मंगलवार, 31 मार्च 2009

ले लो नैनो

2,999 रुपए लाओ... नैनो की बुकिंग कराओ...लॉटरी में नाम आने पर नैनो पर धूम मचाओ। नैनो को खरीदने के लिए आपका लकी होना भले ही जरूरी हो। लेकिन नैने के लिए लोन लेने के लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई ने नैनो के दीवानों को आसानी से लोन देने के लिए कमर कस ली है। शुरूआत में आपको जुटाना है केवल बुकिंग अमाउंट जो कि हर मॉडल के लिए अलग-अलग है। बेस मॉडल का बुकिंग अमाउंट है 2999 रुपए। इसपर एसबीआई 95 हजार रुपए फाइनेंस करेगा। नैनो की स्टैंडर्ड मॉडल को बुक करने के लिए खर्च करना होगा 3499 रुपए। और स्टैंडर्ड मॉडल के लिए बैंक 1 लाख 20 हजार रुपए फाइनेंस करेगा। वहीं प्रीमियम मॉडल की नैनो के लिए बुकिंग अमाउंट है 3999 रुपए। इसके लिए एसबीआई 1.40 हजार रुपए लोन देगा। हालांकि शुरूआत में सभी बुकिंग लोन पर्सनल फाइनेंस के तहत दिए जाएंगे। और लॉटरी में नैनो फंसने पर इसे ऑटो लोन में बदल दिया जाएगा। हालांकि इस दौरान कस्टमर को अलग से कोई ब्याज नहीं देना होगा।और अगर लॉटरी में कस्टमर को नैनो नहीं मिला तो ये पैसे बैंक को रिफंड कर दिए जाएंगे।  9 अप्रैल से नैनो की बुकिंग शुरू होगी। और जुलाई से लोगों को नैनो मिलना शुरू हो जाएगा। ये लोन उन सभी लोगों को मिलेगा जिनके हर महीने की कमाई होगी 6250 रुपए या सलाना 75000 रुपए।यानी एसबीआई ने आम लोगों का नैनो तक पहुंच को आसान बना दिया है। हालांकि नैनो किसे मिलेगी ये तो उसके भाग्य पर ही निर्भर करेगा। क्योंकि लॉटरी में नाम आने पर ही नैनो की सवारी हकीकत हो पाएगी।

