसर में धरना देते रहे। जिससे वहां कामकाज ठप रहा। एक हफ्ते से ज्यादा समय से कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं।

इसके बाद आज गुड़गांव प्लांट में भी काम बंद हो गया क्योंकि वहां पार्ट्स की सप्लाई बंद हो गई है। ये पार्ट्स मानेसर में बनते हैं और वहां से ही इनकी सप्लाई गुड़गांव में होती है। कंपनी के एक प्रवक्ता ने बताया कि गुड़गांव प्लांट में काम दो दिनों के लिए बंद कर दिया गया है। अब रविवार को मौजूदा हालात की समीक्षा होगी और फिर आगे की रणनीति तय होगी। कंपनी के गुड़गांव प्लांट में हर रोज 2800 गाड़ियों का उत्पादन होता है। जो कि हड़ताल के बाद 600 गाड़ी प्रति दिन तक पहुंच गया था। दरअसल सुजुकी पॉवरट्रेन इंडिया के कर्मचारी भी मारुति के कामगारों के समर्थन में वहां बैठ गए हैं। इससे स्थिति और बिगड़ गई है।

हरियाणा और पंजाब हाई कोर्ट ने ऑर्डर दिया था कि कामगार परिसर छोड़ दें और प्लांट से 100 मीटर दूर धरने पर बैठें। हाई कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को इस बारे में कार्रवाई का भी निर्देश दिया है।कर्मचारियों को कंपनी परिसर खाली कराने के लिए प्लांट में पानी की सप्लाई रोक दी गई है। साथ ही कर्मचारियों के लिए जहां खाना बन रहा था उसे भी बंद करा दिया गया है। कर्मचारियों के एक नेता ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके एक साथी सुशील कुमार को उसके घर से उठा लिया है। जबकि पुलिस कमिश्नर ने इस बात का खंडन किया है। कुलमिलाकर मानेसर में स्थिति नाजुक बनी हुई है। और वहां किसी भी वक्त कोई बड़ा वाकया हो सकता है।

गुरुवार, 13 अक्तूबर 2011

कर्मचारियों की हड़ताल गैरकानूनी नहीं: HC

हरियाणा के हाईकोर्ट ने मारुति के मानेसर प्लांट में चल रहे कर्मचारियों के हड़ताल को गैरकानूनी मानने से इंकार कर दिया है। हरियाणा सरकार के श्रम विभाग ने मारुति के मानेसर प्लांट में चल रही हड़ताल को गैरकानून घोषित किया था। हालांकि कोर्ट ने कर्मचारियों को प्लांट परिसर खाली करने के आदेश दिए हैं।

मारुति के कर्मचारियों की अपनी हकों के लिए की जा रही हड़ताल जारी रहेगी। चंडीगढ़ हाईकोर्ट ने इस हड़ताल को गैरकानूनी मानने से इंकार कर दिया है। मारुति सुजूकी ने हड़ताली कर्मचारियों के खिलाफ चंडीगढ़ हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। हालांकि हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को कंपनी परिसर खाली करने के लिए कहा है। लेकिन प्लांट 100 मीटर की दूरी पर कर्मचारी अपना विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। हाई कोर्ट ने गुड़गांव के पुलिस कमिश्नर को आदेश दिया है कि वो कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के लिए उचित जगह मुहैया कराए। साथ ही ये सुनिश्चित करे की जो वर्कर काम पर जाना चाहते हैं उनके साथ कोई जोर जबरदस्ती ना हो।

करीब एक हफ्ते से मारुति सुजूकी के मानेसर प्लांट में शुरू हुई कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। मानेसर प्लांट में हड़ताल के चलते मारुति का उत्पादन ठप है। इसके अलावा मारुति के गुड़गांव प्लांट में भी उत्पादन पर असर देखने को मिल रहा है। हरियाणा सरकार के श्रम विभाग ने हड़ताल पर गए यूनियनों के पंजीकरण को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मारुति के मैनेजमेंट, हरियाणा सरकार के श्रम विभाग और हरियाणा पुलिस ने मारुति के मानेसर प्लांट में चल रही हड़ताल को गैरकानून घोषित किया था।

मारुति हड़ताल की लौ दूसरी कंपनियों तक

मारुति के मानेसर प्लांट में हड़ताल का आज सातवां दिन है... लेकिन दूर दूर तक हड़ताल खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं....मारुति सुजूकी मैनेजमेंट ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है.... और कर्मचारियों की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं है... इससे हड़ताल की लपटें कंपनी के एक प्लांट से दूसरे प्लांट में बढ़ती जा रही है..

कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी का दांव उल्टा पड़ता जा रहा है... कंपनी मैनेजमेंट ने मानेसर प्लांट के कर्मचारियों के साथ जो सख्ती दिखाई उसका असर सुजूकी के दूसरे प्लांट्स पर भी देखने को मिल रहा है....कंपनी का मानना था कि हरियाणा सरकार की मदद से मानेसर के कर्मचारियों के साथ सख्ती दिखाकर उन्हें अपनी शर्तों पर काम पर ले आएंगे...लेकिन, ऐसा हो नहीं सका....मारुति सुजूकी की इंज़न बनाने वाली कंपनी सुजूकी पावरट्रेन इंडिया में भी हड़ताल की लौ पहुंच चुकी है... वहां भी काम ठप्प हो गया है... वजह साफ है वहां के कर्मचारियों में भी ये डर है कि आज मारुति सुजूकी के मानेसर प्लांट के कर्मचारियों के साथ अगर कंपनी मनमानी कर रही है तो कल उनकी भी बारी हो सकती है...

कंपनी की मनमानी के विरोध में एक-एक कर कई कंपनियों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं... जिसमें सुजूकी कास्टिंग और सुजूकी मोटरसाइकिल भी शामिल है...हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में कुछ और कंपनियों के कर्मचारी भी हड़ताल की राह चल पड़ेंगे...

मैनेजमेंट की ताकत, पैसे और पहुंच के दम पर हड़ताल को रौंदने का प्लान एक बार फेल हो चुका है... ऐसे में कंपनी को ज्यादा दिनों तक कर्मचारियों के हितों की अनदेखी करना अब संभव नहीं है...

मारुति कर्मचारियों के हितों की अनदेखी

मारुति सुजूकी कंपनी हरियाणा में मज़दूरों को दबाने की पूरी कोशिश में लगी है... और इस काम में हरियाणा सरकार भी खुलकर कंपनी का साथ दे रही है... सख्त कानून और बात-बात पर कर्मचारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा देने से कर्मचारी खफा हैं...इन्हें हड़ताल पर जाने को मजबूर किया जा रहा है...

