गेहूं, चावल, चीनी, प्याज के एक्सपोर्ट पर सख्ती के बाद सरकार ने पेट्रोल-डीजल के एक्सपोर्ट पर भी टैक्स बढ़ा दिया है। ताकि देश में पेट्रोल-डीजल की कमी ना हो। अब आप सोच रहे होंगे कि जब हम अपनी इस्तेमाल का 80 फीसदी तेल विदेशों से आयात करते हैं ऐसे में एक्सपोर्ट पर टैक्स का क्या मतलब है। दरअसर हमारे यहां कई सरकारी और निजी तेल रिफाइनरी कंपनियां हैं जो कि विदेशों या देश से निकले कच्चे तेल को रिफाइन कर विदेशी बाजारों में बेचेते हैं। लेकिन डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर और पेट्रोल पर 13 रुपए प्रति लीटर एस्सपोर्ट टैक्स बढ़ने से देशी तेल रिफाइनर कंपनियं घरेलू बाजार में ही अपना माल बेचने को मजबूर होंगी।
इसके साथ ही सरकार ने देश में निकलने वाले कच्चे तेल पर भी 23230 रुपए प्रति टन अलग से विंडफॉल टैक्स लगा दिया है। ये विंडफॉल टैक्स उन कंपनियों पर लगाया गया जिनका सलाना उत्पादन 20 लाख प्रति बैरल से ज्यादा है।
हम आपको बता दें कि रूस-यूक्रेन यूद्ध और दूसरी परिस्थितियों की वजह से इस साल कच्चे तेल की कीमतों में करीब 50 फीसदी के तेजी आई है। यही नहीं महंगे तेल का फायदा खासकर देश की प्राइवेट रिफाइनर कंपनियां खूब उठा रही हैं। पिछले कुछ महीनों से ये कंपनियों अमेरिका और यूरोपीय देशों को पेट्रोल-डीजल निर्यात कर काफी अच्छी कमाई कर रही थीं। और देश में पेट्रोल-डीजल की इन्वेंट्री खत्म होने के करीब पहुंच चुकी थी। अभी पिछले महीने ही ब्रिटेन ने तेल और गैस कंपनियों की प्रॉफिट पर 25 फीसदी विंडफॉल टैक्स लगाने का ऐलान किया था। इसके बाद ही भारत में भी इस तरह के टैक्स की लगने की संभावना शुरू हो गई थी। इन दोनों टैक्स से पेट्रोल और डीजल के घरेलू रिटेल कीमतों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
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