शनिवार, 6 अगस्त 2011
अमेरिकी साख पर लगा धब्बा
अमेरिका की आर्थिक स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जिससे चलते दुनिया की एक प्रमुख क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग गिरा दी है। दुनिया की सबसे बड़ी और मज़बूत अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका पर ये दाग इससे पहले कभी नहीं लगा था।
स्टैंडर्ड एंड पूअर्स यानी एसएंडपी ने अमरीका के बढ़ते बजट घाटे की चिंताओं के चलते उसकी लंबी अवधि की क्रेडिट रेटिंग, ट्रिपल ए से घटाकर डबल ए प्लस कर दिया है। अमेरिका के इतिहास में पहली बार क्रेडिट रेटिंग घटाई गई है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स का कहना है कि अमेरिका के सरकारी बॉन्ड अब सुरक्षित निवेश का जरिए नहीं रहे हैं। इसलिए अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाना जरूरी था। यानी पहले की तरह अब दुनिया के दूसरे देशों का भरोसा अमेरिका पर नहीं रहेगा। और वे अमेरिका में निवेश करने से बचेंगे। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के मुताबिक अमेरिकी सरकार का वित्तीय घाटा बढ़ रहा है और सरकार के खर्चों को लेकर चिंता बढ़ गई है।
इसी हफ्ते अमेरिकी सरकार लंबी राजनीतिक रस्साकशी के बाद कर्ज सीमा बढ़ाने में कामयाब रही थी। अमेरिका की ही प्रमुख रेटिंग एजेंसियों में से एक स्टैंडर्ड एंड पूअर्स ने दलील दी है कि संसद ने कर्ज़ सीमा बढ़ाने वाला जो विधेयक पारित किया वो सरकार के मध्यम अवधि के कर्ज़ प्रबंधन को स्थिर करने के लिए पर्याप्त नहीं है। एसएंडपी ने चेतावनी दी है कि अगर अगले दो साल में बजट घाटा कम करने की दिशा में उठाए गए कदमों का नतीजा नहीं दिखा तो वे अमरीका की क्रेडिट रेटिंग एए से भी नीचे कर सकती है।
एजेंसी मानती है कि कर्ज़ की सीमा बढ़ाने के लिए जो विधेयक पारित किया गया उसमें राजस्व जुटाने के पर्याप्त उपाय नहीं बताए गए हैं। हालांकि बराक ओबामा कुछ टैक्स बढ़ाना चाहते थे लेकिन विरोधी रिपब्लिकन पार्टी ने ऐसा करने का विरोध किया था। अमरीका की क्रेडिट रेटिंग घटने से दुनिया भर के निवेशकों का भरोसा दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर घट सकता है। साथ ही अमेरिकी सरकार को अब कर्ज लेने के लिए ज्यादा ब्याज देने पड़ सकते हैं। और डॉलर की ताकत में भी कमी आ सकता है।
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1 टिप्पणी:
अबतक के पापों की सजा अब अमेरिका को मिलनी शुरू होगी...
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