मारुति के मानेसर प्लांट के कर्मचारियों पर कंपनी का जुल्म दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है....प्रबंधन के जुल्म से मुक्ति के लिए कंपनी के कर्मचारियों ने यूनियन बनाने की बात की तो उन्हें ऐसा करने से रोका गया...अपने हक के लिए कर्मचारियों ने जून में 13 दिन की हड़ताल की...हरियाणा सरकार ने कोरे वादे कर हड़ताल तुड़वा दी... इसके बाद कंपनी ने कर्मचारियों की क्षमता और योग्यता पर ही सवाल खड़ा करना शुरू कर दिया... और इसकी आड़ में एक-एक करके कई कर्मचारियों को बर्खास्त और सस्पेंड कर दिया गया... गुस्साए कर्मचारियों ने फिर हड़ताल कर दी... 33 दिनों की इस हड़ताल के बाद हरियाणा सरकार और कंपनी मैनेजमेंट ने फिर सभी कर्मचारियों को काम पर रखने का भरोसा दिलाया। लेकिन काम शुरू होते ही इस वादे से मुकर गई।

हड़ताल खत्म होने पर जब कर्मचारी काम पर गए तो उन्हें उनके काम के बजाए दूसरा कामों में लगा दिया गया...ताकि उनसे ग़लती हो और उन्हें बर्खास्त करने का आधार बन जाए...यही नहीं, उन्हें मिलने वाली सुविधाएं भी कम कर दी गईं...उऩकी बस सर्विस रोक दी गई...गुड कंडक्ट बांड भरवाया गया... जिसके तहत बाथरूम जाने पर भी उसपर धीमी गति से काम करने का आरोप मढ़ दिया जाता है.... और इसी आधार पर उनकी सैलरी काट ली जाती है..

ऐसे दबाव से तंग कर्मचारी एक बार फिर हड़ताल पर चले गए...रात-दिन कर्मचारी प्लांट के बाहर तंबू लगाकर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.... लेकिन मैनेजमेंट बाउंसरों और ठेकेदारों के जरिए उन्हें परेशान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है...

मारुति से दशकों से जुड़े कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं...राज्य सरकार भी कंपनी के साथ ही दिख रही है...कर्मचारियों को बिना शर्त काम पर वापस आने की बातें कही जा रही है...राज्य के लेबर मिनिस्टर ने भी कामगारों का साथ छोड़ दिया... और हड़ताल के लिए उन्हें दोषी भी ठहरा रहे हैं... मंत्री महोदय 33 दिन काम नहीं करने पर 66 दिनों के वेतन कटौती के कंपनी के नियम को सही बता रहे हैं... कर्मचारियों ने जहां 99 फीसदी मांगे मान ली है वहीं मैनेजमेंट महज एक फीसदी मांग मानने को तैयार नहीं दिख रहा है...

मारुति कर सकती है गुजरात का रुख

मारुति सुजूकी का मैनेजमेंट कर्मचारियों के प्रति सख्त रुख अपनाए हुए है। कर्मचारियों की मांगों को अनसुना करते हुए मारुति सुजूकी अपनी मनमानी करने पर आमदा है। ऐसा लग रहा है जैसे प्लांट को शिफ्ट करने की तैयारी चल रही हो। मारुति के गुजरात प्लांट के बारे में इसी महीने फैसला लिया जा सकता है।

हरियाणा में अपने प्लांट में कर्मचारियों के माथे पर ठीकरा फोड़ते हुए मारुति सुजूकी अब गुजरात में अपना प्लांट लगाने की तैयारी में है... इसके लिए कंपनी तरह तरह के बहाने बना रही है... कंपनी की इस मंशा को देखते हुए हरियाणा सरकार का पूरा महकमा कंपनी के सामने नतमस्तक खड़ी है... पिछले पांच महीने में कंपनी के मानेसर प्लांट में कर्मचारियों की ये तीसरी हड़ताल है...जानबूझकर कर्मचारियों के लिए कड़े कानून बनाए जा रहे हैं....ताकि कर्मचारियों से बंधुआ मज़दूर की तरह काम लिया जाए...

गुजरात में प्लांट खोलने के सिलसिले में सुजूकी के चेयरमैन ओसामु सुजुकी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी कर चुके हैं... कंपनी इसी महीने गुजरात में अपना प्लांट लगाने के लिए जगह तय करेगी... जानकारों का मानना है कि मारुति अहमदाबाद के पास हंसलपुर को नए प्लांट के लिए चुन सकती है क्योंकि हंसलपुर मुंदड़ा, कांडला और पीपावाव पोर्ट से जुड़ा है... मारुति सुजूकी इंडिया के चेयरमैन आर सी भार्गव ने कहा कि गुजरात में जमीन के बारे में और जानकारी जुटाने के बाद कंपनी का बोर्ड नए प्लांट को लगाने का फैसला करेगा। कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कंपनी की बातचीत बेहद सकारात्मक रही है। शायद यही वजह है कि कंपनी मैनेजमेंट कर्मचारियों की किसी भी बात को सुनने को तैयार नहीं है। और हरियाणा सरकार कंपनी के हां में हां मिला रही है।

सोमवार, 10 अक्तूबर 2011

दयानिधि मारन खा सकते हैं जेल की हवा!

सीबीआई ने मारन बंधुओं के अलावा अस्ट्रा टीवी के सीईओ रॉल्फ मार्शल और व्यावसायी टी. आनंद कृष्णन के खिलाफ भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। सीबीआई ने दयानिधि मारन के चेन्नई और दिल्ली स्थित घरों और दफ्तरों पर छापेमारी की।

इसके साथ ही सुनीता रेड्डी के चेन्नई और हैदराबाद स्थित घरों पर छापेमारी की गई। सुनीता अपोलो अस्पातल समूह के संस्थापक प्रताप रेड्डी की बेटी हैं। सीबीआई ने पिछले महीने भी सुनीता से पूछताछ की थी क्योंकि सुनीता साल 2005 में एयरसेल की अध्यक्ष थीं। सिंध्या सिक्योरिटिज और इनवेस्टमेंट्स में उनकी हिस्सेदारी थी। और ये वही इन्वेंस्टमेंट कंपनी है जिसकी एयरसेल में 26 फीसदी हिस्सेदारी थी।

टेलीकॉम मंत्री रहते हुए दयानिधि मारन ने मलेशियाई कंपनी मैक्सिस को फायदा पहुंचाया। बदले में मैक्सिस ने भी दयानिधि के भाई कलानिधि की कंपनी में निवेश किया। दयानिधि मारन पर मैक्सिस कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप है। जिसके बदले में मैक्सिस ने उनके भाई की कंपनी सन नेटवर्क में सैकड़ों करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। मारन पर आरोप है कि जब वे दूरसंचार मंत्री थे तब उन्होंने एयरसेल के कई सर्कलों के लिए लाइसेंस देने का फ़ैसला लटका रखा था। यही नहीं दयानिधि मारन ने एयरसेल टेलीकॉम को बेचने के लिए कंपनी के मालिक शिवशंकरन पर दबाव डाला। जिसके कारण उन्हें एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी बेचनी पड़ी।

