शुक्रवार, 27 मई 2011

स्पीक एशिया की बोलती बंद

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने ऑनलाइन सर्वे कंपनी स्पीक एशिया के सभी खाते सील कर दिए हैं। स्पीक एशिया पर सर्वे के नाम पर फर्जीवाड़े का आरोप है। कई ग्राहकों की शिकायत के बाद आखरिकार आरबीआई ने स्पीक एशिया पर कार्रवाई करत हुए ये कदम उठाया है। ये सिंगापुर की कंपनी है जो कि भारत में सर्वे कराने का काम करती है। लेकिन अजीब बात ये है कि कंपनी ने सर्वे के लिए देश के किसी भी शहर में कोई ऑफिस तक नहीं खोला है। फिर भी करीब 19 लाख लोग इसके सदस्य हैं। बड़े-बड़े दावे करने वाली कंपनी स्पीक एशिया की बोलती बंद है। हर सप्ताह एक हजार और महीने में चार हजार रुपए रिफंड करने वाली कंपनी का ऑनलाइन एकाउंट गड़बड़ा गया है। दरअसल कंपनी इंटरनेट के जरिये लोगों को एक पिन नंबर देती थी। जिसमें डॉलर में होने वाली कमाई रुपए में बदलता था। पिछले चार दिनों से निवेशकों को पिन नंबर ही नहीं मिल रहा था। इसकी वजह से रुपया खाते में ट्रांसफर होना बंद हो गया। इसके बाद स्पीक एशिया के मेंबर्स को ये डर सताने लगा कि कंपनी बंद ना हो जाए। क्योंकि कंपनी के नाम पर केवाल इंटरनेट की एक साइट है। स्पीकएशिया मई 2010 से भारत में ऑनलाइन सर्वे का काम कर रही है। ये कंपनी सदस्य बनाने के लिए 11,000 रुपए लेती है। महीने में कुल 8 सर्वे कराती है और बदले में हर सर्वे के लिए 500 रुपए देती है। यानी 3 महीने में 11,000 रुपए वसूल हो जाती है। इस तरह ये एक मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी की तरह काम करती है। हर सर्वे में कंपनी अपने सदस्यों को एक फॉर्म देती है। जिसमें मामूली से 12 सवाल होते हैं। जैसे आप किस कंपनी की घड़ी पहनते हैं। शर्ट किस कंपनी का पहनते हैं। और सदस्य इनमें से एक सवाल का जवाब भी लिख कर भेज देता है। तो उसे 500 रुपए मिल जाते हैं। अगर किसी ने ये लिख दिया कि वो घड़ी नहीं पहनता तो भी उसे पैसे मिल जाते हैं। इतने मामूली से काम के लिए जब लोगों के एकाउंट में पैसे आने लगते हैं। तो वो एक के बाद दूसरा एकाउंट खोलने लगते हैं। जबक उनकी कुल एकाउंट की सीमा यानी तीस एकाउंट पूरे हो जाते हैं। तो वो अपने रिश्तेदार, बीबी-बच्चे के नाम से अकाउंट खोलने लगते हैं। साथ ही अनजाने में वो कंपनी के एजेंट बन जाते है और जगह जगह घूम कर एकाउंट खुलवाने लगते हैं। उनके जरिए जो भई एकाउंट खुलता है। उसका अलग से कमीशन आता है। पैसे की ये खुली बरसात के लोभ में लोग बहने लगते हैं। और एक दिन पता चलता है कि कंपनी बंद हो गाई। पिछले कई दिनों से पैसे नहीं मिलने की वजह से इसके मेंमर्स में अफरा तफरी मच गई है। और मीडिया में इस खबर के आने के बाद आरबीआई ने कंपनी के सारे एकाउंट सील कर दिए हैं। ऐसे में लाखों ग्राहकों के करोड़ों रुपए इस कंपनी में फंस गए हैं। अब सवाल ये उठता है कि आरबीआई उस कंपनी से कैसे पैसे वसूलेगी जो कि भारत में रजिस्टर्ड ही नहीं है। बस इंटरनेट पर कुछ हजार रुपए में एक डॉमेन लेकर भारत में लोगों को उल्लू बना रही है!

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

राजीव भाई इस तरह की जानकारी देकर आप भोले भाले लोगों को मल्टीलेवल मार्केटिंग की दलदल में फंसने से बचा रहे हैं। बहुत ही नेक काम कर रहे हैं।...कन्हैया कुमार.