बुधवार, 23 मई 2012

रुपए के चक्कर में सोना गिरबी की फिर नौबत?


रुपए का लगातार लुढ़कने से भारत सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगा है। भारत का विदेशी मुद्रा का बहुत सिमित भंडार है। ऐसे में रुपए को गिरने से बचाने के लिए सरकार अगर इस भंडार का इस्तेमाल करती है तो भारत को फिर से सोना गिरबी रखने की नौबत आ जाएगी।

सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद रुपए का टूटना जारी है। सरकार और आरबीआई के पास रुपए को गिरने से बचाने के लिए बहुत सीमित उपाय बचे हैं। आरबीआई पहले ही निर्यातकों से अपने अकाउंट में जमा कुल डॉलर में से आधा बेचने का आदेश दे चुका है। लेकिन इसके बावजूद रुपए में गिरावट नहीं थम रही है। सरकार ने एनआरआई के डिपॉजिट रकम पर ब्याज बढ़ा दी। ताकि एनआरआई ज्यादा डॉलर या विदेशी मुद्रा भारत भेज पाएं। लेकिन इससे भी रुपए की गिरावट रुक नहीं पा रही है। ऐसे में सरकार विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर बाजार में छोड़ सकती है।

11 मई 2012 तक भारत के पास 291 अरब 80 करोड़ डॉलर का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। जोकि  4 नवंबर 2010 तक 300 अरब 21 करोड़ डॉलर था।

पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी ने कहा है कि रुपए के 100 पैसे कमजोर होने से भारतीय तेल मार्केटिंग कंपनियों को 8000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है। यानी कि केवल एक साल में रुपए की कमजोरी की वजह से तेल मार्केटिंग कंपनियों को 80000 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है। क्योंकि पिछले साल डॉलर के मुकाबले रुपया 46 पर था जो कि गिरकर 56 के पार पहुंचा चुका है। यानी कि हमारे पास जो विदेशी मुद्रा भंडार को उससे हम कुछ महीनों तक ही तेल खरीद पाएंगे उसके बाद कर्ज के ब्याज के तौर पर हमें फिर से सोने की गिरबी रखने को मजबूर होना होगा।

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