खेल का बिजनेस खेल नहीं !
विजय माल्या जिसे किंग ऑफ गुड टाइम कहा जाता है। जो एक पार्टी में उतने पैसे उड़ा देते हैं जितना कोई जिंदगीभर में नहीं कमा पाता है। लेकिन लक्ष्मी हमेशा से उनपर मेहरवन रही है। वो जितना खर्च करते हैं इससे ज्यादा फायदा उन्हें मिल जाता है। लेकिन फिलहाल उनका बुरा फेज चल रहा है। आईपीएल की उनकी टीम रॉयल चैलेंजर्स को लगातार मुंह की खानी पड़ रही है। एक के एक हार ने उन्हें हिला कर रख दिया है। ठीक ऐसा ही हाल एफ वन रेस में भी उनकी टीम की हो रही है।
लेकिन खेल के बिजनेस के अलावे उनका दूसरा बिजनेस काफी चकाचक चल रहा है। विजय माल्या ने 1983 में यूबी ग्रुप यानी यूनाइटेड ब्रुअरीज की कमान अनपे हाथ में ली। तब से लेकर अबतक कंपनी अपनी विस्तार की बदौलत एक मल्टीनेशनल कंपनी का दर्जा हासिल कर चुकी है। इस ग्रुप के अंदर आज एग्रीकल्चर, लाइफ साइंस,केमिकल, आईटी, इंजीनियरिंग और एविएशन जैसी करीब साठ कंपनियां काम कर रही हैं। जिसका टर्नओवर अरबों डॉलर में है। इसके बाद भी कंपनी का अधिग्रहण नहीं रुका है। पिछले साल मई में ही विजय माल्या ने प्रीमियम व्हिस्की बनाने वाली दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी स्कॉटलैंड की व्हाइट एंड मैके को करीब 5 हजार करोड़ रुपए में खरीदा है। माल्या ने 2005 में किंगफिशर एयरलाइंस की शुरूआत की। इसके साथ ही यूरोपियन कंपनी एयरबस को एक साथ 50 एयरक्राफ्ट का अबतक का सबसे बड़ा ऑर्डर दिया। जहाजों का बेड़ा बढ़ाने और ज्यादा जगहों पर पहुंच बनाने के लिए माल्या ने लो कॉस्ट एयरलाइंस एयर डेक्कन को करीब 1000करोड़ रुपए में खरीद लिया।
लेकिन खेल की बात ही कुछ अलग है। स्पीड के दीवाने विजय माल्या ने फॉर्मुला वन रेसिंग टीम स्पाइकर की स्टीयरिंग 8.8 करोड़ यूरो देकर अपने हाथ में ले ली। जिसका नाम बाद में बदलकर फोर्स इंडिया कर दिया। यानी अब एफ वन रेस में एक इंडियन टीम भी हवा से बातें करते हुए दिखने लगी हैं। लेकिन बिजनेस के खिलाड़ी विजय माल्या को खेलों में मुंह की खानी पड़ रही है। स्पेन में हुए एफ वन रेस में उनकी टीम शुरूआती झटके खाने के बाद 10 नंबर पर रही। जबकि आईपीएल में उनकी चेन्नई टीम लगातार हिचकोले खा रही है। यानी विजय माल्या को आज ये कहावत बिल्कुल सही लग रही होगी। मनी केन बाइ हैप्पीनेस, लेकिन पैसे से खेल और प्यार को नहीं जीता जा सकता है।
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