घरेलू एविएशन सेक्टर में विदेशी एयरलाइंस कंपनियों की हिस्सेदारी का रास्ता साफ हो गया है। जल्द ही सरकार 49 फीसदी एफडीआई पर कैबिनेट नोट जारी करेगी। देश की सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील सेक्टर को आनन-फानन में विदेशी एयरलाइंस कंपनियों के लिए आखिर क्यों खोला जा रहा है। इसपर सवाल उठना लाजिमी है।
घाटे और कर्ज से लहूलुहान हो चुके भारतीय एविएशन सेक्टर के लिए उम्मीद की किरण दिखाई दी है। मंगलवार मंत्री समूहों की बैठक में घरेलू एयरलाइंस की हिस्सेदारी बेचने पर फैसला किया गया। यानी अब विदेशी एयरलाइंस कंपनियां घरेलू एयरलाइंस कंपनियों में 49 फीसदी तक हिस्सेदारी खरीद सकती हैं। नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा कि जल्द ही इस बारे में कैबिनेट नोट जारी किया जाएगा।
देश की सुरक्षा से जुड़े इस संवेदनशील सेक्टर में फिलहाल किसी विदेशी एयरलाइंस कंपनियों को हिस्सादारी खरीदने की इजाज़त नहीं है। हालांकि इस क्षेत्र में पहले से ही 49 फीसदी एफडीआई की इजाज़त है। यानी की विदेशी एयरलाइंस कंपनियों को छोड़कर बाकी कोई भी विदेशी कंपनी भारतीय एविएशन सेक्टर में हिस्सेदारी खरीद सकती है।
लेकिन नागरिक उड्डयन मंत्रालय का पोर्टफोलियो अजित सिंह के हवाले होते ही इसपर आनन-फानन में फैसला लिया जा रहा है। पहले जहां सरकार विदेशी एयरलाइंस कंपनियों को 26 फीसदी हिस्सेदारी देने के लिए भी आनाकानी कर रही थी। और 24 फीसदी हिस्सेदारी ऊपर नहीं बढ़ रही थी। वहीं अचानक 49 फीसीद हिस्सेदारी पर फैसला होना..दाल में कुछ काला होने का संदेह पैदा करता है।
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