गुरुवार, 28 जुलाई 2022

US फेड ने ब्याज दरें फिर बढ़ाईं



42 साल के शिखर पर पहुंच चुकी महंगाई को कम करने के लिए US फेड ने लगातार दूसरी बार ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। हालांकि बहुत पहले से इसकी उम्मीद जताई जा रही थी शायद यही वजह है कि बाजार के लिए निगेटिव इस खबर के बाद भी बाजार में हरियाली छा गई। NASDAQ में मार्च 2020 के बाद सबसे ज्यादा तेजी दिखी। 4 परसेंट से ज्यादा की तेजी के साथ नैसडेक 4 हजार के पार बंद हुआ। वहीं DOW में भी 1.3 परसेंट से ज्यादा और S&P में 2.5 परसेंट से ज्यादा तेजी दर्ज की गई। S&P 4000 के पार बंद हुआ।  

 अमेरिका में लगातार चौथी बार ब्याज दरें बढ़ी हैं। इसके साथ ही अमेरिका में ब्याज दर 2.25%-2.5% के बीच पहुंच चुकी है। अमेरिकी फेड के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने कहा है कि आगे भी ब्याज दरें बढ़ेंगी लेकिन इसकी रफ्तार इतनी ज्यादा नहीं होगी। वहीं पॉवेल ने मंदी की खबर को सिरे से खारिज कर दिया है।

भारतीय बाजार के लिए ये राहत की खबर है। क्योंकि ब्याज दर बढ़ने की वजह से पिछले कई महीनों से विदेशी संस्थगत निवेश का पलायन जारी है। ऐसे में कई जानकारों का मानना है कि अमेरिकी महंगाई अपनी चरम छू चुकी है और अब उसमें गिरावट दिखनी शुरू हो जाएगी। साथ ही अगले साल से अमेरिकी में ब्याज दरों में कटौती भी होने लगेगी। और ब्याज दरें कम होने पर फिर से विदेशी संस्थागत निवेशकों का निवेश भारतीय बाजार में लौटने लगेगा।

गुरुवार, 14 जुलाई 2022

US में चरम पर महंगाई: शरीर और गाड़ियों का ईंधन हुआ महंगा

 



US में महंगाई 41 साल के शिखर पर पहुंच चुका है। US रिटेल महंगाई 8.8% अनुमान के मुकाबले 9.1% पर पहुंच गया है। हालांकि ब्रेंट यानी कच्चा तेल का भाव फिलहाल $100 के नीचे बरकरार है। लेकिन डॉलर इंडेक्स 108 के ऊपर यानी 20 साल के शिखर पर जा पहुंचा है। महंगाई की वजह से अमेरिकी बाजार में कल गिरावट भरा कारोबार देखा गया साथ ही US फ्यूचर्स में गिरावट देखी जा रही है। कल Dow में 208 और Nasdaq में 17 प्वाइंट की गिरावट जबकि S&P 500 में 17 प्वाइंट की गिरावट दर्ज की गई।

 

 

महंगाई पर लगाम लगाने के लिए अमेरिकी सेंट्रल बैंक यानी US फेड ब्याज दरों में 1% की बढ़ोतरी कर सकता है। यही नहीं दुनियाभर के देशों में महंगाई के लेकर अफरा-तफरी का माहौल है। महंगाई पर कंट्रोल के लिए कनाडा, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है। न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया ने 0.5% ब्याज दरें बढ़ाई हैं जबकि कनाडा ने 100 बेसिस प्वाइंट ब्याज दरें बढ़ाई है।


 

अमेरिका में एनर्जी इंडेक्स में 41.6% की तेजी दर्ज की गई है। जबकि फूड इंडेक्स भी 1981 के बाद अपने शिखर 10.4% पर जा पहुंचा है। यानी कि इंधन चाहे गाड़ियों का हो या शरीर का दोनों में अंधाधुंध तेजी देखी जा रही है।

 

महंगाई इस इस आंकड़े को अमेरिकी राष्ट्रपित जो बाइडेन ने सिरे से खारिज कर दिया है। बाइडेन ने कहा कि महंगाई का ये आंकड़ा स्वीकार्य नहीं है क्योंकि ये डाटा पुराना है। क्योंकि महंगाई के इस डाटा में एनर्जी में गिरावट शामिल नहीं है। जबकि एनर्जी का हिस्सा मंथली रिटेल महंगाई में करीब 50% के करीब होता है। मध्य जून से अबतक पेट्रोल भाव में 40 सेंट की गिरावट दर्ज की गई है।

 

सोमवार, 11 जुलाई 2022

आज उतार चढ़ाव भरा हो सकता है कारोबार

 



दुनियाभर के संकेतों को देखते हुए लगता है कि आज बाजार लाल निशान में खुलकर उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बाद फ्लैट हरे निशान में  बंद होगा।

शुक्रवार को US मार्केट में मिलाजुला कारोबार हुआ। इसकी साफ झलक आज भारतीय बाजारों में देखने को मिल सकता है। Dow में 46 और S&P में 3 प्वाइंट की मामूली गिरावट दर्ज की गई। Nasdaq 13 प्वाइंट की तेजी के साथ बंद हुआ। कच्चे तेल की कीमतों ने एक बार फिर से रफ्तार पड़क ली है। ब्रेंट का भाव $106 के करीब बरकरारा है। जबकि दूसरी कमोडिटी के भाव में अभी भी सुस्ती नजर आ रही है। Iron ore की का मांग में नरमी जारी है। SGX निफ्टी लगभग फ्लैट कारोबार कर रहा है।

वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने जारी किए रोजगार के अनुमान से बेहतर आंकड़े। जून में 2.5 लाख अनुमान के मुकाबले 3.72 लाख रोजगार दिए। ऐसे में ब्याजा दरों का ज्यादा बढ़ना लगभग तय  माना जा रहा है। फेड की जुलाई में होने वाली बैठक में ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी संभव लगने लगी है।

चीन में जून CPI 2.4%  के अनुमान से बढ़कर 2.5% पर पहुंच चुका है। मोबाइल सेक्टर में अडाणी ग्रुप की भी एंट्री होने वाली है। 5G स्पेक्ट्रम की रेस में अदानी ग्रुप इस महीने के आखिर में हिस्सा लेगा।

भारतीय बाजारों पर संस्थागत निवेशकों का नजरिया धीमा होता दिख रहा है। DII ने शुक्रवार को महज 34 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी जबकि विदेश संस्थागत निवेशकों ने 109 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी।

भारत में भी कंपनयों की पहली तिमाही के नतीजे शुरू हो चुके हैं और अमेरिका में दूसरी तिमाही के और अब ये नतीजे ही तय करेंगे बाजार का रुख। कंपनियों की कमाई में 40 फीसदी तक की गिरावट अगर होने लगी तो समझ लीजिए हम मंदी की तरफ बढ़ रहे हैं।