यूरोपीय देशों के आर्थिक हालात दिन ब दिन बदतर होते जा रहे हैं।
यूरोप के करीब दस देश इस समय आर्थिक मंदी की गिरफ्त में हैं। जिसका असर देश यूरोप
सहित दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहा है।
यूरोप में मंदासुर ने अपना तांडव मचा रखा है। मंदी की चपेट में
यूरोप के करीब 10 देश इस समय कराह रहे हैं। इन देशों की अर्थव्यवस्था में डबल डिप
देखने को मिला है। डबल डिप का मतलब है लगातार दो तिमाही में नकारात्मक बढ़ोतरी।
मंदी की मार से प्रभावित होने वाले देश हैं इटली, स्पेन,
बेल्जियम, आयरलैंड, ग्रीस,
स्लोवानिया, ब्रिटेन, डेनमार्क
और चेक गणराज्य। मंदी की वजह से इन देशों में बेरोजगारी के डरावने आंकड़े सामने आ
रहे हैं।
ग्रीस और स्पेन में 25 वर्ष तक की
आयु के 51 फीसदी युवा बेरोजगार हैं। जबकि इटली और पुर्तगाल
में युवा बेरोजगारों की संख्या करीब 36 फीसदी है। आयरलैंड
में 30 फीसदी बेरोजगारी है। जबकि फ्रांस में 20 फीसदी से ज्यादा लोग बेरोजगारी की मार सहने के मजबूर हैं।
मंदी की वजह से कई देशों की सत्ताशीन सरकारें गिर चुकी हैं। फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी यूरोप में पिछले कुछ वर्षों
में सत्ता गंवाने वाले नौवें शासन-प्रमुख हैं। फ्रांस से पहले ब्रिटेन, इटली, ग्रीस, स्पेन, डेनमार्क, लातविया, आयरलैंड और
स्विट्जरलैंड में सत्ता में बैठे लोगों की ऐसी ही गत बन चुकी है। जर्मनी की चांसलर
एंगेला मर्केल की पार्टी को भी जर्मन प्रांत श्लेस्विग होल्स्टीन में काफी कम
प्रतिशत में वोट मिला है। यूरोपी में लगातार फैल रहे मंदी की आग को नहीं रोका गया
तो इसकी आग दुनिया के कई देशों को अपनी चपेट में ले लेगा और इससे भारत भी अछूता
नहीं रह सकता है।
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