सोमवार, 15 मार्च 2010
महंगाई की मार बरकरार
सरकार के तमाम कोशिशों के बावजूद महंगाई दर में तेजी जारी है। तूफान की तरह बढ़ रही है महंगाई। लोग लाचार हैं। संसद में एक अरब जनता के भूख से ऊपर महिला बिल की चिंता नेताओं को सता रही है। बजट सत्र में महंगाई की समस्या शुरुआती दौर में उठा जरुर लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसपर महिला बिल हाबी हो गया। ऐसे में महंगाई की मार खाने अलावा लोगों के पास दूसरा कोई चारा नहीं है।
फरवरी महीने में महंगाई दर 9.89 फीसदी पर पहुंच गई है। जो कि 16 महीनों का उच्चतम स्तर है। जनवरी महीने में महंगाई दर 8.56 फीसदी थी। बजट में पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने की वजह से खाने-पीने के ज्यादातर सामान और महंगे हो चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले चीनी की कीमतें 55.47 फीसदी बढ़े हैं। वहीं आलू करीब 30 फीसदी महंगे हुए हैं। पिछले एक साल में दाल की कीमतों में 35.58 फीसदी का इजाफा देखा जा रहा है।
रिजर्व बैंक ने 8.5 फीसदी महंगाई दर रहने का अनुमान लगाया था। लेकिन पिछले ही महीने महंगाई दर इस सीमा को पार कर चुकी है। आरबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी की तिमाही समीक्षा में सीआरआर में 0.75 फीसदी का इजाफा किया था। जिससे सीआरआर 5 फीसदी से बढ़कर 5.75 फीसदी पर पहुंच गया। इससे बाजार से करीब 36000 करोड़ रुपए बाहर हो गए। लेकिन इसके बावजूद महंगाई रुक नहीं पा रही है।
अगर सरकार अभी भी नहीं जागी तो आने वाले दिनों में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुवानों में इसका खामियाजा उसे भुगतना पड़ेगा।
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1 टिप्पणी:
सरकार लाचार है क्योंकि बड़े लोगों बिजनेसमैन के हित पहले देखती है..बस, यही वजह है।
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