गुरुवार, 4 अगस्त 2011
महंगाई पर वित्त मंत्री का जवाब
वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने महंगाई पर जवाब देते हुए कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए विपक्ष का सहयोग ज़रूरी है। मुखर्जी ने महंगाई और विकास के दुनियाभर के आंकड़े गिना दिए। लेकिन वो महंगाई को विपक्ष के सहयोग से किस तरह से काबू में करेंगे इसपर कुछ नहीं बोल पाए।
महंगाई पर हुए चर्चा के बाद जवाब देते हुए वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि महंगाई का विकास के साथ कोई संबंध नहीं है। और महंगाई को विकास के साथ नहीं जोड़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि महंगाई तो मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर बढ़ने से बढ़ती है। क्योंकि विकास तो बढ़ती महंगाई के साथ भी हो सकता है।
हालांकि वित्त मंत्री ने महंगाई पर काबू पाने के उपायों की किसी तरह की घोषणा नहीं की। साथ ही ये भी नहीं बता पाए कि लोगों को कबतक महंगाई से निजात मिलेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि विकास होना चाहिए लेकिन महंगाई दर को मध्यम स्तर पर सीमित रखते हुए। हालांकि देश में इस समय महंगाई दर काफी ऊंची है।
पेट्रोल की बढ़ती कीमतों पर मुखर्जी ने कहा कि वर्ष 1998 में कच्चे तेल का दाम 12 डॉलर प्रति डॉलर था। जो कि 2004 में बढ़कर 36 डॉलर प्रति बैरल हो गया और आज यह 117 डॉलर प्रति डॉलर हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत 75 फीसदी कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में पेट्रोल और डीजल पदार्थो के दाम कम रखना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि सरकारी तेल कंपनियों को इस वक्त 1 लाख 22 हजार करो़ड रूपए का घाटा हो रहा है। इसे ध्यान में रखना जरूरी है।
डीज़ल पर से सब्सिडी हटाने पर उन्होंने कहा कि केवल कारों के इस्तेमाल पर ही यह तरीका अपनाया जा सकता है। कारों का खपत महज 15 फीसदी है इससे सीमित फायदा ही होगा। डीजल की खपत की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि भारत का उद्योग जगत 10 फीसदी, रेलवे 6 फीसदी, कृषि 12 फीसदी, पावर 8 फीसदी, निजी कारें 15 फीसदी, बसें 12 फीसदी और ट्रक 30 फीसदी डीजल इस्तेमाल करते हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों पर प्रणब ने कहा कि यदि दुनियाभर में इनकी कीमतें बढ़ती हैं तो भारत में इन्हें कम नहीं रखा जा सकता है। हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि वैश्विक वित्तीय संकट से भारत ज्यादा प्रभावित नहीं होगा।
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1 टिप्पणी:
क्या बात है सर जी आज कल आर्टिकल्स का निवेश जमकर हो रहा है.. लगता है लिखास रोग लग गया है
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