दयानिधि मारन ने टेलीकॉम मंत्री रहते हुए ना केवल शिवशंकरन जैसे एक बड़े व्यवसायी को परेशान किया बल्कि एक विदेशी कंपनी मैक्सिस को फायदा पहुंचाया। दबाव में आकर शिवशंकरन को अपनी कंपनी एयरसेल मलेशिया के मैक्सिस ग्रुप को बेचना पड़ा। मैक्सिस ग्रुप के मालिक हैं टी आनंद कृष्णन। जिनकों दयानिधि मारन के भाई कलानिधि मारन का करीबी माना जाता है। इस डील के बदले मैक्सिस ने अपनी ही एक ग्रुप कंपनी एस्प्रो नेटवर्क के जरिए सन नेटवर्क में निवेश किए। यही नहीं मैक्सिस के हाथो बिकते ही एयरसेल के सभी रुके हुए काम दनादन होने लगे। क्योंकि मैक्सिस के ऊपर पर तत्कालीन दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन का हाथ था। मैक्सिस मलेशिया का एक बड़ा ग्रुप है। जिसका एक्सपोजर कई क्षेत्रों में है। ऑयल, गैस, कैसिनो, टेलीकॉम, सैटेलाइट सहित इस ग्रुप के बहुत से बिजनेस हैं। इस ग्रुप की कई कंपनियां एशिया के अलग अलग बाजारों में लिस्टेड हैं।

मोबाइल रोमिंग चार्ज की छुट्टी

रोमिंग चार्ज से मिलेगी लोगों को मुक्ती। साथ ही शहर बदलने पर नया कनेक्शन लेने की नहीं होगी ज़रूरत। टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल ने अपनी नई टेलीकॉम नीति में इसका ऐलान किया है। इससे देश के करोड़ों टेलीफोन ग्राहकों को फायदा होगा।

सरकार ने नई टेलीकॉम नीति का खुलासा कर दिया है। इस ड्राफ्ट टेलीकॉम पॉलिसी 2011 में आम लोगों के हितों का ख्लाय रखा गया है। साथ ही देश के सबसे बड़े टेलीकॉम घोटाले के बाद पारदर्शिता पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। इस पॉलिसी के तहत किसी भी टेलीकॉम कंपनी के ग्राहक अपने मोबाइल नंबर का इस्तेमाल पूरे देश में कहीं भी कर पाएंगे। और उसके लिए उन्हें कोई फीस नहीं देना होगा। साथ ही मोबाइल नंबर पोर्टेब्लिटी को भी अब एक सर्किल से बढ़ाकर देशव्यापी करने का ऐलान किया गया है। यानी कि अब आप बिना नंबर बदले शहर और अपना टेलीकॉम ऑपरेटर बदल पाएंगे।

नई टेलीकॉम नीति में सुदूर क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्र पर काफी ज्यादा ध्यान दिया गया है। साल 2020 तक देश के सभी गांवों में टेलीफोन पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही इंटरनेट को काफी बढ़ावा दिया गया। नई पॉलिसी के तहत देश में 2020 तक ब्रॉडबैंड का स्पीड 100 मेगाबाइट प्रति सेकेंड करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ कंज्युमर के हितों को ध्यान में रखते हुए कंज्युमर प्रोटेक्शन एक्ट को मज़बूत किया गया है। यानी की कई राज्यों में होने वाले चुनावों से ठीक पहले सरकार ने देश की करोड़ो जनता के दिलों को जीतने की कोशिश शुरू कर दी है।

शनिवार, 8 अक्तूबर 2011

मारुति हड़ताल: सरकार भी कंपनी के साथ

कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति सुजूकी के मानेसर प्लांट में एक बार फिर से कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। हरियाणा के श्रम एवं रोजगार मंत्री शिवचरण लाल शर्मा ने कर्मचारियों पर कंपनी प्रबंधन के साथ किए गए समझौते का उल्लंघन करने आरोप लगाया है।

मारुति की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कंपनी के मानेसर प्लांट में फिर हड़ताल हो गई है। इस बार सस्पेंड अस्थायी कर्मचारियों को वापस नहीं लेने पर बात बिगड़ गई है। कंपनी ने कहा है कि हड़ताल के चलते एक यूनिट में काम बंद है जिससे प्रोडक्शन पूरी तरह ठप्प हो गया है। पिछले 2 महीनों में ये दूसरा मौका है जब मारुति के मानेसर प्लांट में हड़ताल हुई है। कंपनी के इसी प्लांट में पहले भी हड़ताल हुई थी। लेकिन हरियाणा सरकार के दखल के बाद मजदूर काम पर लौट आए थे। इससे पहले मानेसर प्लांट में हुई हड़ताल 34 दिनों तक चली थी।

एक अक्टूबर को संयंत्र के कर्मचारी प्रबंधन के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने को राजी हुए जिससे 29 अगस्त से शुरू हुई हड़ताल खत्म हो गई। समझौते के मुताबिक, मारुति सुजुकी इंडिया उन 18 प्रशिक्षुओं को सशर्त कंपनी में वापस रखने को सहमत हुई जिन्हें निलंबित किया गया था। हालांकि, कंपनी ने 44 नियमित कर्मचारियों की नौकरी बहाल करने से इनकार कर दिया। इन कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए इन्हें निलंबित कर दिया गया था। समझौते में कर्मचारी बेहतर आचरण के बांड पर दस्तखत करने को राजी हो गए थे जिसके तहत उन्हें अनिवार्य तौर पर यह घोषणा करनी थी कि वे धीमी गति से काम नहीं करेंगे, काम को बीच में नहीं रोकेंगे, हड़ताल से दूर रहेंगे और किसी ऐसी तोड़फोड़ गतिविधि में शामिल नहीं होंगे जिससे सामान्य उत्पादन बाधित हो।

हरियाणा श्रम विभाग की एक टीम ने मानेसर प्लांट के कर्मचारियों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि 14 अक्टूबर तक अस्थायी कर्मचारियों को कंपनी में वापस रख लिया जाएगा। जबकि कर्मचारी अस्थाई कर्मचारियों की तुरंत बहाली चाहते हैं। क्योंकि महीने भर से ज्यादा चली हड़ताल के बाद उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है।

हरियाणा के श्रम और रोजगार मंत्रालय को कर्मचारियों का साथ देना चाहिए। लेकिन ऐसा लगता है कि वो भी कंपनी मैनेजमेंट के साथ खड़ी है। इस देश में एक कड़े श्रम कानून की जरूरत है जो कि मज़दूरों का भला कर सके। नहीं तो कंपनियां उनका खून पीती रहेंगी। क्योंकि मारुति ने ही ऐसे-ऐसे नियमों पर कर्मचारियों की हस्ताक्षर ली है। जिसके तहत वो समय-समय पर उनपर चाबुक बरसाते रहने में कामयाब हो पाए। और उन्हें नौकरी से निकालने के लिए उसे ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़े।

शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

440 वोल्ट के झटके से संभला बाजार

शेयर बाजार में 440 वोल्ट का एक झटका लगा है। लेकिन निवेशकों को इस झटके में फंसने की ज़रूरत नहीं है। क्योंकि शेयर बाजार में आज की तेजी ज्यादा दिनों तक टिकने वाली नहीं है। डे ट्रेडिंग करने वालों के लिए तो ये सही समय है। लेकिन जो अपने खून-पसीने की कमाई शेयर बाजार में लगाते हैं इस उम्मीद में कि अच्छा रिटर्न मिलेगा। तो उन्हें फिलहाल बाजार से दूर ही रहना चाहिए। क्योंकि बाजार में आज की तेजी या ऐसी तेजी चार दिनों की चांदनी है इसके बाद फिर अंदेरी रात आने वाली है।

अगर आज की बात करें तो। हफ्ते में पहली बार शेयर बाजार आज बढ़त के साथ बंद हुए। सेंसेक्स 440 अंकों की तेजी के साथ 16232 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 137 अंक चढ़कर 4888 पर बंद हुआ। आज के कारोबार में सबसे ज्यादा तेजी मेटल शेयरों में देखने को मिली। मेटल इंडेक्स 5.5 फीसदी की मजबूती पर बंद हुए। मेटल क्षेत्र में स्टरलाइट इंडस्ट्रीज सबसे ज्यादा 8.5 फीसदी बढ़त के साथ बंद हुए। वहीं जिंदल स्टील 8 फीसदी, सेसा गोवा 6 फीसदी और टाटा स्टील 5 फीसदी की बढ़त पर बंद हुए। बैंक शेयरों में भी तेजी रही और एक्सिस बैंक 8.5 फीसदी, आईसीआईसीआई बैंक 5.5 फीसदी की बढ़त के साथ बंद हुए। दुनियाभर के बाजारों में आई तेजी का असर भारतीय बाजार पर देखने को मिला।

ये समय है उन निवेशकों के लिए जो कि शेयर बाजार में निवेश कर चुके हैं और उन्हें निकलने का मौका नहीं मिल रहा है। उन्हें इस मौके को नहीं गंवाना चाहिए। और जो कुछ भी प्रॉफिट मिले उसे लेकर निकल जाना चाहिए। क्योंकि ये मौका आने वाले कुछ महीनों में कम ही आने वाले हैं। वजह साफ है रातों रात दुनियाभर के बाजारों में कुछ नहीं बदला है। यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर संकट बरकरार है। स्थिति में सुधार नहीं के बराबर दिख रहा है। ऐसे में निवेशकों को मौके की तलाश में रहना चाहिए और जैसे ही उनका नुकसान खत्म हो उन्हें बाजार से बाहर निकल जाना चाहिए।

खाद्य महंगाई दर फिर 10% के करीब

खाने-पीने के सामान महंगे होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से एक बार फिर से खाद्य महंगाई दर 10 फीसदी के करीब पहुंच गई है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं।खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है।

खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। 24 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 9.13 फीसदी थी।

महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है। सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 14.88 फीसदी की तेजी आई है। आलू के भाव 9.34 फीसदी बढ़े हैं। वहीं प्याज पिछले एक साल में 10.58 फीसदी महंगी हुई है। फलों की कीतमों में 11.72 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि दूध, अंडे, मीट और मछली की कीमतों में पिछले एक साल में 10.30 फीसदी की तेजी आई है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती खाद्य महंगाई दर पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए वो लगातार आरबीआई के संपर्क में बने हुए हैं। सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसा माना जा रहा है कि महंगाई को बस में करने के लिए रिजर्व बैंक अपने अगले क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में एक बार फिर से अहम दरों में करीब 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले डेढ़ साल में आरबीआई ने एक दर्जन बार कर्ज दरों में बढ़ोतरी है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का असर तो ग्रोथ पर दिखा रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेअसर होकर बदस्तूर बढ़ती जा रही है।

गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

स्टीव जॉब्स की तीसरी कहानी

मेरी तीसरी कहानी death के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक quote पढ़ा , जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जियें जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखीरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक impression बना दी, और तबसे…पिछले 33 सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी life के बड़े decisions लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है, क्योंकि जब एक बार death के बारे में सोचता हूँ तब सारी expectations, सारा pride, fail होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है…किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.

आप पहले से ही नंगे हैं.ऐसा कोई reason नहीं है की आप अपने दिल की ना सुने. करीब एक साल पहले पता चला की मुझे cancer है . सुबह 7:30 बजे मेरा scan हुआ, जिसमे साफ़-साफ़ दिख रहा था की मेरे pancreas में tumor है. मुझे तो पता भी नहीं था की pancreas क्या होता है. Doctor ने लग-भग यकीन के साथ बताया की मुझे एक ऐसा cancer है जिसका इलाज़ संभव नहीं है..और अब मैं बस 3 से 6 महीने का मेहमान हूँ. Doctor ने सलाह दी की मैं घर जाऊं और अपनी सारी चीजें व्यवस्थित कर लूं, जिसका indirect मतलब होता है कि , “आप मरने की तैयरी कर लीजिए.” इसका मतलब कि आप कोशिश करिये कि आप अपने बच्चों से जो बातें अगले दस साल में करते , वो अगले कुछ ही महीनों में कर लीजिए. इसका ये मतलब होता है कि आप सब-कुछ सुव्यवस्थित कर लीजिए की आपके बाद आपकी family को कम से कम परेशानी हो.इसका ये मतलब होता है की आप सबको गुड-बाय कर दीजिए.

मैंने इस diagnosis के साथ पूरा दिन बिता दिया फिर शाम को मेरी biopsy हुई जहाँ मेरे मेरे गले के रास्ते, पेट से होते हुए मेरी intestine में एक endoscope डाला गया और एक सुई से tumor से कुछ cells निकाले गए. मैं तो बेहोश था , पर मेरी wife , जो वहाँ मौजूद थी उसने बताया की जब doctor ने microscope से मेरे cells देखे तो वह रो पड़ा…दरअसल cells देखकर doctor समझ गया की मुझे एक बहुत ही दुर्लभ प्रकार का pancreatic cancer है जो surgery से ठीक हो सकता है. मेरी surgery हुई और सौभाग्य से अब मैं ठीक हूँ.

