बुधवार, 16 मई 2012

16k नीचे सेंसेक्स, रिकॉर्ड लो रुपया


भारतीय शेयर बाजार में आज जबरदस्त बिकवाली देखने को मिली। साथ ही रुपया अब तक के अपने निचले स्तर पर जा पहुंचा। महंगाई सातवें आसमान पर है तो विकास दर में लगातार गिरावट देखी जा रही है। यानी एक भी संकेत ऐसे नहीं हैं जिसे देखकर ये माना जाए की भारतीय अर्थव्यवस्था खतरे से बाहर है।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। अर्थव्यवस्था के हित में कुछ भी सही संकेत नहीं मिल पा रहे हैं। अर्थव्यवस्था का आईना समझे जाने वाले बाजार आज ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर गिर पड़े।सेंसेक्स 298 अंकों की भारी गिरावट के साथ 16030 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 84 अंक लुढ़ककर 4858 पर बंद हुआ।वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने इस गिरावट को ज्यादा तबज्जो नहीं दिया। और इस गिरावट को एशियाई बाजारों से जोड़ दिया।

एक के बाद एक यूरोपीय देशों के कर्ज संकट में फंसने की वजह से दुनियाभर के बाजारों में अनिश्चितता का माहौल है। ग्रीस का कर्ज संकट इतना बढ़ चुका है कि अब इसे यूरोपीय यूनियन के सदस्य बने रहने के लिए जद्दोज़हद करनी पड़ रही है। और इसका असर ना केवल यूरोपीय बाजारो में दिख रहा है बल्कि भारत और दूसरे एशियाई देश भी इससे अछूते नहीं रह सकते।

दुनियाभर में अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ने से रुपए की स्थिति दिन ब दिन नजुक होती जा रही है। दिनभर के कारोबार के दौरान रुपए की कीमतों में 63 पैसे की गिरावट दर्ज की गई। जिससे 1 अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए का भाव लुढ़ककर 54 रुपए 43 पैसे पर जा पहुंचा है। जो कि अबतक का रिकॉर्ड निचला स्तर है। यही नहीं भारत का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है। साथ ही औद्योगिक विकास दर निगेटिव में पहुंच चुकी है। महंगाई दर अनुमान से अधिक तेजी से बढ़ रही है। यानी कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कुछ भी सकारात्म नहीं हो पा रहा है। ऐसे में सरकार को समय रहते जगने की ज़रूरत है। नहीं तो देश को इसके दूरगामी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

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