सोमवार, 6 जून 2011
मारुति के मानेसर प्लांट में हड़ताल जारी
यूनियन के वर्चस्व की राजनीति की वजह से देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में आज तीसरे दिन भी हड़ताल जारी है। कर्मचारी मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। हड़ताल खत्म करने के लिए कंपनी के प्रबंधकों और कर्मचारी यूनियन के बीच बातचीत चल रही है।
मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट में कर्मचारी शनिवार से हड़ताल पर हैं। हड़ताल खत्म कराने के लिए प्रबंधन ने कर्मचारियों से तीन दौर की बातचीज की है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। मारुति सुजुकी इंप्लायज यूनियन नाम के नए संगठन को मान्यता देने की मांग को लेकर मारुति सुजुकी के मानेसर प्लांट के 2 हजार कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि मानेसर प्लांट में मारुति सुजुकी कामगार यूनियन का बोलबाला है। और यही यूनियन गुड़गांव प्लांट में अपना नियंत्रण रखती है। इससे मानेसर के कुछ कर्मचारी खुश नहीं हैं। वे अब यहां अपने नए यूनियन को मान्यता दिलान चाहते हैं। यानी मानेसर प्लांट में लड़ाई यूनियन के वर्चस्व की है। ऐसा माना जा रहा है कि मारुति प्रबंधन इस मामले को कड़ाई से निबटना चाहता है।
इस हड़ताल की वजह से कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। शनिवार की हड़ताल से 650 कारों का उत्पादन नहीं हो सका। साथ ही शेयर बाजार के शुरुआती कारोबार में आज मारुति के शेयर करीब पौने दो फीसदी लुढ़क गया। इस हड़ताल को कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े यूनियन एआईटीयूसी का समर्थन है। एआईटीयूसी मानेसर और आसापास के इलाके में मजबूत होती जा रही है। वह यहां की ऑटो कंपनियों पर अपना दबाव बना रही है। इस हड़ताल की वजह से मारुति सुजुकी को प्रोडक्शन के साथ ही प्लांट के विस्तार योजनाओं में रुकावटें आ रही है।
मारुति के प्लांट में आखिरी बार नवंबर 2000 में हड़ताल हुई थी जो कि करीब 3 महीने बाद यानी जनवरी 2001 में खत्म हुई थी। फिलहाल इस प्लांट से कंपनी हर दिन 1200 गाड़ियों का प्रोडक्शन करती है। जिसमें स्विफ्ट, स्विफ्ट डिजायर, ए-स्टार और एसएक्स4 शामिल हैं।
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1 टिप्पणी:
लेबर लॉ के अभाव में कंपनियों पर नकेल कसने के लिए ये कदम उचित है।
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