गुरुवार, 22 जनवरी 2009

सत्यम का बिकना लगभग तय

टूट के बिखर चुकी इस कंपनी को पहले बोरे में तो समेट लूं..उसके बाद ही किसी मजबूत हाथों में इसे दूंगा। सत्यम को खरीदने वालों की लाइन लग चुकी है। इससे निवेशकों को राहत मिल सकती है। एल एंड टी, एस्सार ग्रुप, पट्टनी कम्पयुटर्स सहित कई संस्थागत निवेशकों ने सत्यम में अपना विश्वास दिखाया है। एल एंड टी ने कहा है कि सत्यम के बोर्ड में रहने की बजाए वो सत्यम को खरीदना पसंद करेगी। उधर अनिल अंबानी भी सत्यम पर नजर गड़ाए हुए हैं। सत्यम को आने वाले दिनों में राहत मिल सकती है। क्योंकि देश की एक बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एल एंड टी ने सत्यम में अपना विश्वास जताया है। एल एंड टी ने एक महीने पहले ही सत्यम के करीब 4 फीसदी से ज्यादा शेयर खरीदे थे। लेकिन धांधली की खबर आने के बाद एल एंड टी ने कोई शेयर नहीं लिया है। हालांकि कंपनी ने उनके शेयर बेचे भी नहीं है। कंपनी ने कहा कि अगर सत्यम के सारे नुकसान का एक बार पता चल जाए। तो उसके खरीदने में एल एंड टी को कोई परेशानी नहीं होगी।  एलएंडटी के इस इस बयान के बाद सत्यम के शेयरों में कुछ सुधार दखने को मिला। पिछले दो दिनों से सत्यम के शेयरों में तेजी देखी जा रही है। उधर एस्सार ग्रुप ने सत्यम के बीपीओ बिजनेस को खरीदना चाहती है। यही नहीं पटनी कम्पयुटर्स सहित कई विदेशी संस्थागत निवेशकों ने सत्यम में मालिकाना हक के सरकार से बात की है। जिससे निवेशकों के सेंटिमेंट्स में इजाफा हुआ है। यही नहीं सत्यम से आंध्र प्रदेश सरकार के भी सेंटिमेंट्स जुड़े हुए हैं। इसलिए राज्य सरकार भी सत्यम को खरीदने के लिए लाइन में खड़ी है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार जगत में आध्र प्रदेश  को पहचान दिलाने वाली कंपनियों में सत्यम पहले नंबर पर आती है। हैदराबाद से सटे साइबराबाद को दुनिया के नामी आईटी सिटी में गिना जाता है। और इसके पीछे सत्यम का बड़ा हाथ है। लेकिन फिलहाल सत्यम दलदल में फंस चुकी है। और जबतक सत्यम में हुई पूरी धांधली और कंपनी को हुए असली नफे-नुकसान की बात सामने नहीं आ जाती। तबतक निवेशकों को इसके शेयर से दूर रहने की बात ज्यादातर लोग कर रहे हैं। लेकिन जिस तरह से सरकार ने सत्यम को संभालने की शुरूआत की है। और इसके बोर्ड में देश के दिग्गज लोगों को शामिल किया है। उससे तो यही लगता है कि आने वाले दिनों में सत्यम की नींव को फिर से दुरूस्त कर दी जाएगी। और हो सकता उसके बाद सरकार इसे किसी मजबूत हाथों में बेच दे। लेकिन फिलहाल तो सत्यम के सच और सत्यम के झूठ के बीच जंग जारी है और इसके बीच पिस रहे हैं बेचारे निवेशक। बस इस बात की उम्मीद लिए कि इसे कोई दिग्गज कंपनी जरूर खरीद लेगी।

3 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

चुरकुटाई होगी तो बिकेंगे ही . बहुत सही .

Prabhakar Pandey ने कहा…

सही बात। सुंदर लेखन। धन्यवाद।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

उम्मीद है कि सरकार की कोशिशों के बलबूते निवेशकों का खोया आत्मविश्वास भी इस से वापिस लोटेगा.