गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

स्टीव जॉब्स की कहानी

स्टीव जॉब्स का कल निधन हो गया। वे एक अमेरिकी बिजनेस टाईकून और आविष्कारक थे। वे एप्पल के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी रह चुके हैं। उन्होंने अगस्त 2011 में सीईओ पद से त्यागपत्र दे दिया। जॉब्स पिक्सर एनीमेशन स्टूडियो के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भी रहे। वर्ष 2006 में जॉब्स वाल्ट डिज्नी कम्पनी के निदेशक मंडल के सदस्य भी रहे। जिसके बाद डिज्नी ने पिक्सर का अधिग्रहण कर लिया था। 1995 में आई फिल्म टॉय स्टोरी में उन्होंने बतौर कार्यकारी निर्माता काम किया।

कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल फोन बनानी वाली कंपनी एप्पल के पूर्व सीईओ और जाने-माने अमेरिकी उद्योगपति स्टीव जॉब्स ने संघर्ष करके जीवन में यह मुकाम हासिल किया है। कैलिफोर्निया के सेन फ्रांसिस्को में पैदा हुए स्टीव को पाउल और कालरा जॉब्स ने गोद लिया था। जॉब्स ने कैलिफोर्निया में ही पढ़ाई की। उस समय उनके पास ज्यादा पैसे नहीं होते थे और वे अपनी इस आर्थिक परेशानी को दूर करने के लिए गर्मियों की छुट्टियों में काम किया करते थे।

1972 में जॉब्स ने पोर्टलैंड के रीड कॉलेज में ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। पढ़ाई के दौरान उनको अपने दोस्त के कमरे में जमीन पर सोना पड़ा। वे कोक की बोतल बेचकर खाने के लिए पैसे जुटाते थे और पास ही के कृष्ण मंदिर से सप्ताह में एक बार मिलने वाला मुफ्त भोजन भी करते थे। इतनी विषम परिस्थितियों के बावजूद स्टीव जॉब्स अमेरिका के 43वें सबसे धनी व्यक्तियों में अपना नाम शुमार कर लिया। जॉब्स को कंप्यूटर से लेकर पार्टेबल डिवाइसिस के 230 से अधिक एप्लिकेशन के इनवेंटर या को-इनवेंटर के तौर हमेशा जाना जाएगा। जॉब्स ने आध्यात्मिक ज्ञान के लिए भारत की यात्रा की और बौद्ध धर्म को अपनाया। जॉब्स ने 1991 में लोरेन पॉवेल से शादी की। उनका एक बेटा है।

जब कभी दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों का नाम लिया जाएगा। उसमें सबसे ऊपर स्टीव जॉब्स का नाम आएगा। एप्पल के सह संस्थापक स्टीव को दुनिया ना केवल सफल उद्योगपति, इन्वेंटर और बिजनेसमैन बल्कि दुनिया के प्रमुख मोटिवेटर्स और स्पीकर्स के रूप में भी जाना जाएगा।

स्टीव जॉब्स की अब तक की सबसे बेहतरीन स्पीच है ‘स्टे हंग्री स्टे फूलिश’। ये स्पीच उन्होंने स्टैंडफोर्ड यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में 12 जून 2005 को दी थी। आप भी पढ़िए उन्होंने क्या कहा था-

“शुक्रिया आज दुनिया की सबसे बहेतरीन विश्वविधायलयों में से एक के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मैं आपको एक सच बता दूं। मैं कभी किसी कॉलेज से पास नहीं हुआ। आज मैं आपको अपने जीवन की एक कहानी सुनाना चाहूँगा…

मेरी कहानी डॉट्स कनेक्ट करने के बारे में है। रीड कॉलेज में दाखिला लेने के 6 महीने के अंदर ही मैंने पढाई छोड़ दी। पर मैं उसके 18 महीने बाद तक वहां किसी तरह आता-जाता रहा। तो सवाल उठता है कि मैंने कॉलेज क्यों छोड़ा? दरअसल इसकी शुरुआत मेरे जन्म से पहले की है।

मेरी बायोलॉजिकल मदर यानी जिसने अपनी कोख से मुझे पैदा किया वो एक युवा अविवाहित ग्रेजुएट छात्रा थीं। और वे मुझे किसी और को गोद देना चाहती थी। पर उनकी एक ख्वाहिस थी की कोई कॉलेज ग्रेजुएट ही मुझे गोद ले। सबकुछ बिलकुल तय था और मुझे एक वकील और उसकी पत्नी को दिया जाने वाला था। लेकिन अचानक उस दंपत्ति ने अपना विचार बदल दिया और फैसला किया कि उन्हें एक लड़की चाहिए। इसलिए तब आधी-रात में दूसरे ऑप्शन यानी की जो गोद लेने के लिए दूसरे नंबर पर थे उन्हें फोन किया गया। उन्हें बताया गया कि “हमारे पास एक बेबी ब्वाय है, क्या आप उसे गोद लेना चाहेंगे?” और उन्होंने झट से हाँ कर दी। बाद में मेरी असली मां को पता चला कि मेरी दूसरी मां कॉलेज पास नहीं हैं और पिता तो हाई स्कूल पास भी नहीं हैं। इसलिए मेरी मां ने गोद देने वाले पेपर पर साइन करने से मना कर दिया। पर कुछ महीनो बाद मेरे होने वाले माता-पित ने मुझे कॉलेज भेजने का आश्वासन दिया। इसके बाद मेरी असली मां मान गयीं। तो मेरी जिंदगी कि शुरुआत कुछ इस तरह हुई।

