घर का सपना सच करने का समय करीब आ चुका है। क्योंकि रियल स्टेट कंपनियों के फ्लैट्स मनमामी कीमतों पर नहीं बिक पा रहे हैं। जिससे इन कंपनियों पर दोहरी मार पर रही है। एक ओर इनपर कर्ज बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर इनके शेयर धराशायी हो चुके हैं। इस विषम परिस्थिति से बचने के लिए इनके पास फ्लैट्स सस्ता करने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा है।
अगर आ घर खरीदना चाहते हैं और आसमान पर पहुंच चुकी कीमतों की वजह से घर नहीं ले पा रहे हैं। तो थोड़ा इंतजार कीजिए। आने वाले कुछ महीनों में फ्लैट्स की कीमतों में भारी गिरावट होने की संभावना है। क्योंकि भारत की रियल एस्टेट कंपनियां कर्ज से कराह रही हैं। इसके बावजूद फ्लैट्स की कीमतें कम करने का नाम नहीं ले रही हैं। रेग्युलेशन के अभाव में भारत में रियल एस्टेट कंपनियां मनमाना कीमत वसूलती हैं। लागत से कई गुना ज्यादा कीमत रखने की वजह से देश की कई रियल एस्टेट कंपनियों के फ्लैट्स धूल फांक रहे हैं। लेकिन वो कीमतें कम करने को तैयार नहीं हैं। इसका खामयाजा ये हो रहा है कि इन कंपनियों के कई प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पा रहे हैं। और बैंकों से जो लोन कंपनियों ने ले रखी है उसका ब्याज बढ़ता जा रहा है। जिसे चुकाने के लिए डीएलएफ, यूनिटेक, पार्श्वनाथ जैसी कंपनियों को अपना ज़मीन बेचना पड़ रहा है। दूसरी तरफ इन कंपनियों के शेयर लगातार लुढ़कते जा रहे हैं। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के शेयर देश की सुपर 30 यानी सेंसेक्स के 30 दिग्गज शेयरों की लिस्ट से बाहर निकल चुकी है। साल 2008 के शुरुआत में डीएलएफ की कीमत यानी मार्केट वैल्यू 38 अरब 40 करोड़ डॉलर थी। जो अब लुढ़ककर 6 अरब 40 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई है। यानी कंपनी के मार्केट वैल्यू में करीब 84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
साल 2011 में रियल एस्टेट सेक्टर में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। डीएलफ के सेंसेक्स से बाहर होने के बाद देश की 30 सबसे बड़ी कंपनियों की लिस्ट में एक भी रियल एस्टेट कंपनियां नहीं होंगी। डीएलएफ का जब ये हाल है तो छोटी कंपनियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। रेपो रेट कम होने के बाद भी होम लोन ग्राहकों को मामूली फायादा हुआ है। ऐसे में फ्लैट्स की कीमतें कम करने के अलावा रियल एस्टेट कंपनियों के सामने कोई दूसरा उपाय नहीं है। तभी वो ग्राहकों को एकबार फिर से फ्लैट्स बेच पाने में सक्षम हो पाएंगे और अपने कर्ज का बोझ हल्का कर सकेंगी।
अगर आ घर खरीदना चाहते हैं और आसमान पर पहुंच चुकी कीमतों की वजह से घर नहीं ले पा रहे हैं। तो थोड़ा इंतजार कीजिए। आने वाले कुछ महीनों में फ्लैट्स की कीमतों में भारी गिरावट होने की संभावना है। क्योंकि भारत की रियल एस्टेट कंपनियां कर्ज से कराह रही हैं। इसके बावजूद फ्लैट्स की कीमतें कम करने का नाम नहीं ले रही हैं। रेग्युलेशन के अभाव में भारत में रियल एस्टेट कंपनियां मनमाना कीमत वसूलती हैं। लागत से कई गुना ज्यादा कीमत रखने की वजह से देश की कई रियल एस्टेट कंपनियों के फ्लैट्स धूल फांक रहे हैं। लेकिन वो कीमतें कम करने को तैयार नहीं हैं। इसका खामयाजा ये हो रहा है कि इन कंपनियों के कई प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं हो पा रहे हैं। और बैंकों से जो लोन कंपनियों ने ले रखी है उसका ब्याज बढ़ता जा रहा है। जिसे चुकाने के लिए डीएलएफ, यूनिटेक, पार्श्वनाथ जैसी कंपनियों को अपना ज़मीन बेचना पड़ रहा है। दूसरी तरफ इन कंपनियों के शेयर लगातार लुढ़कते जा रहे हैं। देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ के शेयर देश की सुपर 30 यानी सेंसेक्स के 30 दिग्गज शेयरों की लिस्ट से बाहर निकल चुकी है। साल 2008 के शुरुआत में डीएलएफ की कीमत यानी मार्केट वैल्यू 38 अरब 40 करोड़ डॉलर थी। जो अब लुढ़ककर 6 अरब 40 करोड़ डॉलर पर पहुंच गई है। यानी कंपनी के मार्केट वैल्यू में करीब 84 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
साल 2011 में रियल एस्टेट सेक्टर में 50 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। डीएलफ के सेंसेक्स से बाहर होने के बाद देश की 30 सबसे बड़ी कंपनियों की लिस्ट में एक भी रियल एस्टेट कंपनियां नहीं होंगी। डीएलएफ का जब ये हाल है तो छोटी कंपनियों का अंदाजा लगाया जा सकता है। रेपो रेट कम होने के बाद भी होम लोन ग्राहकों को मामूली फायादा हुआ है। ऐसे में फ्लैट्स की कीमतें कम करने के अलावा रियल एस्टेट कंपनियों के सामने कोई दूसरा उपाय नहीं है। तभी वो ग्राहकों को एकबार फिर से फ्लैट्स बेच पाने में सक्षम हो पाएंगे और अपने कर्ज का बोझ हल्का कर सकेंगी।
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