शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

खाद्य महंगाई दर फिर 10% के करीब

खाने-पीने के सामान महंगे होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से एक बार फिर से खाद्य महंगाई दर 10 फीसदी के करीब पहुंच गई है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं।खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है।

खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। 24 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 9.41 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 9.13 फीसदी थी।

महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है। सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 14.88 फीसदी की तेजी आई है। आलू के भाव 9.34 फीसदी बढ़े हैं। वहीं प्याज पिछले एक साल में 10.58 फीसदी महंगी हुई है। फलों की कीतमों में 11.72 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जबकि दूध, अंडे, मीट और मछली की कीमतों में पिछले एक साल में 10.30 फीसदी की तेजी आई है।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बढ़ती खाद्य महंगाई दर पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि महंगाई को ध्यान में रखते हुए वो लगातार आरबीआई के संपर्क में बने हुए हैं। सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसा माना जा रहा है कि महंगाई को बस में करने के लिए रिजर्व बैंक अपने अगले क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में एक बार फिर से अहम दरों में करीब 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले डेढ़ साल में आरबीआई ने एक दर्जन बार कर्ज दरों में बढ़ोतरी है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का असर तो ग्रोथ पर दिखा रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेअसर होकर बदस्तूर बढ़ती जा रही है।

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