सोमवार, 4 जून 2007

रिलायंस कम्युनिकेशन में काफी दम है


रिलायंस कम्युनिकेशन की रफ्तार रोके नहीं रुक रही है। आखिर रुके भी क्यों, दुनियाभर में सब से ज्यादा तेजी से भारत में टेलीकॉम बिजनेस बढ़ रहा है। जिस तरह रिलायंस इंडस्ट्रीज पर मुकेश अंबानी के साथ ही देश को नाज है। उसी तरह रिलायंस कम्युनिकेशन अनिल अंबानी का कमाऊ पूत है। और अगर देश की बात करें तो रिलायंस इंडस्ट्रीज से ज्यादा लोग रिलायंस कम्युनिकेशन को जानते हैं। क्योंकि इसकी पहुंच गांवों-गांवों तक हो चुकी है। और इसी ने सब्जी बेचने वालों से लेकर धोबी, नाई, रिक्शा पुलर जैसे साधारण लोगों के मोबाइल पर बात करने के सपने को सबसे पहले साकार किया है। गांवों में तो अब लोग रिलायंस का मतलब ही फोन समझते हैं।

हच एस्सार को खरीदने में नाकाम होने के बाद ऐसा लगा था कि इसकी रफ्तार धीमी होगी। पर ऐसा नहीं हुआ। हालांकि उस डील को कर लेने के बाद कंपनी एक झटके में अपने जीएसएम सर्विस में छा जाती। जो कि नहीं हो सका। पर कंपनी ने हार नहीं मानी। अपने नेटवर्क में ज्यादा से ज्यादा कंज्यूमरों को जोरने के लिए कंपनी एग्रेसिव रुख अख्तियार कर चुकी है। देश के कुल 17 करोड़ मोबाइल धारकों में से 3 करोड़ लोग रिलायंस के नेटवर्क से जुड़े हैं। हाल ही में कंपनी ने रोमिंग दरों को घटाकर सनसनी फैला दी। क्योंकि कंपनी ने ये कदम सरकारी कंपनी बीएसएनएल- एमटीएनएल से पहले उठा ली थी। उसके बाद जब बीएसएनएल- एमटीएनएल ने रोमिंग दरों में कटौती का ऐलान किया तो। तो रिलायंस कम्युनिकेशन ने फिर से और कटौती का ऐलान कर दिया।

हालांकि देश की सबसे बड़ी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी एयरटेल ने फिलहाल किसी कटौती का ऐलान नहीं किया है। लेकिन ऐसा अनुमान है कि अगले कुछ ही हफ्तों में वो रोमिंग दरों में कटौती का ऐलान करने वाली है।

रोमिंग दरों में ट्राई के फीस कम करने के बाद रिलायंस ने रोमिंग दरों में कटौती करने जो सिलसिला शुरू किया है। उसे देखकर निवेशक डरे हुए हैं। और डरें भी क्यों नहीं। कंपनी की कमाई का करीब 40 परसेंट रोमिंग से ही जो आता है। आगे बढ़कर कटौती शुरू करने की नीति को हमें एक अच्छी नीति ही मानना चाहिए। क्योंकि बीएसएनएल के ऐलान के बाद आज न कल उसे ये करना ही पड़ता। तो फिर पहले क्यों नहीं। इसका फायदा कंपनी को हुआ है और हो रहा है। इसके कनेक्शन लेने वालों की रफ्तार बढ़ गई है। और जबतक एयरटेल और हच रोमिंग दरों में कटौती करने से बचते रहेंगे। इसकी तेज रफ्तार जारी रहेगी। साथ ही कंपनी लगातार सस्ते मोबाइल हैंड सेट लांच कर रही है। जिसके चलते भी इस नेटवर्क से ज्यादा से ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं। और जब तक वोडाफोन सबसे सस्ता फोन लांच करेगा तबतक रिलायंस नेटवर्क की झोली में लाखों ग्राहक आ चुके होंगे।

टेलीकॉम बिजनेस में कमाई की पहली सीढ़ी कनेक्शन ही होती है। अगर घाटे में भी किसी कंपनी ने कनेक्शन का जाल फैला दिया तो आने वाले दिनों में मुनाफा खुद ब खुद होने लगता हैं। क्योंकि नंबरों का एट्रिशन (एक सर्विस प्रोवाइडर से दूसरे सर्विस प्रोवाइडर में जाना) कुछ दिनों के बाद कठिन हो जाता है। विदेशों में तो इस तरह के एट्रिशन के लिए टेलिकॉम प्रोवाइडर महंगे-महंगे प्रलोभन देते हैं। पर हां अपने सब्सक्राइबर कर बचाए रखने के लिए भी कंपनियां अपने वफादार कंज्यूमर को गिफ्ट बांटती रहती हैं। लेकिन ये सिलसिला भारत में शुरू होने में अभी काफी समय है। क्योंकि ये तब शुरू होता है जब देश में हर किसी के हाथ में मोबाइल हो।

