बुधवार, 22 जून 2011
घर खरीदारों को रुला रहे हैं बिल्डर्स
देश में करोड़ों लोग घर का सपना देख रहे हैं। जो पूरा नहीं हो पा रहा है। क्योंकि फ्लैट की कीमतें आसमान पर पहुंच चुकी हैं। लेकिन उनलोगों के घर का सपना भी नहीं पूरा हो पा रहा है। जिन्होंने घर बुक करा ली है और लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं। क्योंकि देशभर में रियल एस्टेट की हालत खस्ती होती जा रही है।
लाखों रुपए खर्च करने के बावजूद देशभर में लोगों को समय पर फ्लैट नहीं मिल पा रहा है। बिल्डर्स बढ़ते कंस्ट्रक्शन कॉस्ट, लेबर की कमी, फंड के आभाव का रोना रो रहे हैं। देश के कई छोटे बड़े बिल्डर्स के प्रोजेक्ट एक से दो साल पीछे चल रहे हैं। ऐसे में कंज्यूमर्स की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। क्योंकि उनपर इएमआई का बोझ लगातार बढ़ रहा है। साथ ही उन्हें किराए के मकान में रहने को मजबूर होना पड़ रहा है।
डीएलएफ, एमार एमजीएफ, ओमैक्स जैसी कई रियल एस्टेट कंपनियां कर्ज का भुगतान और प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए कम उपयोगी ज़मीन को बेच रहे हैं। होम लोन दरों में लगातार बढ़ोतरी की वजह से घर की बिक्री में लगातार गिरावट आ रही है। ऐसे में बिल्डर्स को नए प्रोजेक्ट के नाम पर अब कम कमाई हो रही है।
दिल्ली, मुंबई, पुणे और एनसीआर सहित देशभर के लगभग सभी शहरों में यही हालत हैं। 2008 की मंदी के बाद रियल एस्टेट कंपनियों ने धरल्ले से नए प्रोजेक्ट का ऐलान तो कर दिया। और उन प्रोजेक्ट की बुकिंग एमाउंट भी ले ली। यहां तक कि कुछ लोगों ने फ्लैट के 90 फीसदी तक पैसे भी दे दिए हैं। लेकिन 2010 में मिलने वाला फ्लैट अभी तक उन्हें नहीं मिल पाया है। यानी पैसे खर्च करने के बाद भी घर का सपना, सपना ही बना हुआ है।
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1 टिप्पणी:
सरकार को एक रेग्युलेशन बना कर बिल्डरों पर नकेल कसनी चाहिए।
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