जी 20-20 का है ये मैच

दुनिया से मंदी भगाने से पहले..आउटसोर्सिंग, सुरक्षात्म ट्रेड प्रैक्टिस जैसे मुद्दों पर आपस में निबटना जरूरी है! दुनिया की हर दिग्गज इकॉनोमी के पसीने छूट रहे हैं। मंदी की सबसे ज्यादा मार विकसित और यूरोपीय देशों पर ही पड़ रही है। भारत, चीन और ब्राजील जैसे कुछ दूसरे विकासशील देशों पर इसका कम असर हुआ है। हालांकि कुछ अफ्रीकी देश काफी ज्यादा प्रभावित हुए हैं। लेकिन अमेरिका, जर्मनी, जापान जैसी दुनिया की बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं लहूलुहान हो चुकीं है। ऐसे में विकसित देशों की नजर अब जी 20 की बैठक पर टिकी हुई है। क्योंकि उन्हें उम्मीद है कि जी 20 के देश अगर चाहेंगे  तो पूरी दुनिया को मंदी की तूफान से बचा सकते हैं। जी 20 देशों की अर्थव्यवस्था का हिस्सा दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था में 80 फीसदी है। और यही वजह है कि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा बार-बार कह रहे हैं कि जी 20 देशों को साथ मिलकर कदम उठाने की जरूरत है। वैसे भी सबसे खराब स्थिति अमेरिका की है। अमेरिका की कई कंपनियां दम तोड़ चुकी है और कई दम तोड़ने की कगार पर हैं। कार बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी जनरल मोटर्स भी अमेरिका की ही है। जिसे दिवालिया होने से बचाने के लिए सरकार एड़ी-चोटी का पसीना बहा रही है। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा लोगों के पैसे को कार कंपनियों पर खर्च करने के पक्ष में नहीं हैं। अमेरिका से बेहतर स्थिति जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन और दूसरे यूरोपीय देशों की नहीं है। ऐसे में जी लंदन में 20 की बैठक पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। यूरोपीय देशों का मानना है कि बेलआउट या स्टिमुलस पैकेज से ज्यादा जरूरी है ज्यादा मजबूत वित्तीय कानून। इस बैठक में शामिल होने से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश के दिग्गज उद्योगपतियों से मुकालात की। और जानने की कोशिश की, इस मंदी से इंडस्ट्री को किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही विकसित देशों की नीतियों कैसे उद्योग को प्रभावित कर रही है। इस सभी मुद्दों को प्रधानमंत्री जी 20 की बैठक में सामने रखेंगे। लंदन के लिए रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने साफ कर दिया है अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से फंड्स का बहाव विकासशील देशों की तरफ कम होने की बजाए बढ़ना चाहिए। 1933 में भी महामंदी से निपटने के लिए भी 66 देशों के प्रतिनिधि लंदन में जमा हुए थे। लेकिन उस समय कुछ बेहतर नतीजा नहीं निकल पाया था। क्योंकि अमेरिका की स्थिति उस समय स्पष्ट नहीं थी।  अगर जानकारों की मानें तो इस बार भी जी 20 की बैठक से कुछ खास नतीजा निकलने की उम्मीद कम ही है। क्योंकि अमेरिका जहां सभी देशों को जबरदस्त स्टीमुलस पैकेज देने पर जोर दे रहा है। वहीं यूरोपीय देश स्टीमुलस पैकेज के बदले वित्तीय नियम को सख्त करने के पक्ष में है। और विकासशील देश विकसित देशों की ट्रेड के प्रति सुरक्षात्मक रवैये से परेशान है। ऐसे में मंदी से पार पाने के लिए मिलकर रास्ता निकालने की राह मुश्किल ही लग रही है।

शुक्रवार, 13 मार्च 2009

दुनियाभर के बाजारों में तेजी

बैंक ऑफ अमेरिका को हुए मुनाफे की खुशी से उठ खड़ा हुआ भारतीय बुल कई हफ्तों की लगातार गिरावट के बाद अब दुनियाभर से आ रही अच्छी खबरों से एशिया, यूरोप सहित भारतीय शेयर बाजार में तेजी का आलम है। पिछले साल के जबरदस्त घाटे के बाद बैंक ऑफ अमेरिका को मुनाफा हुआ है। साथ ही सिटी बैंक ने कह दिया है कि अब उसे किसी सहायता या पैकेज की जरूरत नहीं है। इसके चलते अमेरिकी बाजार में तेजी रही। कल डओजोंस 239 अंकों की बढ़त बनाने में कामयाब रहा। इन खबरों की वजह से भारतीय शेयर बाजार के भी पर निकल आए। और पिछल दो दिनों में सेंसेक्स ने 600 से ज्यादा अंकों की छलांग लगा दी। भारतीय शेयर बाजार आज जबरदस्त तेजी के साथ बंद हुए। बाजार बंद होने के समय सेंसेक्स करीब पांच फीसदी यानी  412 अंकों की उछाल  के साथ 8756 पर बंद हुआ। वहीं निफ्टी में भी 101 अंकों की अच्छी तेजी देखी गई। और ये 2719 पर बंद हुआ। बाजार में लगातार दूसरे दिन तेजी के साथ बंद होने में कामयाब रहा है। ऑटो सेक्टर की सवारी कर यानी कि ऑटो सेक्टर की अगुवाई में कल सेंसेक्स 183 अंको की बढ़त बनाने में कामयाब रहा था। और आज बाजार को ऊपर ले जाने में सबसे ज्यादा योगदान रहा रियल एस्टेट सेक्टर का। रियल स्टेट दिग्गज डीएलएफ करीब 11.5 फीसदी की तेजी के साथ 152 रुपए 55 पैसे पर बंद हुआ। एचडीआईएल 6 फीसदी से ज्यादा और यूनिटेक 5 फीसदी से ज्यादा बढ़त के साथ बंद हुए। रियल एस्टेट के अलावे बैंक, ऑटो और आईटी सहित लगभग सभी सेक्टर्स के शेयरों में जबरदस्त तेजी देखी गई। टाटा मोटर्स करीब 11 फीसदी और आईसीआईसीआई बैंक 8.5 फीसदी से ज्यादा की बढ़त बनाने में कामयाब रहा। केवल भारत ही नहीं जापान,चीन, ताइवान सहित एशिया के लगभग सभी बाजार आज तेजी के साथ बंद हुए। क्योंकि एशिया से एक साथ कई सकारात्म खबरें आईं। जापानी प्रधानमंत्री तारो असो ने कहा है कि सरकार अप्रैल तक तीसरे बेलआउट पैकेज ला सकती है। इसके साथ ही चीन के प्रधानमंत्री वन चियापाओ ने भरोसा दिलाया है कि अगले साल तक चीन की अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी। और अगर इसमें किसी तरह की परेशानी हुई तो वो बेलआउट पैकेज के साथ तैयार बैठे हैं। साथ ही बैंक ऑफ अमेरिका के मुनाफे में आ जाने के बाद ऐसा लगने लगा है कि जल्द ही दुनियापर मंडरा रहे मंदी के बादल छंट जाएंगे। और एकबार फिर से बाजारों में हरियाली छा जाएगी। 

