केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका में आउटसोर्सिंग बंद होने से अमेरिका और भारत दोनों को घाटा होगा। साथ ही वित्त मंत्री ने साफ कर दिया कि अमेरिका और यूरोपीय देशों के प्रतिबंध के बावजूद भारत ईरान से तेल खरीदता रहेगा।
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आटसोर्सिंग और ईरान मुद्दे पर भारत की नीति को दो टूक सब्दों में अमेरिका के सामने रखा है। वित्त मंत्री ने कहा कि अगर अमेरिकी कंपनियों को आउटसोर्सिंग करने से रोका जाएगा तो दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा। प्रणब मुखर्जी ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीतियों को लेकर चिंता जताई है।
अमेरिका के दो दिनों के दौरे के आखिरी दिन मुखर्जी ने कहा कि सभी देश इस बात के लिए आज़ाद हैं कि वे अपनी जरूरतों के हिसाब से नीतियां बनाएं। लेकिन वो नीतियां संरक्षणवाद को बढ़ावा देने वाली नहीं होनी चाहिए। मुखर्जी ने इस बात पर भी जोर दिया कि विश्व व्यापार संगठन इस कोशिश में लगा हुआ है कि पूरी दुनिया में आसानी से एक जगह से दूसरी जगह वस्तुओं और सेवाओं को उपलब्ध कराया जाए।
वहीं दूसरी ओर तमाम दबावों के बावजूद ईरान के मुद्दे पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने साफ किया है कि भारत ईरान से तेल खरीदता रहेगा। अमेरिका और यूरोपीय संघ की पाबंदियों के बावजूद ईरान से कच्चे तेल के व्यापार पर रोक नहीं लगाया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के लिए ईरान से होने वाले तेल आयात में कटौती का निर्णय लेना संभव नहीं है। भारत में तेजी से बढ़ रही ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान की अहम भागीदारी है। भारत करीब 80 फीसदी तेल आयात करता है। जिसमें से 12 फीसदी तेल ईरान से आयात होता है।
ऐसे में वित्त मंत्री का अमेरिका का ये दौरा काफी सकारात्म नज़र आ रहा है। क्योंकि प्रणब मुखर्जी ने ईरान और आउटसोर्सिंग पर भारतीय चिंताओं को खुलकर अमेरिका के सामने रख दिया है।
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