ब्रिक्स देशों को सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मंदी से ब्रिक्स के सभी देश प्रभावित हैं। और इससे उबरने के लिए एक ब्रिक्स बैंक की बेहद ज़रूरत है। प्रधानमंत्री ने साफ कहा कि ब्रिक्स की मज़बूती में इस संगठन के जुड़े पांचों देशों को साझा फायदा है।
नई दिल्ली में चल रहे चौथे ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सभी ब्रिक्स देशों से आपसी सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया है।
- प्रधानमंत्री ने इस मौके पर बताया कि विश्व बैंक की तर्ज पर ब्रिक्स देशों की अगुवाई में एक डेवलपमेंट बैंक बनाने के प्रस्ताव पर विचार करने पर सहमति बन गई है।
-ब्रिक्स देशों की बैठक में भारत और चीन ने साफ कर दिया है कि वो ईरान पर प्रतिबंध नहीं लगाएंगे। और ईरान से तेल खरीदते रहेगें। चीन अपनी ज़रूरतों का करीब 20 फीसदी तेल ईरान से आयात करता है। जबकि भारत अपनी ज़रूरतों का करीब 12 फीसदी तेल ईरान से आयात करता है।
- ब्रिक्स देशों में आपस में लोकल करेंसी में व्यापार करने के महत्वपूर्ण करार पर आज दस्तखत किए गए। इस समझौते के तहत ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका में आपसी व्यापार के लिए लोकल करेंसी में कर्ज दिया जा सकेगा।
- इसके साथ ही ब्रिक्स देशों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के लिए ब्रिक्स देशों को मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए।
- ब्रिक्स देशों ने 2015 तक आपस में 500 अरब डॉलर का व्यापार करने का लक्ष्य रखा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस वक्त दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं के लिए कई चुनौतियां हैं, ऐसे में देशों को व्यापार बढ़ाने के लिए सहयोग बढ़ाना होगा। ब्रिक्स दुनिया के तेजी से विकास कर रहे देशों का संगठन है और इसमें भारत के अलावा ब्राजील, रुस, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। ब्रिक्श देशों में दुनिया के करीब पचास फीसदी आवादी रहती है। लेकिन दुनिया के जीडीपी में ब्रिक्स देशों का 18.2 फीसदी का योगदान है। लेकिन इन देशों में बहुत तेजी से विकास हो रहा है। और ऐसा माना जा रहा है कि साल 2035 तक ब्रिक्स दुनिया का सबसे ताक़तबर संगठन बन जाएगा।
गुरुवार, 29 मार्च 2012
बुधवार, 28 मार्च 2012
कल से दिल्ली में ब्रिक्स देशों की बैठक
दुनिया के पांच सबसे तेजी से विकास करने वाले देशों के प्रमुखों की बैठक कल से दिल्ली में होने वाली है। ब्रिक्स देशों के इस सम्मेलन में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। जिसमें प्रमुख होगा मध्य पूर्व संकट और अमेरिकी डॉलर पर से निर्भरता कम करना।
दुनिया की ऊभरती हुई नई ताक़त यानी ब्रिक्स की कल से शुरू होने वाली बैठक में आपकी अर्थव्यवस्था के विकास पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में एक बैंक के गठन का ऐलान हो सकता है। जो ब्रिक्स देशों की सहायता करेगा। ब्रिक्स तेजी से विकास कर रहे पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक संगठन है। भारत में पहली बार होने वाली इस बैठक में भारत सहित पांचों देशों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। इस बैठक में ईरान समस्या पर भी चर्चा होगी। दरअसल ईरान से तेल नहीं खरीदने का अमेरिकी दबाव लागातर भारत और चीन पर बढ़ रहा है। और ऐसा नहीं करने पर अमेरिकी इन दोनों देशों पर कुछ आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। लेकिन तेजी से विकास कर रहे भारत और चीन के पास ईंधन के लिए ईरान के बदले दूसरे विकल्प कम हैं। ऐसे में ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर पर से अपनी निर्भरता धीरे-धीरे कम करना चाह रहे हैं। ताकि किसी तरह के अमरीकी प्रतिबंध का असर ब्रिक्स देशों पर ना हो। साथ ही पांचों देश मिलकर एक एक्सचेंज का गठन का ऐलान कर सकते हैं जिसमें पांचों देशों के सूचकांक लिस्टेड होंगे और पांचों देश के नागरिक अपनी-अपनी करेंसी में उसमें कारोबार कर पाएंगे।
दुनिया की करीब आधी आबादी इन पांच देशों में रहते हैं। इसलिए ये पांच देश एक बड़े बाजार के तौर पर पूरी दुनिया में देखे जाते हैं। यूरोप और अमेरिकी में आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देश भी ब्रिक्स देशों पर अपनी टकटकी लगाए हुए है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी कई बार कह चुके हैं कि दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भारत चीन और ब्राजील जैसे देशों की अमह भूमिका होगी। लेकिन ब्रिक्स देशों की खुद की अर्थव्यवस्था अब सुस्त होती दिख रही है। ऐसे में इन देशों को पहले खुद को संभालने की ज़रूरत है।
दुनिया की ऊभरती हुई नई ताक़त यानी ब्रिक्स की कल से शुरू होने वाली बैठक में आपकी अर्थव्यवस्था के विकास पर चर्चा की जाएगी। इस बैठक में एक बैंक के गठन का ऐलान हो सकता है। जो ब्रिक्स देशों की सहायता करेगा। ब्रिक्स तेजी से विकास कर रहे पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का एक संगठन है। भारत में पहली बार होने वाली इस बैठक में भारत सहित पांचों देशों के प्रमुख हिस्सा लेंगे। इस बैठक में ईरान समस्या पर भी चर्चा होगी। दरअसल ईरान से तेल नहीं खरीदने का अमेरिकी दबाव लागातर भारत और चीन पर बढ़ रहा है। और ऐसा नहीं करने पर अमेरिकी इन दोनों देशों पर कुछ आर्थिक प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। लेकिन तेजी से विकास कर रहे भारत और चीन के पास ईंधन के लिए ईरान के बदले दूसरे विकल्प कम हैं। ऐसे में ब्रिक्स देश अमेरिकी डॉलर पर से अपनी निर्भरता धीरे-धीरे कम करना चाह रहे हैं। ताकि किसी तरह के अमरीकी प्रतिबंध का असर ब्रिक्स देशों पर ना हो। साथ ही पांचों देश मिलकर एक एक्सचेंज का गठन का ऐलान कर सकते हैं जिसमें पांचों देशों के सूचकांक लिस्टेड होंगे और पांचों देश के नागरिक अपनी-अपनी करेंसी में उसमें कारोबार कर पाएंगे।
दुनिया की करीब आधी आबादी इन पांच देशों में रहते हैं। इसलिए ये पांच देश एक बड़े बाजार के तौर पर पूरी दुनिया में देखे जाते हैं। यूरोप और अमेरिकी में आर्थिक अनिश्चितता का माहौल है। ऐसे में अमेरिका और यूरोपीय देश भी ब्रिक्स देशों पर अपनी टकटकी लगाए हुए है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भी कई बार कह चुके हैं कि दुनियाभर के देशों की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में भारत चीन और ब्राजील जैसे देशों की अमह भूमिका होगी। लेकिन ब्रिक्स देशों की खुद की अर्थव्यवस्था अब सुस्त होती दिख रही है। ऐसे में इन देशों को पहले खुद को संभालने की ज़रूरत है।
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