गुरुवार, 20 अक्तूबर 2011

खाद्य महंगाई दर 10 के पार

खाने-पीने के सामान महंगे होते जा रहे हैं। जिसकी वजह से खाद्य महंगाई दर 10 फीसदी के पार पहुंच गई है। महंगाई को रोकने के लिए उठाई गई सरकार की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं। खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। साथ ही विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिल गया है।

खाने-पीने के सामानों की बेकाबू होती कीमतों ने आम लोगों के साथ ही सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। महंगाई रुकने का नाम नहीं ले रही है। 8 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में महंगाई दर बढ़कर 10.60 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जो इससे पहले हफ्ते में 9.32 फीसदी थी। महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। खाद्य महंगाई दर बढ़ने के पीछे सब्जियों और ईंधन का महंगा होना एक बड़ी वजह मानी जा रही है।

सब्जियों की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 17.59 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वहीं फल 12.39 फीसदी मंहगे हुए हैं। जबकि दूध की कीमत 10.80 फीसदी बढ़े हैं। मांस व मछली की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले 14.10 फीसदी तेजी आई है। दालें 7.42 फीसदी मंहगी हुईं हैं। साथ ही अनाज की कीमतें 4.73 फीसदी बढ़ी हैं।

सरकार ने बढ़ती खाद्य महंगाई दर पर चिंता जताई है। लेकिन सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद महंगाई पर लगाम नहीं लागाई जा सकी है। ऐसे में कर्ज और महंगे होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसा माना जा रहा है कि महंगाई को बस में करने के लिए रिजर्व बैंक अपने अगले क्रेडिट पॉलिसी की समीक्षा में एक बार फिर से अहम दरों में करीब 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले डेढ़ साल में आरबीआई ने एक दर्जन बार कर्ज दरों में बढ़ोतरी है। लगातार बढ़ रही रेपो रेट का असर तो ग्रोथ पर दिखा रहा है। यानी औद्योगिक विकास दर में लगातार कमी आ रही है। जीडीपी विकास दर का अनुमान लगातार नीचे फिसल रहा है। लेकिन महंगाई इससे बेअसर होकर बदस्तूर बढ़ती जा रही है।

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