मौत के इतना करीब मैं इससे पहले कभी नहीं पहुंचा , और उम्मीद करता हूँ की अगले कुछ दशकों तक पहुँचूं भी नहीं. ये सब देखने के बाद मैं ओर भी विश्वाश के साथ कह सकता हूँ की death एक useful but intellectual concept है.कोई मरना नहीं चाहता है, यहाँ तक की जो लोग स्वर्ग जाना चाहते हैं वो भी…फिर भी मौत वो मजिल है जिसे हम सब share करते हैं.आज तक इससे कोई बचा नहीं है. और ऐसा ही होना चाहिए क्योंकि शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बड़ा आविष्कार है . ये जिंदगी को बदलती है, पुराने को हटा कर नए का रास्ता खोलती है. और इस समय नए आप हैं. पर ज्यादा नहीं… कुछ ही दिनों में आप भी पुराने हो जायेंगे और रस्ते से साफ़ हो जायेंगे. इतना dramatic होने के लिए माफ़ी चाहता हूँ पर ये सच है.आपका समय सीमित है, इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर व्यर्थ मत कीजिये. बेकार की सोच में मत फंसिए,अपनी जिंदगी को दूसरों के हिसाब से मत चलाइए. औरों के विचारों के शोर में अपनी अंदर की आवाज़ को, अपने intuition को मत डूबने दीजिए. वे पहले से ही जानते हैं की तुम सच में क्या बनना चाहते हो. बाकि सब गौड़ है.

जब मैं छोटा था तब एक अद्भुत publication, “The Whole Earth Catalogue” हुआ करता था, जो मेरी generations की bibles में से एक था.इसे Stuart Brand नाम के एक व्यक्ति, जो यहाँ … MelonPark से ज्यादा दूर नहीं रहता था, और उसने इसे अपना poetic touch दे के बड़ा ही जीवंत बना दिया था. ये साठ के दशक की बात है, जब computer और desktop publishing नहीं हुआ करती थीं., पूरा catalogue ..typewriters, scissors और Polaroid cameras की मदद से बनाया जाता था. वो कुछ-कुछ ऐसा था मानो Google को एक book के form में कर दिया गया हो….वो भी गूगल के आने के 35 साल पहले.वह एक आदर्श था, अच्छे tools और महान विचारों से भरा हुआ था.

Stuart और उनकी team ने “The Whole Earth Catalogue”के कई issues निकाले और अंत में एक final issue निकाला. ये सत्तर के दशक का मध्य था और तब मैं आपके जितना था. Final issue के back cover पे प्रातः काल का किसी गाँव की सड़क का द्दृश्य था…वो कुछ ऐसी सड़क थी जिसपे यदि आप adventurous हों तो किसी से lift माँगना चाहेंगे. और उस picture के नीचे लिखा था, “Stay Hungry, Stay Foolish”.. ये उनका farewell message था जब उन्होंने sign-off किया…,“Stay Hungry, Stay Foolish” और मैंने अपने लिए हमेशा यही wish किया है, और अब जब आप लोग यहाँ से graduate हो रहे हैं तो मैं आपके लिए भी यही wish करता हूँ , stay hungry, stay foolish. Thank you all very much.

स्टीव जॉब्स की दूसरी कहानी

मेरी दूसरी कहानी , love और loss के बारे में है. मैं जिस चीज को चाहता था वह मुझे जल्दी ही मिल गयी. Woz और मैंने अपने parents के गराज से Apple शरू की तब मैं 20 साल का था. हमने बहुत मेहनत की और 10 साल में Apple दो लोगों से बढ़ कर $2 Billion और 4000 लोगों की company हो गयी. हमने अभी एक साल पहले ही अपनी finest creation Macintosh release की , मैं तीस का हो गया था और मुझे company से fire कर दिया गया.

आप अपनी बनायीं हुई company से fire कैसे हो सकते हैं ? Well, जैसे-जैसे company grow की, हमने एक ऐसे talented आदमी को hire किया ,जिसे मैंने सोचा कि वो मेरे साथ company run करेगा , पहले एक साल सब-कुछ ठीक-ठाक चला…. लेकिन फिर company के future vision को लेके हम दोनों में मतभेद होने लगे. बात Board Of Directors तक पहुँच गयी, और उन लोगों ने उसका साथ दिया,so at thirty , मुझे निकाल दिया गया…publicly निकाल दिया गया. जो मेरी पूरी adult life का focus था वह अब खत्म हो चुका था, और ये बिलकुल ही तबाह करने वाला था. मुझे सचमुच अगले कुछ महीनो तक समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूं.

मुझे महसूस हुआ कि ये सबकुछ इतनी आसानी से accept करके मैंने अपने पहले कि generation के entrepreneurs को नीचा दिखाया है. मैं David Packard और Bob Noyce से मिला और उनसे सबकुछ ऐसे हो जाने पर माफ़ी मांगी. मैं एक बहुत बड़ा public failure था, एक बार तो मैंने valley* छोड़ कर जाने की भी सोची.पर धीरे – धीरे मुझे अहसास हुआ की मैं जो काम करता हूं, उसके लिए मैं अभी भी passionate हूँ. Apple में जो कुछ हुआ उसकी वजह से मेरे passion में ज़रा भी कमी नहीं आई है….मुझे reject कर दिया गया है, पर मैं अभी भी अपने काम से प्यार करता हूँ. इसलिए मैंने एक बार फिर से शुरुआत करने की सोची. मैंने तब नहीं सोचा पर अब मुझे लगता है की Apple से fire किये जाने से अच्छी चीज मेरे साथ हो ही नहीं सकती थी. Successful होने का बोझ अब beginner होने के हल्केपन में बदल चूका था , मैं एक बार फिर खुद को बहुत free महसूस कर रहा था…इस स्वछंदता की वज़ह से मैं अपनी life की सबसे creative period में जा पाया.

अगले पांच सालों में मैंने एक company … NeXT और एक दूसरी कंपनी Pixar start की और इसी दौरान मेरी मुलाक़ात एक बहुत ही amazing lady से हुई ,जो आगे चलकर मेरी wife बनी. Pixar ने दुनिया की पहली computer animated movie , “ Toy Story” बनायीं, और इस वक्त यह दुनिया का सबसे सफल animation studio है. Apple ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए NeXT को खरीद लिया और मैं Apple में वापस चला गया. आज Apple, NeXT द्वारा develop की गयी technology use करती है….अब Lorene और मेरा एक सुन्दर सा परिवार है. मैं बिलकुल surety के साथ कह सकता हूँ की अगर मुझे Apple से नहीं निकाला गया होता तो मेरे साथ ये सब-कुछ नहीं होता. ये एक कड़वी दवा थी …पर शायद patient को इसकी ज़रूरत थी.कभी-कभी जिंदगी आपको इसी तरह ठोकर मारती है. अपना विश्वाश मत खोइए. मैं यकीन के साथ कह सकता हूँ कि मैं सिर्फ इसलिए आगे बढ़ता गया क्योंकि मैं अपने काम से प्यार करता था…I loved my work.