शनिवार, 7 मार्च 2009

लग्जरी सेडान सेग्मेंट में टाटा

जेनेवा मोटर शो में पॉल पिनिनफरीना के साथ रतन टाटा टाटा की प्राइमा लग्जरी सेडान सेग्मेंट में अपनी अलग पहचान बनाने को बेताब है। इसे टाटा ने जेनेवा के मोटर शो में लांच किया है। जहां पूरी दुनिया इसकी तारीफ कर रही है। इस कार का लुक किसी को भी आकर्षित कर सकता है। इसके फीचर्स इस सेग्मेंट की दुनिया की किसी कार को टक्कर दे सकते है। टाटा की प्राइमा का व्हील बेस है 2.70 मीटर का। इसमें काफी ज्याद इंटेरियर स्पेस है। सी पिलर स्टाइलिंग वाली इस कार को डिजाइन किया है इटली की कंपनी पिनिनफरीना ने। पिनिनफरीना दुनिया की नामी कंपनी है। जो फेरारी को भी डिजाइन करती है। टाटा के प्राइमा को अच्छा रिस्पांस मिल रहा है। स्टाइल, लग्जरी और कंफर्ट के मामले में टाटा की प्राइम एकदम फिट है। प्राइमा के लांच के साथ ही ऐसा लगता है कि टाटा एक साथ ऑटो जगत में हर सेगमेंट में छाने को तैयार हैं। कंपनी ने एक तरफ तो छोटी कार सेग्मेंट में नैनो को लाकर दुनिया की बडी बड़ी ऑटो कंपनियों का होश उड़ा दिया है। वहीं दूसरी तरफ लैंड रोवर, जगुआर सहित प्राइमा जैसी कार के बल पर टाटा की पूरी दुनिया पर छाने की तैयारी है। अब हर किसी को इस बात का इंतजार रहेगा कि टाटा प्राइमा को कमर्शियली कब लांच करती है और इसकी कीमत क्या होगी।

शुक्रवार, 6 मार्च 2009

सत्यम1,सत्यम2,सत्यम3..और सत्यम हो गई....

