गुरुवार, 9 अगस्त 2012

गर्त में औद्योगिक विकास दर

वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का दबाव बढ़ गया है। क्योंकि भारत के औद्योगिक विकास दर में जून महीने में भारी गिरावट दर्ज की गई है। और ये माइनस में जा पहुंची है। 

पिछले चार महीनों में तीसरी बार औद्योगिक विकास दर में गिरावट देखने को मिली है। जून महीने में औद्योगिक विकास दर माइनस में जा पहुंची है। इससे साफ हो जाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था कुंद पड़ चुकी है। औद्योगिक विकास दर को जीडीपी का आईना माना जाता है। ऐसे में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के लिए अर्थव्यवस्था में तेजी लाना लोहे के चने चबाने जैसा है। 

जून में औद्योगिक विकास दर माइऩस 1.8 फीसदी पर जा पहुंची है। जो कि पिछले साल इसी महीन 9.5 फीसदी थी। वहीं इस साल मई में औद्योगिक विकास दर 2.5 फीसदी थी। सबसे ज्यादा गिरावट कैपिट गुड्स सेक्टर के ग्रोथ पर देखी जा रही है। पिछले साल के 38.7 फीसदी के मुकाबले इस साल के जून में कैपिटल गुड्स सेक्टर की विकास दर माइनस 27.9 फीसदी पर जा पहुंची है।

ब्याज दरों में कमी नहीं होने का असर औद्योगिक विकास दर पर देखी जा रही है। कंज्यूमर का विश्वास डगमगा गया है। मिडिल क्लास सैलरी का एक बड़ा हिस्सा ईएमआई पर खर्च करने को मज़बूर है। ऐसे में नए प्रोडक्ट बाजार में धूल फांक रहे हैं। और जब सामान बिक ही नहीं रहे ऐसे में फैक्ट्री में उत्पादन सुस्त पड़ना लाजिमी है।

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