सरकार की आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैय्या
भारत सरकार की आर्थिक हालात बेहतर नहीं दिख रहे हैं। लगातार बढ़ रहे बजटीय घाटे को कम करने के लिए सरकार अपने शेयर और प्रॉपर्टी को गिरबी रखने के बारे में विचार कर रही है। इसके जरिए सरकार करीब 500 अरब रुपए के जुगाड़ करना चाह रही है।
आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया के आधार पर सरकार काम कर रही है। एक के बाद एक वेलफेयर स्कीम्स का ऐलान किया जा रहा है। वजह साफ है अगले साल होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करना। लेकिन इस मजबूती के चक्कर में सरकार का बजटीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। और अब उस नाजुक दौर में पहुंच चुका है.. जहां सरकार के पास अपनी प्रॉपर्टी और शेयर गिरवी रखने के बारे में सोचने पर मज़बूर होना पड़ रहा है।
सरकार के पास पैसे की कमी साफ झलक रही है। ऐसे में सरकार आईटीस, एल एंड टी और एक्सिस बैंक में अपने शेयर को बेचकर या गिरवी रखकर पैसे के बंदोबस्त करना चाह रही है। और उन पैसों से सरकार कंपनियों के शेयर खरीदना चाहती है। ताकी बाद में उन्हें बेचकर विनिवेश के लक्ष्य को हासिल किया जा सके और सरकारी खर्चे के लिए पैसे बचाया जा सके। सरकार ने इस वित्त वर्ष में 400 अरब रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा है।
वर्ल्ड बैंक के अनुसार किसी भी देश के लिए 4 फीसदी से ज्यादा बजटीय घाटा सही नहीं माना जाता है। जबकि भारत का बजटीय घाट 6 फीसदी से ज्यादा है। यही नहीं अगर राज्यों के बजटीय घाटे से इसे जोड़ दिया जाए तो ये घाटा 10 फीसदी को पार कर जाएगा।
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