सत्यम के  लिए बोली लगाने की प्रकिया को सेबी ने हरी झंडी दे दी है। इसके साथ ही सत्यम में हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया तेज हो गई है। मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने सत्यम में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की इजाजत दे दी है। इसके लिए विदेशी कंपनियां भी बोली लगा पाएंगी। सबसे ज्यादा बोली लगाने वाली कंपनी को  सत्यम के 31 फीसदी शेयर जारी किए जाएंगे। उसके बाद  कंपनी को  20 फीसदी शेयर ओपेन ऑफर के जरिए निवेशकों से खरीदना होगा।  ओपन ऑफर में सत्यम के हर शेयर की कीमत बोली वाली कीमत जितनी ही होगी। और अगर सत्यम को खरीदने वाली कंपनी ओपन ऑफर के जरिए पूरे 20 फीसदी शेयर खरीदने में नाकाम होगी तो उसे सत्यम के नए शेयर जारी किए जाएंगे। यानी कि सत्यम को खरीदने वाली कंपनी को 51 फीसदी हिस्सेदारी तक पहुंचने में ज्यादा कठिनाई का सामना नहीं करना होगा। हालांकि खरीदार कंपनी को सत्यम के शेयर 3 साल तक बेचने की इजाजत नहीं होगी। लेकिन अगर खऱीदार कंपनी चाहेगी तो सत्यम में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से और ज्यादा बढ़ा सकती है। सत्यम में हिस्सेदारी खरीदने के लिए बोली की प्रक्रिया ग्लोबल होगी। हालांकि इस बोली में वही कंपनियां भाग ले पाएंगे जिसके पास 15 करोड़ डॉलर की संपत्ति होगी। सत्यम को खरीदने के लिए एल एंड टी, टेक महिंद्रा, स्पाइस ग्रुप, आईबीएम सहित कई देशी और विदेशी कंपनियां  लाइन में खड़ी हैं। और अब..जबकि मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने  सत्यम के लिए ग्लोबल कंपनियों को बोली लगाने की इजाजत दे दी है। साथ ही इसके लिए नियमों में कुछ बदलाव भी की है। ऐसे में लगता है कि सत्यम को जरूर सही कीमत मिल जाएगी। क्योंकि इसका असर आज शेयर बाजार में दिख गया। जहां सत्यम के शेयर पर अपर सर्किट लग गया। यानी अगर ठीक ठाक बोली लगती है और सत्यम किसी बड़ी कंपनी के हाथों में बिकती है। तो एक बार फिर से सत्यम दुनिया की आईटी कंपनियों को टक्कर देती नजर आएगी।

बुधवार, 4 मार्च 2009

कर्ज का चंदन होगा और सस्ता

होम लोन, कार लोन सहित हर तरह के लोन अब और सस्ते होंगे। मंदी के असर को कम करने और ग्रोथ रेट को पटरी पर लाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में आधा फीसदी की कटौती कर दी है। रेपो रेट अब 5.5 फीसदी से घटकर 5 फीसदी पर पहुंच गया है। जबकि रिवर्स रेपो रेट 4 फीसदी के घटकर 3.5 फीसदी पर पहुंच गया है। ये नई दरें आज से ही लागू होंगी। रेपो रेट वो दर है जिसपर देश के सरकारी और निजी बैंक रिजर्व बैंक से पैसे उधार लेती है। यानी कि अगर बैंकों को सस्ते में पैसे मिलेंगे तो वो भी कम ब्याज दर पर ग्राहकों को लोन देंगे। और जब ग्राहकों के पास पैसे पहुंचेंगे तो बाजार में सामान बिकेगा, माकान बिकेंगे यानी दिसंबर की तिमाही में 5 के करीब पहुंच चुके विकास दर में एक बार फिर से पंख लग पाएगा। एक तरफ तो सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी के लिए एक के बाद एक बेलआउट पैकेज का ऐलान कर रही है। वहीं दूसरी ओर रिजर्व बैंक भी मॉनेटरी पैकेज देने में कोई कमी नहीं कर रही है।  आरबीआई  बाजार में मांग को बरकरार रखने के लिए कई बार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती कर चुका है। पिछले चार महीनों में ही रेपो रेट 9 फीसदी से लुढ़ककर 5 फीसदी पर पहुंच गया है। और रिवर्स रेपो रेट 6 फीसदी से लुढ़ककर 3.5 फीसदी पर पहुंच गया है। दिसंबर महीने में ऐसे ही ऑटो सेल्स में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में आरबीआई के इस तोहफे से कार सेल्स में और तेजी के साथ ही रियल स्टेट, कंज्यूमर गुड्स सहित कई सेक्टर्स में सुधार देखने को मिल सकता है।  