आप really क्या करना पसंद करते हैं यह आपको जानना होगा, जितना अपने love को find करना ज़रूरी है, उतना ही उस काम को ढूँढना ज़रूरी जिसे आप सच-मुच enjoy करते हों आपका काम आपकी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा होगा, और truly-satisfied होने का एक ही तरीका है की आप वो करें जिसे आप सच-मुच एक बड़ा काम समझते हों...और बड़ा काम करने का एक ही तरीका है की आप वो करें जो करना आप enjoy करते हों.यदि आपको अभी तक वो काम नहीं मिला है तो आप रूकिये मत..उसे खोजते रहिये. जैसा कि दिल से जुडी हर चीज में होता है…वो जब आपको मिलेगा तब आपको पता चल जायेगा…और जैसा की किसी अच्छी relationship में होता है वो समय के साथ-साथ और अच्छा होता जायेगा ….इसलिए खोजते रहिये…रूकिये मत.

स्टीव जॉब्स की कहानी

स्टीव जॉब्स का कल निधन हो गया। वे एक अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक थे। वे एप्पल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने अगस्त 2011 में सीईओ पद से त्यागपत्र दे दिया। जॉब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। वर्ष 2006 में जॉब्स वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे। जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था। 1995 में आई फिल्म टॉय स्टोरी में उन्होंने बतौर कार्यकारी निर्माता काम किया।

कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन बनानी वाली कंपनी एप्पल के पूर्व सीईओ और जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया है। कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में पैदा हुए स्टीव को पाउल और कालरा जॉब्स ने गोद लिया था। जॉब्स ने कैलिफोर्निया में ही पढ़ाई की। उस समय उनके पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे और वे अपनी इस आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए गर्मियों की छुट्टियों में काम किया करते थे।

1972 में जॉब्स ने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। पढ़ाई के दौरान उनको अपने दोस्त के कमरे में जमीन पर सोना पड़ा। वे कोक की बोतल बेचकर खाने के लिए पैसे जुटाते थे और पास ही के कृष्ण मंदिर से सप्ताह में एक बार मिलने वाला मुफ्त भोजन भी करते थे। इतनी विषम परिस्थितियों के बावजूद स्टीव जॉब्स अमेरिका के 43वें सबसे धनी व्यक्तियों में अपना नाम शुमार कर लिया। जॉब्स को कंप्यूटर से लेकर पार्टेबल डिवाइसिस के 230 से अधिक एप्लिकेशन के इनवेंटर या को-इनवेंटर के तौर हमेशा जाना जाएगा। जॉब्स ने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की और बौद्ध धर्म को अपनाया। जॉब्स ने 1991 में लोरेन पॉवेल से शादी की। उनका एक बेटा है।

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों का नाम लिया जाएगा। उसमें सबसे ऊपर स्टीव जॉब्स का नाम आएगा। एप्पल के सह संस्थापक स्टीव को दुनिया ना केवल सफल उद्योगपति, इन्वेंटर और बिजनेसमैन बल्कि दुनिया के प्रमुख मोटिवेटर्स और स्पीकर्स के रूप में भी जाना जाएगा।

स्टीव जॉब्स की अब तक की सबसे बेहतरीन स्पीच है ‘स्टे हंग्री स्टे फूलिश’। ये स्पीच उन्होंने स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में 12 जून 2005 को दी थी। आप भी पढ़िए उन्होंने क्या कहा था-

“शुक्रिया आज दुनिया की सबसे बहेतरीन विश्वविधायलयों में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मैं आपको एक सच बता दूं। मैं कभी किसी कॉलेज से पास नहीं हुआ। आज मैं आपको अपने जीवन की एक कहानी सुनाना चाहूँगा…

मेरी कहानी डॉट्स कनेक्ट करने के बारे में है। रीड कॉलेज में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी। पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहां किसी तरह आता-जाता रहा। तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा? दरअसल इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है।

मेरी बायोलॉजिकल मदर यानी जिसने अपनी कोख से मुझे पैदा किया वो एक युवा अविवाहित ग्रेजुएट छात्रा थीं। और वे मुझे किसी और को गोद देना चाहती थी। पर उनकी एक ख्वाहिस थी की कोई कॉलेज ग्रेजुएट ही मुझे गोद ले। सबकुछ बिलकुल तय था और मुझे एक वकील और उसकी पत्नी को दिया जाने वाला था। लेकिन अचानक उस दंपत्ति ने अपना विचार बदल दिया और फैसला किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए। इसलिए तब आधी-रात में दूसरे ऑप्शन यानी की जो गोद लेने के लिए दूसरे नंबर पर थे उन्हें फोन किया गया। उन्हें बताया गया कि “हमारे पास एक बेबी ब्वाय है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी। बाद में मेरी असली मां को पता चला कि मेरी दूसरी मां कॉलेज पास नहीं हैं और पिता तो हाई स्कूल पास भी नहीं हैं। इसलिए मेरी मां ने गोद देने वाले पेपर पर साइन करने से मना कर दिया। पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता-पित ने मुझे कॉलेज भेजने का आश्वासन दिया। इसके बाद मेरी असली मां मान गयीं। तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई।

17 साल बाद मैं कॉलेज गया..पर गलती से मैंने स्टैंडफोर्ड जैसा महंगा कॉलेज चुन लिया। मेरे मध्यवर्गीय माता पिता की सारी जमा-पूंजी मेरी पढाई में जाने लगी। 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई वैल्यू नहीं दिखी। मुझे कुछ आइडिया नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूं। और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें मदद करेगा..और ऊपर से मैं अपनी माता-पिता की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था। इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा। उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला था।

जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लासेज करने की बाध्यता खत्म हो गयी। और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने मनपसंद क्लासेज करने लगा। ये सब कुछ इतना आसान नहीं था। मेरे पास रहने के लिए कोई रूम नहीं था। इसलिए मुझे दोस्तों के रूम में फर्श पर सोना पड़ता था। मैं कोक की बोतलों को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था। मैं हर रविवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्णा मंदिर जाता था ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं। यह मुझे काफी अच्छा लगता था।

मैंने अपनी ज़िंदगी में जो भी अपनी उत्सुकता और मन की आवाज सुनकर किया वो बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ। मैं एक उदाहरण देता हूं। उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहा केलीग्राफी सिखाई जाती थी। पूरे कैंपस में हर एक पोस्टर,हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से केलीग्राफ किया होता था। चूंकि मैं कॉलेज छोड़ने का मन बना चुका था इसलिए मुझे कोई भी क्लास करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। लेकिन मैंने तय किया की मैं केलीग्राफी की क्लास करूंगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा। मैंने सेरिफ और सेंस सेरिफ टाइप फेसेज के बारे में सीखा। अलग-अलग लेटर कॉम्बिनेशन के बीच में स्पेस वैरी करना और किसी अच्छी टाइपोग्राफी को क्या चीज अच्छा बनाती है। ये भी सीखा। यह खूबसूरत था। इतना कलात्मक था कि इसे साइंस के जरिए नहीं किया जा सकता था। और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था। उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का उपयोग कभी अपनी ज़िंदगी में करूंगा।

