सोमवार, 13 जून 2011
मारुति हड़ताल का दसवां दिन
मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में हड़ताल आज दसवें दिन भी जारी है। इस हड़ताल की चिनगारी अब गुड़गांव के आस पास की दूसरी कंपनियों पर भी पड़ने लगी है। मानेसर प्लांट के कर्मचारी नए संगठन मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन को मान्यता देने की मांग पर अड़े हैं। जबकि मैनेजमेंट इसे मानने को तैयार नहीं है।
ना तो कर्मचारी झुकने को तैयार हैं और ना ही मैनेजमेंट। इस हड़ताल का असर अब आस पास की दूसरी ऑटो और ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों पर भी दिखाई देने लगी है। मारुति के मैनेजमेंट के खिलाफ होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स के एमप्लॉज यूनियन ने भी अपने प्लांट में एक दिन की हड़ताल की घोषणा की है। रिको ऑटो के वर्कर्स यूनियन भी मारुति के मैनेजमेंट के विरोध में हड़ताल का मन बना रहे हैं। इसके साथ ही दो दर्जन से ज्यादा ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों के यूनियन ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी है।
इस हड़ताल से अबतक ऑटो इंडस्ट्री को करीब 2500 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। और अगर मारुति की बात करें तो इस हड़ताल की वजह से मारुति की करीब 9000 कारें फैक्ट्री से नहीं निकल पाई है। जिससे कंपनी को लगभग 400 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है।
मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट के करीब 2000 कर्मचारी शनिवार से ही हड़ताल पर हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए प्रबंधन ने कर्मचारियों से कई दौर की बातचीज हो चुकी है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन नाम के नए संगठन को मान्यता देने की मांग को लेकर कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि मानेसर प्लांट में गुड़गांव प्लांट के कर्मचारियों की बहुमत वाली मारुति सुजुकी कामगार यूनियन का बोलबाला है। जिसमें उनकी कुछ नहीं सुनी जाती है। वहीं मैनेजमेंट का कहना है कि जब एक कामगार यूनियन है ही तो दूसरी इंप्लॉयज यूनियन की क्या ज़रूरत है।
मानेसर और गुड़गांव के इलाके से देश की आधी कार और बाइक बनकर निकलती है। ऐसे में मारुति की हड़ताल अगर जल्द से जल्द खत्म नहीं हुई तो इससे मारुति के साथ ही ऑटो इंडस्ट्री को इससे बहुत बड़ी क्षति पहुंच सकती है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
1 टिप्पणी:
मारुति का इतिहास रहा है जब भी यहां हड़ताल होती है लंबी खिंचती है।
एक टिप्पणी भेजें