सोमवार, 2 मार्च 2009

अजीत ने जीत लिया गुरू का दिल

दुनिया के सबसे अमीर आदमी बनने की दौड़ में मित्तल और अंबानी से आगे अजीत जैन निकल सकते हैं?! दुनिया के सबसे अमीर आदमी का उत्तराधिकारी बनेगा एक भारतीय। वारेन बफेट जो कि इस समय दुनिया में सबसे अमीर हैं। उनकी संपत्ति 62 अरब डॉलर के करीब है। साथ ही उनकी कंपनी बर्कशायर हैथवे का मार्केट कैप 121765 मिलियन डॉलर। जो कि गूगल,एप्पल, पेप्सिको, कोका कोला और जेनरल इलेक्ट्रिक से ज्यादा है। मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से बर्कशायर हैथवे अमेरिका की नौवीं सबसे बड़ी कंपनी है। और इस कंपनी की बागडोर आने वाली है एक भारतीय के हाथ। जिसका नाम है अजीत जैन।   अजीत जैन वारेन बफेट के सबसे करीबी लोगों में शामिल हैं। यही नहीं दुनिया के सबसे बड़े निवेश गुरू यानी वारेन बफेट को भी जब सलाह की जरूरत होती है तो सबसे पहले उनकी जुबान पर अजीत जैन का ही नाम आता है। वारेन बफेट ने अपने शेयरधारकों को चिट्ठी लिख ये बता दिया है कि अजीन उनके उत्तराधिकारी हो सकते हैं। यानी आने वाले दिनों में अजीत जैन बर्कशायर हैथवे की बागडोर संभाल सकते हैं।    आइए डालते हैं एक नजर आखिर ये अजीत जैन हैं कौन: - 1972 में आईआईटी खड़गपुर से अजीत जैन ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली - 1973 में भारत में ही आईबीएम में नौकरी शुरू की - 3 साल तक आईबीएम में काम किया उसके बाद अमेरिका चले गए - 1978 में अमेरिका के हावर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया - कुछ साल ग्लोबल मैनेजमेंट फर्म मैकेंजी में भी काम किया - 80 के दशक में फिर भारत लौट गए - 1986 में दुनिया के सबसे अमीर आदमी वारेन बफेट की कंपनी बर्कशायर से जुड़े - बर्कशायर हाथवे के रीइंश्योरेंस डिवीजन का जिम्मा संभालते हैं - बर्कशायर हाथवे के मालिक बफेट के सबसे करीबी बन गए - बफेट किसी भी अहम फैसले के लिए अजीत जैन की राय जरूर लेते हैं - बफेट अजीत जैन को असाधारण मैनेजर मानते हैं - अजीत जैन कठिन से कठिन परिस्थिति में बेहतर फैसले लेने में माहिर हैं - अजीत जैन के वारेन बफेट की कंपनी को काफी मुनाफा कराया है हालांकि इंजीनियरिंग करने के दौरान अजीत ज्यादा मेधावी नहीं थे। पढ़ाई से ज्यादा वक्त दर्शन शास्त्र, इंटरनेशनल पॉलिटिक्स, वियतनाम समस्या जैसे मुद्दों पर घंटों बहस में बिताते थे। हालांकि उनमें एक अलग तरह की प्रतिभा थी। सटीक फैसला लेने की, निवेश के लिए सही वक्त का अंदाजा लगा लेने की। शायद यही वजह है कि आज वो दुनिया के सबसे बड़े निवेश गुरू की कंपनी ही नहीं उनके दिल पर भी राज करने को तैयार हैं।