रुपए का टूटना लगातार जारी है। रुपए की कीमत अबतक के
अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। दुनियाभर के बाजारों में अमेरिकी डॉलर की लगातार
बढ़ती मांग की वजह से रुपए में गिरावट दर्ज की जा रही है। आज रुपए की कीमत में 39 पैसे की गिरावट देखी गई। जिससे दिनभर के कारोबार के दौरान एक अमेरिकी डॉलर
का भाव लुढ़ककर 55 रुपए 42 पैसे पर जा पहुंचा।
डॉलर के मुकाबले रुपए में कमजोरी से भारत का आयात महंगा होता जा रहा है। केवल
1 रुपए की कमजोरी से तेल मार्केटिंग कंपनियों को साल में हाजारों करोड़
रुपए का नुकसान हो जाता है। आरबीआई ने रुपए की कमजोरी रोकने के लिए एक्सपोर्टरों को
डॉलर बेचने का आदेश दिया है। हालांकि इसके बाद भी रुपए में गिरावट नहीं रुक रही है।
रुपए का गिरना बदस्तूर जारी है। तमाम कोशिशों के बावजूद रुपए की गिरावट नहीं रुक पा
रही है। ऐसे में पहले से ही महंगाई की मार से परेशान लोगों को कई और चीजें महंगी कीमतों
पर खरीदने को मजबूर होना होगा।
रुपए की कमजोरी आम लोगों के
पॉकेट पर भारी पड़ने वाली है। भले ही आपको डॉलर से कोई लेना देना नहीं हो और आप रुपए
में खरीदारी करते हों। लेकिन अगली बार जब आप बाजार खरीदारी के लिए निकलेंगे को आपको
कई सामानों के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
खाने के तेल के लिए आपको ज्यादा
पैसे खर्च करने होंगे।
टीवी, फ्रीज,
एसी महंगे हो जाएंगे।
कार महंगी हो जाएगी।
डायमंड से बने गहनों के लिए
ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।
कच्चे तेल की कीमत नहीं बढ़ने
के बावजूद तेल मार्केटिंग कंपनियों को ज्यादा खर्च करना होगा।
आईओसी को 1 रुपए की गिरावट
से 10 लाख डॉलर हर दिन ज्यादा देना होगा।
तेल मार्केटिंग कंपनियों का
नुकसान बढ़ेगा तो पेट्रोल और डीज़ल की कीमतें ज्यादा बढ़ेंगी।
विदेशों में छुट्टी मनाना महंगी
हो जाएगी।
विदेशों में पढ़ाई महंगी होगी।
यानी की रुपए के कमजोर होने
से भारत के ज्यादातर लोगों को नुकसान होगा। अगर किसी को फायदा होगा तो वो हैं एक्सपोर्टर
और आईटी कंपनियां। क्योंकि इनको अपने प्रोडक्ट और सर्विस के लिए डॉलर में कमाई होती
है।
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