देश की दूसरी सबसे बड़ी प्राइवेट टेलीकॉम कंपनी का दर्जा होने के बावजूद इंटिग्रेटेड टेलीकॉम सर्विस के मामले में रिलायंस टेली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। इंटिग्रेटेड यानी की जीएसएम, सीडीएमए, ब्रॉडबैंड, इंटरनेशनल अंडर सी केबल नेटवर्क जैसे सर्विस देने वाली एक ही कंपनी। आने वाले दिनों अगर ये कंपनी जीएसएम मामले में पीछे रह भी जाती है तो दूसरी चीजों में इसे पकड़ने वाला कम से कम भारत कोई नहीं होगा। और खासकर ब्रॉडबैंड में तो काफी बेहतर स्कोप दिख रहे हैं। अगले कुछ दिनों में रिलायंस के जीएसएम के भिवष्य पर फैसला हो जाएगा। क्योंकि सरकार इसके लिए स्पेक्ट्रम रिलीज करने वाली है। जीएसएम में रिलायंस कम्युनिकेशन की रफ्तार क्या होगी ये बहुत हद तक उसे मिलने वाले स्पैक्ट्रम पर निर्भर करेगा। और स्पैक्ट्रम की कीमत पर भी। क्योंकि सरकार स्पैक्ट्रम के लिए विदेशों से भी टेंडर मंगाना चाहती है। यानी बड़ी विदेशी कंपनियां अगर टेंडर नहीं भी ले पाती हैं तो कम से कम स्पैक्ट्रम की कीमत को तो जरूर चढ़ा देंगी।

कुल मिलाकर निवेश की नजरिए से ये एक बहुत अच्छा स्टॉक है। क्योंकि आने वाले दिनों में रिलायंस कम्युनिकेशन से दो और कंपनियां निकलती दिख रही है। एक तो होगा इस इंटरनेशनल अंडर सी केबल नेटवर्क वाली कंपनी फ्लैग टेलीकॉम। जो कि इसकी 100 परसेंट सब्सिडियरी है। और हाल ही में एक ब्रिटिश नेटवर्क कंपनी के साथ किए समझौते के बाद इसकी पहुंच दुनिया के 6 महादेशों तक हो गई है। यानी कि ये रिलायंस कम्युनिकेशन को कमाई कराने वाला बेटा है। जिसकी लिस्टिंग जल्द ही लंदन स्टॉक एक्सचेंज में होने वाली है। और रिलायंस कम्युनिकेशन का दूसरा वाल छोटा बेटा है रिलायंस टेली टावर इंफ्रास्ट्रक्चर। कंपनी इसकी 26 परसेंट हिस्सेदारी किसी विदेशी कंपनी के हाथों बेचने की तैयारी में है। फिलहाल कंपनी के पास 14000 टॉवर हैं और कंपनी की योजना 20000 और टॉवर बनाने की है। आने वाले दिनों में ये एक अगल कंपनी की तौर पर बाजार में लिस्ट हो सकती है। और इन दोनों कंपनियों का फायादा रिलायंस कम्युनिकेशन के शेयर धारकों को जरूर होगा।

5 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

writer ne R com par kafi research kiya hai, filhaal hame to intazaar hai ki kab telecom companies conection ke sath kuch gift bhi dengi...
gyanwardhan ke liye sukriya rajeev

Unknown ने कहा…

nice article, well researched piece and quite useful for the beginners. the article successfully describes about every important aspect of reliance commu. and rightly suggests either to invest or stay invested in the company.

बेनामी ने कहा…

NIVESH GURU KO ADAB.

Unknown ने कहा…

Not atall bad...Rightly said Shaileshji, even I'm waiting for the day when we get gifts from Reliange...tab main bhi ek connection jaroor le loongi....But for the time being lets manage with the profit we can earn from Rajeev's research on RCom....

Thanks Rajeev....
Rgds,
Priya Rawat....

VIRENDRA VYAS ने कहा…

Kya Bat he sir itni research ...man gaye... vase RComm ki Flag ab puri dunia me 4 nai cable network bicha rahi he....jo iske karobar me badat hi karega...isme 6000 Cr ka karch aayega...sath hi iska kam japan ki Fujitsu jko diya he....
RComm dino din badne wali comp he...u r right