रविवार, 19 अगस्त 2007

भारत के लिए कितना प्राइम है यूएस सबप्राइम ?


अमरीकी सबप्राइम क्राइसिस ने पूरी दुनिया के बाजारों को हिला कर रख दिया। भारतीय बाजार भी इसकी चपेट में आने से नहीं बच पाए। लेकिन भारतीय बाजार में अब तक जो गिराबट आई है, पैनिक सेलिंग उसके लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार है। हालांकि इसको समझने के लिए इस क्राइसिस को समझना ज्यादा जरूरी है।

अमेरीकी सबप्राइम लोन को निंजा लोन भी कहते हैं। निंजा फाइटर जिसतरह से अपनी आखों पर पट्टी बांधकर भी अपने दुश्मनों को परास्त कर देते हैं। उसी तरह से अमरीका के सैकड़ों छोटी-बड़ी फाइनेंशियल कंपनियां जिसे सबप्राइम मोर्टगेज कहते हैं। अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर लोन बांटती है। वो लोन देते समय ये नहीं देखती है कि लोन लेने वाले का बैकग्राउंड क्या है और वो पैसे चुका पाएंगे भी या नहीं। बस उसे लोन दे देती है। केवल एक शर्त होता है उंचा इंटेरेस्ट रेट। जो किसी भी बैंक के इंटेरेस्ट रेट से कई गुणा ज्यादा होता है।

लेकिन अमरीकी बाजार में हाउसिंग का बुलबुला फूटते ही यूएस सबप्राइम के होश उड़ गए। रातों- रात सैकड़ों यूएस सबप्राइम मोर्टगेज दीवालिया हो गए। क्योंकि निंजा लोन लेने वालों ने हाथ खड़े कर दिए और इंटेरेस्ट देना बंद कर दिया। यानी निंजा लोन देने वालों ने जब आंखों से पट्टी हटाई तो सामने खाई दिखाई देने लगी।

यूएस सबप्राइम क्राइसिस के सामने आते ही पूरी दुनिया के बाजारों पर जैसे बिजली गिर पड़ी। सभी बाजार हफ्तों तक लुढ़कते रहे। और आगे भी इसका असर दुनिया भर के बाजारों पर देखने को मिलेगा। लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर अमरीकी और यूरोपीयन मार्केट पर देखने को मिल सकता है। जिसका फायादा भारत जैसे इमर्जिंग मार्केट को होगा।

ये तो दुनिया का रिवाज है जहां ज्यादा कमाई होती है वहां डेवलप कंट्री पहले पहुंचते हैं। ये कई रूप में पहुंचते हैं। डायरेक्ट बैंक के जरिए या किसी फाइनेंशियल संस्थान के रूप में या हेज फंड के रूप में या किसी और रूप में। यूएस सबप्राइम मार्केट में अंधाधुंध कमाई हो रही थी। मोटे इंटेरेस्ट रेट के चक्कर में फ्रांस, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन के कई संस्थानों सहित दुनियाभर के हेज फंडों ने अपने-अपने पैसे लगा रखे थे। और जब सबप्राइम का बुलबुला फूटा तो इन संस्थानों ने पैसे की कमी दूर करने के लिए दुनियाभर के शेयर बाजारों से पैसे निकालने शुरू कर दिए। जिससे बाजारों में गिरावट शुरू हो गई। यूरोपियन सेंट्रल बैंक को तो अपने यहां पैसे की कमी को दूर करने के लिए एक दिन में 130 अरब डॉलर बाजार में छोड़ना पड़ा। ईसीबी ने अबतक एक दिन में इतने पैसे बाजार में पहले कभी नहीं छोड़े थे। 9/11 की घटना के बाद आयी मंदी में भी नहीं। फ्रांस की सबसे बड़ी बैंक बीएनपी पारिबा ने भी तीन इन्वेस्टमेंट फंड को करीब 4 अरब डॉलर निकालने से रोक दिया। यानी उनके एकाउंट फ्रीज कर दिए। अमेरिका ने भी बाजार में काफी पैसे इंजेक्ट किए। साथ ही अमरीकी सेंट्रल बैंक को लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए ब्याज दरों में आधे परसेंट की कटौती करने के लिए बाध्य होना पड़ा।

भारतीय बाजार भी इस अंधर में कुछ हद तक हिला। लेकिन अपना फाउंडेशन कमजोर होने की वजह से नहीं बल्कि निगेटिव सेंटिमेंट और पैनिक सेलिंग की वजह से। पैनिक सेलिंग करने वालों में ज्यादातर ऊपर वाले और एकदम नीचे वाले हैं। यानी एफआईआई, हेज फंड और छोटे निवेशक। जो कि जल्द ही भारतीय बाजार में लौट आएंगे। क्योंकि इन एफआईआई और हेज फंडों ने जिनके पैसे गंवाए हैं। कुछ हदतक तो उसकी भरपाई भारत सहित दूसरे देशों के बाजारों से पैसे निकाल कर पूरी कर पाएंगे। लेकिन पूरी तरह उसकी भरपाई अब तभी कर पाएंगे जब भारतीय और कुछ इमर्जिंग बाजारों में वो लंबे अवधि के लिए बने रहेंगे। क्योंकि इन फंडों को जितना नुकसान हुआ है उसकी भरपाई अब केवल इमर्जिंग मार्केट ही कर सकता है ना कि कोई विकसित बाजार।

7 टिप्‍पणियां:

VIRENDRA VYAS ने कहा…

Sabprime sakant sahi me 1 bada sakant he. IS se hamare bajar Bhi affect ho rahe he.....
mene chanel par bahut sare expert ki rai suni he wo kahte he ki US SUB PRIME ka India par asar nahi hoga...
is se diffrent har roj US ka market girta he aur usi Din India ka bajar bhi girta he....

Naresh Soni ने कहा…

Maan gaye Rajeev bhai... achcha likha hai... jab bull ko charo khane hit dekha usise se samajh gaya ki aage aur bhi kayee achchee cheezein milengi....

Believe me... It was a really good one.. I read few articles on subprime before this.. they were too technical to understand... but u simplified it...

Though this is not everything bout subprime... but good enough to make one aware of ... haven't seen any simpler article on Subprime...
kewl keep it up.

Abhishek ने कहा…

bahut badhiya !!!
bazaar ko main jyada nahi samajhta ..par aapke is article k baad kam se kam Sub Prime ka topic toh clear ho hi gaya.

sharad ने कहा…

achchhe-achchhe bazar ke jankar bhi is tarah subprim and market ko nahi samjha paye. kaphi gyan ki bate hain. isko padhane ke bad history ka greaduate bhi subprime par gyan de sakta hai. lage rahiye.......

हिंदी ब्लॉगर/Hindi Blogger ने कहा…

Good analysis.

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जितेन्द्र सिंह यादव ने कहा…

hi
sir, very good. this is jitendra(jeetu)

amol ने कहा…

Sahi me badhiya kaam kar rahe ho guru...blog ka istemaal sirf kisi ki taang kheechne ke liye nahi,balki information dene ke liye bhi hota hai...aam aadmi ko ye sab itna details me kabhi pata nahi hota aur paise kamane ke chakkar me media ye sab nahi batati...
lage raho guru...