लेकिन जब दस साल बाद हम पहला मशिंतोश कम्प्यूटर बना रहे थे तब मैंने इसे मैक में डिज़ाइन कर दिया। और मैक खूबसूरत टाइपोग्राफी वाला दुनिया का पहला कम्पयूटर बन गया। अगर मैं कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो मैक में कभी मल्टीपल टाइप फेसेज या प्रोपॉर्शनली स्पेस्ड फांट्स नहीं होते। और चूँकि विंडोज़ ने मैक की कॉप की थी तो शायद किसी भी पर्सनल कमप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं। अगर मैं कॉलेज नहीं छोड़ता तो मैं कभी केलीग्राफी की वो कक्षाएं नहीं जा पाता और फिर शायद पर्सनल कम्प्युटर्स में जो फोंट्स होते हैं वो होते ही नहीं।

दरअसल जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन डॉट्स को कनेक्ट करना असंभव था। लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है। आप कभी भी फ्यूचर में झांक कर डॉट्स कनेक्ट नहीं कर सकते हैं। आप सिर्फ पास्ट देखकर ही डॉट्स कनेक्ट कर सकते हैं। इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से कनेक्ट हो जायेगा। आपको किसी न किसी चीज में विश्वास करना ही होगा। अपने गट्स में, अपनी डेस्टिनी में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में। किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में विश्वास करना की आगे चल कर सभी चीजें जुड़ेंगी यानी डॉट्स कनेक्ट होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…और यही चीजें आपको बड़ा काम करने के लिए प्रेरित करेगा और आप सफल होंगे।

न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज पर हमले की धमकी

अमीरों और ग़रीबों के बीच खाई भारत में ही नहीं अमेरिका में भी बढ़ती जा रही है। इससे लोगों में भारी नाराज़गी है। इसके लिए अमेरिका की एक संस्था ने वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो के नाम से एक मूवमेंट शुरू किया है। जिसके तहत 10 अक्टूबर को न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज का कामकाज ठप्प कर दिया जाएगा। इस मूवमेंट के समर्थकों में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।

अमेरिका में आर्थिक असमानता के खिलाफ जारी प्रदर्शन अब और ज्यादा उत्तेजक हो सकते हैं। अकुपाई वॉल स्ट्रीट यानी वॉल स्ट्रट पर कब्जा करो के नाम से जारी ये प्रदर्शन अब सड़कों तक ही सीमित नहीं रहेंगे। एक गुमनाम समूह ने इन प्रदर्शनों को और ज्यादा उत्तेजक और विस्तार करने की चेतावनी दी है। अब तक यह कहा जा रहा था कि वॉल स्ट्रीट पर कब्जा करो। लेकिन अब इस मूवमेंट का नया नाम इंवेड वॉल स्ट्रीट यानी वॉल स्ट्रीट पर हमला करो दिया गया है।

वॉल स्ट्रीट पर हमला करो अभियान का मकसद न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के काम को पूरी तरह ठप करना होगा। अमेरिकी मीडिया को जारी किए गए एक प्रेस रिलीज में ये खुलासा किया गया है। गुमनाम संगठन ने कहा है कि स्टॉक एक्सचेंज पर 10 अक्टूबर को हमला किया जाएगा और युद्ध जैसी स्थिति बना दी जाएगी। साथ ही न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज को इंटरनेट से भी मिटा दिया जाएगा। ये दावा भी उसी गुमनाम संगठन ने किया है जिसके कहने पर हजारों लोग पहले ही सड़को पर उतर चुके हैं।

इस नए अभियान की जमकर आलोचना हो रही है। कुछ लोग इसके पीछे सरकारी साजिश नजर आ रही है। अभी ये साफ नहीं है कि प्रदर्शनकारियों का इरादा क्या है। हालांकि सरकार से खफा अमेरिकी जनता में गुस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हुए एक सर्वे ने ये साफ कर दिया है कि पिछले दो दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब लोग सरकार और संसद से इस हद तक नाराज है।

बुधवार, 5 अक्तूबर 2011

SBI क्राइसिस और शेयर बाज़ार

भारतीय शेयर बाज़ार में गिरावट का सिलसिला ज़ारी है। देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई की रेटिंग कम होने का असर बाजार में लगातार दूसरे दिन भी देखने को मिला। शेयर बाजार करीब 20 महीनों के निचले स्तर पर पहुंच गया। एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने निवेशकों का भरोसा बनाए रखने के लिए कहा है कि सरकार से इस साल 10000 करोड़ रुपए तक की मदद मिल सकती है।

दिनभर के उतार-चढ़ाव के बाद आखिर में शेयर बाजार गिरावट के साथ बंद हुए। बिकवाली का सबसे ज्यादा दबाव बैंक शेयरों पर दिखा। बाजार बंद होने के समय सेंसेक्स 72 अंक गिरकर 15792 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 20 अंकों की गिरावट के साथ 4752 पर बंद हुआ। रेटिंग घटाए जाने के बाद एसबीआई के शयरों में आज भी कमजोरी देखी गई। एसबीआई के शेयर लगातार दूसरे दिन करीब 4 फीसदी की गिरावट के साथ बंद हुए।

एसबीआई के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने माना कि बैंक को पूंजी की ज़रूरत है। हालांकि उन्होंने भरोस जताया कि बैंक का रीकैपिटलाइजेशन प्लान इस साल दिसंबर तक या अगले साल मार्च तक पूरा हो जाएगा। एबीआई के चेयरमैन ने माना कि बढ़ता एनपीए सभी बैंकों के लिए चिंता की बात है। इसे कम करने के लिए अब उन्हीं कंपनियों को कर्ज दिए जाएंगे जिनकी रेटिंग अच्छी होगी। एसबीआई ने सरकार से अगले 5 वर्षों में 21000 करोड़ रुपए तक की मदद की गुहार लगाई है। एसबीआई के चेयरमैन का मानना है कि इस साल सरकार से 3000 से लेकर 10000 करोड़ रुपए तक की मदद मिल जाएगी।

एसबीआई के अलावा आज सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों में शामिल हुए हिंडाल्को, भेल, आईसीआईसीआई और कोटक महिंद्रा। आईटी, एफएमसीजी, हेल्थकेयर सेक्टर को छोड़कर बाकी सभी सेक्टर्स में बिकावली देखी गई। अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों की तेजी भी भारतीय बाजार को नहीं संभाल पाया।

मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011

एसबीआई रेटिंग ने बाजार को हिला दिया

मूडीज ने एसबीआई के कमजोर सालाना नतीजों,घटती पूंजी और गैर निष्पादित परिसंपत्तियां यानी एनपीए बढ़ने के चलते भारतीय स्टेट बैंक की रेटिंग घटा दी है। इससे शेयर बाजार में खलबली मच गई। जबरदस्त बिकवाली की दबाव में सेंसेक्स 16 हजार से नीचे और निफ्टी 4800 से नीचे बंद हुए।

अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने एसबीआई की रेटिंग ‘C माइनस’ से घटाकर ‘D प्लस’ कर दी है। जिसके चलते एसबीआई के शेयर सहित पूरे शेयर बाजार पर काफी बुरा असर देखने को मिला। एसबीआई के शेयर करीब 4 फीसदी लुढ़क कर बंद हुए। 30 जून 2011 तक SBI का एनपीए उसके कुल लोन का 3.52 फीसदी यानी 27768 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। एसबीआई की रेटिंग की वजह से सेंसेक्स 16000 और निफ्टी 4800 के अहम स्तर के नीचे फिसल गए। सेंसेक्स 287 अंक गिरकर 15865 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 77 अंक लुढ़ककर 4772 के स्तर पर बंद हुआ। एसबीआई के अलावा कई बैंक शेयरों में जोरदार गिरावट आई है। दिनभर के कारोबार के दौरान एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक,पीएनबी,आईडीबीआई,एक्सिस बैंक साल के निचले स्तर पर पहुंचे।

ऑटो शेयरों पर भी आज बिकवाली का भारी दबाव दिखा। टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा 4 फीसदी से ज्यादा गिरावट के साथ बंद हुए। लेकिन मारुति के मानेसर प्लांट में फिर से फुल रफ्तार से काम शुरू होने की वजह से मारुति सुजुकी के शेयर 2.5 फीसदी की मजबूती के साथ बंद हुआ।

अमेरिका और यूरोपीय देशों पर कर्ज का संकट बना हुआ है। इन देशों के कई बैंकों की हालत खस्ता हो चुकी है। पिछली मंदी में अमेरिका का एक बहुत बड़ा बैंक लीमन ब्रदर्स दिबालिया हो गया था। ऐसे में एबीआई की रेटिंग कम होना सरकार के लिए एक चिंता का विषय है।

सोमवार, 3 अक्तूबर 2011

काम पर लौटे मारुति के कर्मचारी

कार बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी मारुति के मानेसर प्लांट में कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई है। कर्मचारियों ने कंपनी की ज्यादातर मांगे मांग ली है। इससे कंपनी को राहत मिली है। हड़ताल के दौरान कंपनी को करीब 1000 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।

मारुति के मानेसर प्लांट में एक महीने तक चली कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई। कर्मचारियों ने मारुति सुजूकी मैनेजमेंट के सामने घुटने टेक दिए। मैनेजमेंट की शर्तों के मुताबिक आज से सभी कर्मचारी काम पर लौट आए। मैनेजमेंट ने हड़ताल के दौरान बर्खास्त किए गए 62 कर्मचारियों में से 33 को काम पर वापस रखने का भरोसा दिया है। जबकि 29 कर्मचारियों के खिलाफ प्रबंधन ने कंपनी के नियमों के मुताबिक कार्रवाई करने की बात कही है।

एक महीने के अंदर ही कर्मचारियों का सब्र का बांध टूट गया। क्योंकि उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी थी। ऐसे में कर्मचारियों ने - नो वर्क नो पे- के नियम भी मान लिया। यानी अब हड़ताल के दिनों के पैसे भी कर्मचारियों को नहीं मिलेंगे।

सेंसेक्स 302 अंक लुढ़का

हफ्ते के पहले कारोबारी दिन भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। बड़े, मंझोले और छोट हर तरह के शेयरों में बिकवाली देखी गई। मेटल सेक्टर के शेयरों पर गिरावट की सबसे ज्यादा मार देखी गई। शुरूआती कारोबार से शेयर बाजार में बिकवाली शुरू हो गई। जो कि आखिरी कारोबार तक बनी रही।

जिसकी वजह से वजह से बाजार पौने दो फीसदी की कमजोरी के साथ बंद हुए हैं। सेंसेक्स 302 अंकों की गिरावट के साथ 16151 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी 84 अंक लुढ़ककर 4859 पर बंद हुआ। रियल स्टेट सेक्टर में 4.5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।

सबसे ज्यादा डीएलएफ में गिरावट दर्ज की गई। डीएलएफ के शेयर 8 फीसदी से ज्यादा लुढ़क कर बंद हुए । टाटा स्टील और सेल के शेयर करीब 5 फीसदी लुढ़क गए। वहीं जिंदल स्टील के शेयरों में 6 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई।

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

हेल्थ पॉलिसी वही कंपनी नई

हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां अब अपनी मनमानी नहीं कर पाएंगे। क्योंकि अब आप अपनी हेल्थ पॉलिसी बदले बिना इंश्योरेंस कंपनी बदल सकते हैं। आज से हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेब्लिटी लागू हो गई है।

अगर आप किसी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी की सर्विस से खुश नहीं हैं तो आप दूसरी कंपनी में अपनी वही पॉलिसी जारी रख सकते हैं। मोबाइल नंबर पोर्टेब्लिटी की तरह ही हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेब्लिटी लागू आज से लागू हो गया है।

पोर्टेबिलिटी के तहत अपनी इंश्योरेंस कंपनी बदलने के लिए अपनी पॉलिसी रिन्यूवल के 45 दिन पहले नई इंश्योरेंस कंपनी को अर्जी देनी होगी। अर्जी के 7 दिनों के अंदर नई इंश्योरेंस कंपनी आपकी पुरानी इंश्यारेंस कंपनी से आपके बारे में और जानकारी मांग सकती है। पुरानी इंश्योरेंस कंपनी को 7 दिन में जानकारी देना जरूरी होगा। इसके बाद नई इंश्योरेंस कंपनी आपकी दी गई जानकारी के आधार पर पॉलिसी जारी कर देगी। पोर्टेब्लीटी की अर्जी के 15 दिनों तक अगर नई इंश्योरेंस कंपनी आप से कोई संपर्क नहीं करती है तो इसका मतलब होगा की आपकी अर्जी मंजूर कर ली गई है। यानी कि 15 दनों के बाद कंपनी उसे रिजेक्ट नहीं कर सकती। अगर आपकी पॉलिसी की रिन्यूवल तारीख आ गई है और आपकी पोर्टेबिलिटी की अर्जी मंजूरी नही हुई तो आप अपनी मौजूदा इंश्योरेंस कंपनी से 1 महीने के लिए पॉलिसी की तारीख बढ़ाने के लिए कह सकते हैं।

हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टेब्लिटी के लागू होने से हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों पर अच्छी सर्विस देने का दबाव बढ़ जाएगा। साथ ही हर कंपनी चाहेगी की वो दूसरी कंपनी से बेहतर सुविधा दे। जो कि ग्राहकों के लिए फायदेमंद है।