बुधवार, 29 जून 2011

चवन्नी के फेस बैल्यू से बड़ा मेटल वैल्यू

अगर आपके घर में कहीं चवन्नी पड़ी हैं और उसे कल आपने बैंक में नहीं बदला। तो समझ लीजिए उसकी कीमत खत्म हो गई। क्योंकि 25 पैसे यानी चार आने के सिक्के बदलकर बड़े सिक्के या नोट लेने के लिए आपके पास केवल कल बैंक बंद होने तक का वक्त था। भारत सरकार की अधिसूचना के मुताबिक 25 पैसे के सिक्कों का कानूनी इस्तेमाल 30 जून 2011 यानी आज से बंद हो गया। रिजर्व बैंक ने कहा कि छोटे सिक्कों का डिपो रखने वाले सभी बैंकों को 29 जून 2011 के कामकाजी घंटे खत्म होने तक 25 पैसे के सिक्के लेकर उसके बदले बड़े सिक्के या नोट देने के निर्देश जारी किए गए थे। आज से 25 पैसे के सिक्के लगभग पूरी तरह से हमारी जिंदगी से गायब हो जाएंगे। साल 2002 से कोई भी सिक्का खत्म नहीं किया गया है। लेकिन 25 पैसे को अंजाम तक पहुंचाने की बड़ी वजह मुद्रास्फीति दर की रफ्तार और इसका मेटल वैल्यू है। जिसने 25 पैसे के सिक्के को उपयोग लायक नहीं छोड़ा। क्योंकि इसके फेस वैल्यू से ज्यादा इसे बनाने पर खर्च आता था। ऐसे भी महानगरों में चवन्नी का इस्तेमाल लगभग खत्म हो चुका था। मुंबई में बसें चलाने वाली और शहर में 25 पैसे के शायद सबसे ज्यादा सिक्के संभालने वाली एजेंसी बेस्ट के कंडक्टरों को चवन्नी स्वीकार करना मजबूरी थी। ऐसे में इस फैसले से दिक्कतें खत्म होंगी। रजर्व बैंक के इस फैसले से न केवल बेस्ट बल्कि मुसाफिरों को भी राहत मिलेगी। वित्त मंत्रालय और आरबीआई को ऐसी कई शिकायतें मिल रही थी कि लोग 25 पैसे के सिक्के का मैटल वैल्यू को ज्यादा यूज कर रहे हैं। यानी सिक्के को गलाकर बर्तन और दूसरी चीजें बना रहे थे। क्योंकि चवन्नी का मेटल वैल्यू इसके फेस वैल्यू से ज्यादा है। ऐसे में रिजर्व बैंक को इस सिक्के के गलत उपयोग से बचाने के लिए इसे बंद करने का फैसला करना पड़ा।

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

चौवन्नी को गलाकर कर बर्तन और सजावट के सामान बहुत ही बेहतरीन बनते हैं। इसीलिए जबतक चवन्नी चल रहा था तब भी ये बाजार से नदारद था।