शुक्रवार, 12 सितंबर 2008
रुपए पर भारी पड़ा डॉलर
अगर आप आप विदेश घूमने जाने वाले हैं या किसी विदेशी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने वाले हैं तो अब आपको ज्यादा खर्च करने होंगे। क्योंकि दो-तीन महीने पहले आपको एक डॉलर के लिए 40 रुपए के करीब देने होते थे लेकिन अब वही डॉलर आपके मिलेगा 45 रुपए से ज्यादा में।
रूपये पर बढ़ते दवाब के बीच विदेशी बाजारों में डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। जिससे रुपया हर दिन कमजोर होता जा रहा है। और यही वजह है कि डॉलर के मुकबले रुपया साढे पैंतालीस रुपए के नीचे पहुंच गया है। जो कि करीब दो साल का निचला स्तर है। विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की तूती एक बार फिर बोलने लगी है। अभी दो महीने पहले तक यूरो हर दिन डॉलर के मुकाबले मजबूत हो रहा था। और दुनिया की दूसरी करेंसी भी डॉलर पर दबाव बनाए हुए था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है और डॉलर यूरोपीय मुद्रा यूरो के मुकाबले एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।
कच्चे तेल की कीमत फिसलकर प्रति बैरल 100 डॉलर के करीब पहुंचने की वजह से तेल कंपनियों में डॉलर की डिमांड बढ़ गई है। और उस अनुपात में सिस्टम में डॉलर के नहीं आने की वजह से डॉलर का भाव चढ़ गया है। रुपए के कमजोर होने की वजह से भारत का व्यापार घाटा भी बढ़ा है। ऐसा नहीं है कि रुपए में आई कमजोरी से सभी सेक्टरों पर बुरा असर पड़ रहा है। आईटी एक ऐसा सेक्टर है जिसको इसका खूब फायदा हो रहा है। दो-तीन महीने पहले तक आईटी सेक्टर को सॉफ्टवेयर या सर्विस देने के बदले डॉलर में जो कमाई होती थी। उसे रुपए में बदलने पर उन्हें नुकसान हो रहा था। क्योंकि एक डॉलर के बदले उन्हें मिल रहे थे करीब 40 रुपए। लेकिन अब उनकी चांदी हो रही है क्योंकि एक डॉलर की कीमत साढ़े पैंतालीस रुपए से ऊपर पहुंच चुकी है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
हाय रे महंगाई ...लगता है आगे केलेंडर टांग के संतोष करना पड़ेगा अलग अलग जगहों के
एक टिप्पणी भेजें