17 साल बाद मैं कॉलेज गया..पर गलती से मैंने स्टैंडफोर्ड जैसा महंगा कॉलेज चुन लिया। मेरे मध्यवर्गीय माता पिता की सारी जमा-पूंजी मेरी पढाई में जाने लगी। 6 महीने बाद मुझे इस पढाई में कोई वैल्यू नहीं दिखी। मुझे कुछ आइडिया नहीं था कि मैं अपनी जिंदगी में क्या करना चाहता हूं। और कॉलेज मुझे किस तरह से इसमें मदद करेगा..और ऊपर से मैं अपनी माता-पिता की जीवन भर कि कमाई खर्च करता जा रहा था। इसलिए मैंने कॉलेज छोड़ने का निर्णय लिए…और सोचा जो होगा अच्छा होगा। उस समय तो यह सब-कुछ मेरे लिए काफी डरावना था पर जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो मुझे लगता है ये मेरी जिंदगी का सबसे अच्छा फैसला था।

जैसे ही मैंने कॉलेज छोड़ा मेरे ऊपर से ज़रूरी क्लासेज करने की बाध्यता खत्म हो गयी। और मैं चुप-चाप सिर्फ अपने मनपसंद क्लासेज करने लगा। ये सब कुछ इतना आसान नहीं था। मेरे पास रहने के लिए कोई रूम नहीं था। इसलिए मुझे दोस्तों के रूम में फर्श पर सोना पड़ता था। मैं कोक की बोतलों को लौटाने से मिलने वाले पैसों से खाना खता था। मैं हर रविवार 7 मील पैदल चल कर हरे कृष्णा मंदिर जाता था ताकि कम से कम हफ्ते में एक दिन पेट भर कर खाना खा सकूं। यह मुझे काफी अच्छा लगता था।

मैंने अपनी ज़िंदगी में जो भी अपनी उत्सुकता और मन की आवाज सुनकर किया वो बाद में मेरे लिए अमूल्य साबित हुआ। मैं एक उदाहरण देता हूं। उस समय रीड कॉलेज शायद दुनिया की सबसे अच्छी जगह थी जहा केलीग्राफी सिखाई जाती थी। पूरे कैंपस में हर एक पोस्टर,हर एक लेबल बड़ी खूबसूरती से हांथों से केलीग्राफ किया होता था। चूंकि मैं कॉलेज छोड़ने का मन बना चुका था इसलिए मुझे कोई भी क्लास करने की कोई ज़रूरत नहीं थी। लेकिन मैंने तय किया की मैं केलीग्राफी की क्लास करूंगा और इसे अच्छी तरह से सीखूंगा। मैंने सेरिफ और सेंस सेरिफ टाइप फेसेज के बारे में सीखा। अलग-अलग लेटर कॉम्बिनेशन के बीच में स्पेस वैरी करना और किसी अच्छी टाइपोग्राफी को क्या चीज अच्छा बनाती है। ये भी सीखा। यह खूबसूरत था। इतना कलात्मक था कि इसे साइंस के जरिए नहीं किया जा सकता था। और ये मुझे बेहद अच्छा लगता था। उस समय ज़रा सी भी उम्मीद नहीं थी कि मैं इन चीजों का उपयोग कभी अपनी ज़िंदगी में करूंगा।

लेकिन जब दस साल बाद हम पहला मशिंतोश कम्प्यूटर बना रहे थे तब मैंने इसे मैक में डिज़ाइन कर दिया। और मैक खूबसूरत टाइपोग्राफी वाला दुनिया का पहला कम्पयूटर बन गया। अगर मैं कॉलेज नहीं छोड़ा होता तो मैक में कभी मल्टीपल टाइप फेसेज या प्रोपॉर्शनली स्पेस्ड फांट्स नहीं होते। और चूँकि विंडोज़ ने मैक की कॉप की थी तो शायद किसी भी पर्सनल कमप्यूटर में ये चीजें नहीं होतीं। अगर मैं कॉलेज नहीं छोड़ता तो मैं कभी केलीग्राफी की वो कक्षाएं नहीं जा पाता और फिर शायद पर्सनल कम्प्युटर्स में जो फोंट्स होते हैं वो होते ही नहीं।

दरअसल जब मैं कॉलेज में था तब भविष्य में देख कर इन डॉट्स को कनेक्ट करना असंभव था। लेकिन दस साल बाद जब मैं पीछे मुड़ कर देखता हूँ तो सब कुछ बिलकुल साफ़ नज़र आता है। आप कभी भी फ्यूचर में झांक कर डॉट्स कनेक्ट नहीं कर सकते हैं। आप सिर्फ पास्ट देखकर ही डॉट्स कनेक्ट कर सकते हैं। इसलिए आपको यकीन करना होगा की अभी जो हो रहा है वह आगे चल कर किसी न किसी तरह आपके भविष्य से कनेक्ट हो जायेगा। आपको किसी न किसी चीज में विश्वास करना ही होगा। अपने गट्स में, अपनी डेस्टिनी में, अपनी जिंदगी या फिर अपने कर्म में। किसी न किसी चीज मैं विश्वास करना ही होगा…क्योंकि इस बात में विश्वास करना की आगे चल कर सभी चीजें जुड़ेंगी यानी डॉट्स कनेक्ट होंगे आपको अपने दिल की आवाज़ सुनने की हिम्मत देगा…तब भी जब आप बिलकुल अलग रास्ते पर चल रहे होंगे…और यही चीजें आपको बड़ा काम करने के लिए प्रेरित करेगा और आप सफल होंगे।

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