बुधवार, 1 अगस्त 2012

चिदंबरम की चुनौतियां


पी चिदंबरम ने तीसरी बार वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल लिया है। लेकिन वित्त मंत्री के लिए आगे का साल काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि आर्थिक मोर्चे पर यूपीए टू की सरकार फिलहाल पूरी तरह विफल दिख रही है।

टू जी घोटाले में घिरे पी चिदंबरम को फिर से वित्त मंत्रालय मिल गया है। वित्त मंत्रालय चिदंबरम के लिए नया नहीं है। इससे पहले भी ये दो बार 1996 और 2004 में वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल चुके हैं। लेकिन इसबार की स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण रहने वाली है।

चिदंबरम के सामने सबसे पहली चुनौती होगी...सुस्त पड़ चुकी अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाना। दूसरी चुनौती होगी...इंश्योरेंस सेक्टर में एफडीआई बढ़ाना। तीसरी चुनौती होगी...पेंशन क्षेत्र प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लाना। चौथी चुनौती होगी..मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई लाना। पांचवीं चुनौती होगी...एफडीआई के जरिए एविएशन सेक्टर में विदेशी एयरलाइंस की हिस्सेदारी पर सहमति देना। छठी चुनौती होगी...डीज़ल, यूरिया और एलपीजी की कीमतों पर से सरकार की नियंत्रण खत्म करना। सातवीं चुनौती होगी..गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी को देशभर में लागू कराना। इसके अलावा सबसे अहम आठवीं चुनौती होगी..2014 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लोक लुभावना ड्रीम बजट पेश करना। 

अगर चिदंबरम डीज़ल और एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी को कम करने में कामयाब होते हैं ते राजकोषीय घाटा खुद ब खुद कम हो जाएगा। लेकिन इतनी चुनौतियों का सामना करना लोहे के चने चबाने जैसा होगा। क्योंकि लोकलुभावना बजट बनाने के दबाव के आगे शायद ही चिदंबरम कोई कठोर फैसले कर पाएंगे।

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