शनिवार, 11 अगस्त 2012

रेटिंग एजेंसियों का भारत पर हमला


मूडीज ने क्यों घटाया जीडीपी विकास दर का अनुमान


भारत की गिरती अर्थव्यवस्था पर एक और मुहर लग चुका है। और इस बार ये मुहर लगाई है अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज ने। 

देश की गिरती अर्थव्यवस्था की ताबूत पर पर मूडीज़ ने एक और कील ठोक दी है। मूडीज ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में मंदी उम्मीद से अधिक तेजी से आ रही है और इसका असर अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर गहरा रहा है। सुस्त रफ्तार के बावजूद सरकार और रिजर्व बैंक ने कोई बड़े कदम नहीं उठाए हैं। संस्था ने कहा है कि उम्मीद से कमज़ोर मॉनसून अर्थव्यवस्था पर और दबाव डालेगा। मूडीज ने इस वित्त वर्ष के लिए भारतीय जीडीपी का विकास दर 5.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। 

मूडीज ने 2013 के लिए भी जीडीपी का अनुमान 6.2 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत कर दिया है।


कई रेटिंग एजेंसियों ने घटाई भारत की रेटिंग


मूडीज से पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों और संस्थाओं ने भारत की गिरती हुई अर्थव्यवस्था पर अपनी मुहर लागा चुकी है। जिसमें स्टैंडर्ड एंड पुअर्स और आईएमएफ प्रमुख हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था की लगातार खस्ता हालत पर कई अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने मुहर लगा दी है। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच ने भी भारत की जीडीपी विकास दर के अनुमान को 1 फीसदी घटाकर 5.5 कर चुकी है। सिटी ग्रुप ने तो भारत की विकास दर को 5.4 फीसदी पर रखा है। जबकि सीएलएसए के अनुसान इस वित्त में भारतीय जीडीपी विकास दर 5.5 फीसदी रहेगा। वहीं आईएमएफ ने अपने रिपोर्ट में साफ कर दिया है कि भारत की आर्थिक विकास दर साल 2012-2013 में महज 6.5 फीसदी रह सकती है। जो कि वेहद निराशाजनक है। जबकि स्डैंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत की साख पर ही बट्टा लगाते हुए भारत की रेटिंग घटाकर बीबीबी माइनस कर दिया है।

स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के साख घटाने के बाद भारती शेयर बाजार पर भी इसका असर देखने को मिला था। शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखी गई थी। एस एंड पी की मानें तो भारत का रेटिंग फिलहाल जंक रेटिंग वाले देशों से ऊपर है। जंक रेटिंग वाले देशों में निवेश करना रिस्की होता है।

क्यों घटाई जा रही है भारत की रेटिंग?


आखिर एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी क्यों भारत के पीछे पड़ी है। इसकी एक बड़ी वजह है। अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई संकेत भारत में साफ दिख रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग का बहुत ही बड़ा महत्व होता है। क्योंकि इनकी रेटिंग के आधार पर ही दुनियाभर की कंपनियां या संस्थाएं निवेश करती हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले एक साल से ऐसा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं हो पा रहा है जिसको देखते हुए रेटिंग में कुछ सुधार हो पाती।

होलसेल महंगाई दर 7 फीसदी के पार बनी हुई है। जबकि खाद्य महंगाई दर 10 फीसदी के पार है। महीने दर महीने कारों की बिक्री में गिरावट दर्ज की जा रही है। जुलाई महीने में कारों की बिक्री 9 महीनों के अपने निचले स्तर पर जा पहुंची। कंपनियों के पहली तिमाही के नतीजे खराब आ रहे हैं। इंफोसिस और अनुमान के कम मुनाफआ हुआ है जबकि आईओसी को रिकॉर्ड घाटा झेलना पड़ा है। औद्योगिक विकास दर पिछले साल के जून के 9.5 फीसदी के मुकाबले इस साल जून में 1.8 फीसदी पर जा पहुंचा है।

कुल मिलाकर भारत की आर्थिक परिस्थियां बिगड़ती जा रही हैं। और सरकार है कि फैसले लेने के बच रही है। आने वाला बजट भी चुनाओं को ध्यान में रखते हुए पेश किए जाएंगे। ऐसे में भारत की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए रिफॉर्म प्रक्रिया जल्द तेज किए जाने की ज़रूरत है।

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