गार यानी जेनरल एंटी टैक्स एवॉयडेंस रूल्स पर असमंजस बरकरार है। वित्त
मंत्रालय ने गार पर नई गाइडलाइंस जारी की है। अब इसपर प्रधानमंत्री की मुहर लगना
बाकी है। बाजार में आई आज की तेजी से लगता नहीं की प्रधानमंत्री इसे जस का तस लागू
करेंगे।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह फिलहाल गार की
नई गाईडलाइंस पर मुहर नहीं लगाई है। प्रधानमंत्री ने साफ किया कि
फिलहाल उन्होंने गाइडलाइंस को नहीं देखा है। प्रधानमंत्री के इस बयान का असर
भारतीय शेयर बाजार पर साफ देखने को मिला। सेंसेक्स 400 अंकों से ज्यादा की तेजी के
साथ 17 हजार के पार पहुंच गया। वहीं निफ्टी 100 अंकों से ज्यादा की तेजी के साथ
5200 के ऊपर बंद हुआ।
दरअसल वित्त मंत्रालय ने गार यानी जनरल एंटी
टैक्स अवॉइडेंस रूल्स को लेकर नई गाइड लाइन जारी कर दी है। नई गाइडलाइंस के
मुताबिक डबल टैक्सेशन का दुरुपयोग करने वाली कंपनियां आयकर विभाग की निगरानी में
रहेंगी। वित्त मंत्रालय गार के जरिए सरकार डबल टैक्सेशन का दुरुपयोग करने वाली
कंपनियों पर नियंत्रण लगाना चाह रही है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बजट में
इसे लागू करने का ऐलान किया तो निवेशकों ने इसका कड़ा विरोध किया था। क्योंकि गार के नियमों के
मुताबिक अगर कोई कंपनी टैक्स चोरी के मामले में पकड़ी जाती है तो जिम्मेदार
अधिकारी को जेल और जुर्माना भुगतना पड़ेगा।
आर्थिक विशेषज्ञों के
मुताबिक ज्यादातर कंपनियां मॉरिशस जैसे टैक्स हैवन देशों से अप्रत्यक्ष विदेशी
निवेश के जरिए धन लाती हैं। लेकिन ये कंपनियां न तो मॉरिशस जैसे टैक्स हैवन देशों
और न ही भारत में टैक्स का सही भुगतान करती हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि गार के लागू होने से भारतीय शेयर
बाजार पर बुरा असर पड़ेगा। क्योंकि जो कंपनिया फिलहाल अपनी जानकारी छुपाकर भारतीय
शेयर बाजार में पैसे लगा पा रही थीं उन कंपनियों को अपना नाम उजागर करना होगा। ऐसे
में भारतीय शेयर बाजार में विदेशी निवेश में कमी आ सकती है और बाजार एक बार फिर
लुढ़क सकता है।
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