बुधवार, 17 दिसंबर 2008
मंदी की मार दूल्हा लाचार
एक तो आईटी प्रोफेशन ऊपर से एनआरआई..तुम्हारे साथ तो मैं मंदी की इस दरिया में ही डूब जाऊंगी..बट,सॉरी, मैं डूबना नहीं चाहती इसलिए तुम्हें धक्का दे रही हूं..
ग्लोबल मंदी की मार शादी के बाजार पर भी हावी हो चुका है। मंदी से जहां दुल्हन की हाथ पीली नहीं हो पा रही है। वहीं दूल्हे का चेहरा लाल हो रहा है। खासकर आईटी और एनआरआई दूल्हे का। क्योंकि अब ना तो दुल्हन उन्हें पसंद कर रही हैं और ना ही कोई मां-बाप अपनी बेटी का हाथ आईट से जुड़े दूल्हे के हाथों में देना चाह रहे हैं। वजह साफ है..दुल्हन की भविष्य और आर्थिक सुरक्षा। लड़की और उनके मां-बाप का मानना है कि इस आर्थिक मंदी में आईटी प्रोफेशनल्स की नौकरी दांव पर लगी है। और ऐसे में उनसे शादी करना यानी दुल्हन के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है।
छे महीने पहले तक ऐसा नहीं था। आईटी दूल्हे की तूती बोलती थी। दुल्हन की पहली पसंद हुआ करता था आईटी दूल्हा। लेकिन अब तो आईटी दूल्हे को कोई नहीं पूछ रहा है। इसलिए डाउरी बाजार में आईटी दुल्हे के भाव नीचे लुढ़क गए हैं।
मंदी के इस दौर में आईएएस और आईपीएस दूल्हे की मांग सबसे ज्यादा बढ़ चुकी है। और उनके के लिए दुल्हन के मां बाप एक से पांच रुपए खर्च करने को तैयार हैं। जबकि डॉक्टर दूल्हे के भाव 50 लाख से 1 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। वहीं टीचिंग और रिसर्च से जुड़े दूल्हे 5 लाख से 50 लाख रुपए मिल रहे हैं। लेकिन आईटी सेक्टर से जुड़े दूल्हे के भाव देश के कुछ राज्यों में तो जीरो पर पहुंच चुका है। यानी दुल्हन आईटी दुल्हे को डाउरी नहीं देने के शर्त पर शादी करने के लिए हां कर रही हैं।
यही नहीं मंदी की इस मार में शादी के लिए लड़कियां फूंक-फूंक कर कदम आगे बढ़ा रही हैं। और कोई भी रिश्ता पक्का करने से पहले दूल्हे के प्रोफेशन और इस मंदी से उसके प्रोफेशन पर पड़ने वाले असर को जरुर जान लेना चाहती हैं।
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1 टिप्पणी:
बहुत बढ़िया राजीव भाई कोई भी क्षेत्र नहीं छोड़िए आप..शादी में भी आपने बिजनेस और निवेश ढ़ूंढ ही लिया।
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