गुरुवार, 2 जून 2011

लैंड बैंक के लिए ममता का अलग फॉर्मुला

भूमि अघिग्रहण कानून पर यूपीए के सहयोगी दलों में ही सहमति नहीं है। सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली नेशनल एडवाइजरी काउंसिल ने सौ फीसदी ज़मीन अधिग्रहण में सरकार की भूमिका की सिफारिश की है। लेकिन यूपीए की सहयोगी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इससे सहमत नहीं है। सोनिया गांधी चाहती हैं कि जमीन के अधिग्रहण में सरकार की हिस्सेदारी होनी चाहिए। और उनकी अध्यक्षता में नेशनल एडवाइजरी काउंसिल ने ये सुझाव सरकार को भेज भी दिए हैं। जिसे सरकार ने स्वीकर करते हुए इसे नए भूमि अधिग्रहण कानून में बनाते समय ध्यान में रखने का आश्वासन दिया है। हालांकि सरकार के इस कदम का तृणमूल कांग्रेस विरोध कर रही है। क्योंकि जमीन अधिग्रहण को लेकर ममता का नजरिया कुछ अलग है। ममता बैनर्जी पश्चिम बंगाल में रिफॉर्म के लिए एक लैंड बैंक बनाना चाह रही हैं। इसके लिए ममता ने जिलाधिकारियों को आदेश भी दे दिया है। लेकिन ये ज़मीन किसानों की नहीं बल्कि सरकार की होगी। जी हां ऐसे कई सरकारी उपक्रम हैं जिसके पास सैकड़ों एकड़ ज़मीन हैं जिसका सालों से कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। हालांकि ममता बैनर्जी के फॉर्मुले पर अर्थशास्त्रियों की सहमति नहीं मिल पर रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना है ज़रुरत वाली ज़मीन सरकार के पास पहले से मौजूद हो ऐसा संभव नहीं है। साथ ही ये मायने रखता है कि उस ज़मीन के आसपास कैसा इंफ्रास्ट्रक्चर है। लेकिन ममता बैनर्जी ने नए फॉर्मुले से लैंड बैंक बनाने की शुरूआत कर दी है। और इसके लिए राज्य के 19 जिला अधिकारियों को आदेश भी दे दिए। और उन्हें 30 जून तक अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। अगर ममता इस काम में सफल होती हैं। तो यूपीए सरकार के लिए ये के सीख होगी। और इसकी झलक नए भूमि अधिग्रहण कानून में भी देखने को मिल सकती है।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

ममता की तो अब सरकार है फिर भी वो गरीब किसानों की ज़मीन को जबरदस्ती अपने कब्जे में नहीं लेना चाहतीं...ये एक बड़ी बात है।