शनिवार, 8 अगस्त 2009
मॉनसून की बिजली किसानों पर
पहले से ही दाल-सब्जी की ऊंची कीमतों की मार से आम लोग बेहाल हैं। लेकिन आने वाले दिनों में भी उन्हें राहत मिलने के कोई आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं। आने वाले दिनों में दाल की बढ़ती कीमतों का साथ चावल, तेल और चीनी भी महंगी होगी। क्योंकि पिछले साल के मुकाबले खरीफ फसलों की बुआई में भारी कमी आई है। जबकि खपत में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
31 जुलाई 2008 तक धान की बुआई 256.76 लाख हेक्टेयर में हो चुकी थी। जबकि इस साल 31 जुलाई तक केवल 191.30 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुआई हुई है। यानी कि आने वाले दिनों में थाली में चावल को शामिल करने के लिए आपको ज्यादा खर्च करने पड़ सकते हैं।
यही हाल तिलहन का भी है। पिछले साल 144.66 लाख हेक्टेयर में तिलहन की बुआई की गई थी। जो कि इस साल फिसलकर 141.79 लाख हेक्टेयर पर पहुंच चुकी है।
चीनी का स्वाद कड़वा हो सकता है। क्योकि आने वाले दिनों में चीनी के लिए आपको ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ सकते हैं। गन्ने की बुआई पिछले साल के 43.79 हेक्टेयर से फिसलकर इस साल 42.50 हेक्टेयर पर पहुंच चुकी है।
इन आंकड़ों का असर फिलहाल आम लोगों को भले ही नहीं दिख रहा हो। लेकिन इसने सरकार की नींदें ज़रुर उड़ा दी है। और सरकार ने आनन फानन में सूखे से प्रभावित जिलों के किसानों के लिए डीजल पर मिलने वाली सब्सिडी को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया है। ताकि किसान पानी की कमी को बोरिंग के जरिए पूरी कर सके। सूखे की सबसे ज्यादा मार उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड पर पड़ी है। जो सबसे ज्यादा चिंता का विषय है। क्योंकि इन राज्यों के ज्यादा से ज्यादा लोग कृषि पर निर्भर हैं।
उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने कई जिलों को सूखा प्रभावित घोषित भी कर चुकी हैं। साथ ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार पूरे राज्य को सूखा ग्रसित घोषित करने वाले हैं। क्योंकि बिहार में केवल 17 फीसदी ही बुआई हो पायी है। सूखे का ऐसा की कुछ आलम उत्तर पूर्वी राज्य असान और मणिपुर का भी है।
मौसम विभाग के अनुसार जुलाई महीने में देशभर में सामान्य से 18 फीसदी कम बारिश हुई है। जबकि इस साल जून में पिछले 83 सालों में सबसे कम बारिश हुई है। जिसका सीधा असर दाल, ज्वार, बाजार, मक्का और चावल जैसे खरीफ फसलों पर देखी जाएगी। क्योंकि खरीब फसलों की बुआई जून-जुलाई में ही की जाती है। यानी आने वाले दिनों में किचन का बजट लोगों को काफी परेशान कर सकता है।
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1 टिप्पणी:
महंगाई की कड़वाहट पर मॉनसून ने नीम चढ़ा दिया है।
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