विकास करो...चुनाव जीतो
ना आतंकवाद ना महंगाई ना मंदी..कोई भी मुद्दा नहीं चला पांच राज्यों के चुनाव में। इन राज्यों में केवल काम को मिला ईनाम। जिन राज्य सरकार ने अपने कार्यकाल में सचमुच में आम जनता के लिए काम किया वो जीत कर आ गई। और जिसने काम नहीं किया केवल बयानों से काम चलाई वो हार गई।
ये देश युवाओं का देश है जो कि पढ़े-लिखे हैं। उन्हें बातों में बहलाना थोड़ा मुश्किल है। कोरे बयानों को वो सुन जरूर लेते हैं। लेकिन अपना फैसला काफी सोच समझकर लेते हैं। इन युवायों को काम हक़ीकत में देखना पसंद है। और ये उसी को जिताना पसंद करते है जो सचमुच काम करता है। ये सारी बातें दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मिजोरम के चुनावों में देखने को मिल गया है। इन राज्यों में वही जीत पाया है जिसने सचमुच में काम किया है। और बैलेंस्ड काम किया है।
विकास के दम पर जीत
शीला ने दिल्ली में किए काम
- मैट्रो रेल की शुरूआत
- हजारों फ्लाइओवर बनाए
- गाड़ियों में सीएनजी
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शिवराज ने मध्य प्रदेश में किए काम
- बिजली का उत्पादन बढ़ाया
- सड़कों का जाल बिछाई
- पानी की उपलब्धता बढाई
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रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ में किए काम
- माओवादियों पर लगाम
- करप्शन में कमी
- औद्योगिकरण को बढ़ावा
अगर दिल्ली की बात करें हम शीला दीक्षित के काम को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे। शीला ने पिछले पांच सालों में दिल्ली के नक्शे को बदल कर रख दिया है। शीला दीक्षित के कार्यकाल में ही दिल्ली में मैट्रो की शुरूआत हुई। जिससे लाखों लोगों का सफर आसान हुआ। साथ ही शील ने दिल्ली में इतने फ्लाईओवर बनाए कि हाजारों रेड लाइट का नामो निशान मिट गया। अब कई किलोमीट के सफर के बाद कहीं कोई रेड लाईट दिखाई देती है। दिल्ली को पॉल्युशन फ्री करने के लिए शीला ने गाड़ियों में सीएनजी कम्पलसरी कर दिया। शीला ने इस बार भी अपने काम को आधार बनाकर ही लोगों से वोट की मांग की थी। और उनकी ये स्ट्रैटजी कामयाब रही।
और यही बात मध्यप्रदेश में भी लागू हुई । मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में बीजेपी सरकार के कई काम किए। पिछले पांच सालों में शिवराज की सरकार ने बिजली, सड़क और पानी की उपलब्धता में भारी इजाफा किया है। जो उनकी जीत की वजह बनी।
ठीक ऐसा ही हाल रहा छत्तीसगढ़ की रमन सिंह सरकार का। विकास के दम पर ही छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने जीत हासिल की है। रमन सिंह अपने पांच साल के कार्यकाल में राज्य में माओवादी गतिविधियों पर लगाम कसी है। साथ ही राज्य में करप्शन को कम किया है। औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया है।
और राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार ने कुछ काम तो किया लेकिन वो कुछ खास क्षेत्र या वर्ग तक ही सीमित था। इसलिए उन्हें जाना पड़ा। यानी ये बात अब साफ हो चुकी है। कि अब जीत के लिए विकास का रास्ता पकड़ना ही होगा। चाहे वो कोई भी पार्टी हो।